सरकार के मिशन मौसम से मौसम की और अधिक मिलेगी सटीक जानकारी Publish Date : 16/09/2024
सरकार के मिशन मौसम से मौसम की और अधिक मिलेगी सटीक जानकारी
प्रोफेसर आर एस सेंगर
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जहां मौसम में तेजी के साथ उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है इसके कारण केवल किसानों को ही नहीं अपितु आम नागरिकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से वह देश से कभी भारी बारिश की वजह से बाढ़ आ जाती है तो कभी कुछ इलाकों में बारिश न होने की वजह से सूखा के हालात बन जाते हैं। केंद्र सरकार ने ऐसी ही चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिए मिशन मौसम लॉन्च किया है, इससे मौसम के बारे में सटीक अनुमान लगाने के साथ बारिश करने और बारिश रोकने की विशेष विधि भी विकसित की जाएगी।
मिशन मौसम के तहत देश के वैज्ञानिक आकाशीय बिजली गिरने और बादल फटने के जैसी घटनाओं को भी रोक सकेंगे। सरकार ने मिशन मौसम के पहले चरण के लिए 2000 करोड रुपए आवंटित किए हैं। इसका पहला चरण मार्च 2026 तक चलेगा। इस चरण के तहत 70 रडार हाई परफार्मेंस कंप्यूटर 10 वेदर प्रोफाइलर व 10 रेडियो मीटर लगाए जाएंगे।
दूसरे चरण में निगरानी की क्षमता बढ़ाने के लिए सैटेलाइट और एयरक्राफ्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन का कहना है कि इस मिशन के तहत बढ़ते तापमान के संदर्भ में बादलों में हो रहे उतार चढ़ाव के अध्ययन के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मीटरोलॉजी पुणे, में क्लाउड चैंबर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम लैब में कृत्रिम रूप से बदल बनाएंगे और उनका प्रयोग करेंगे।
इससे वैज्ञानिकों को इन प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और उनको पता चलेगा कि किस तरह के बादलों में फीडिंग करके बारिश कराई जा सकती है। सीडिग के लिए किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और बारिश बढ़ाने या फिर बारिश रोकने के लिए कितनी सीडिग की जरूरत होती है।
क्या है सीडिग
सीडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें बादलों में एक खास सामग्री मिलाकर बारिश कराई जाती है। अध्ययन के दौरान कृत्रिम बारिश के तरीके को पहचानना, उसको बढ़ाना और बारिश को नियंत्रित करने का अध्ययन किया जाता है।
सरकार का लक्ष्य है कि अगले 5 वर्षों में कृत्रिम तरीके से बारिश को बढ़ाना और बारिश को नियंत्रित करने पर अधिक से अधिक किया जाए और जरूरत पड़ने पर कुछ तकनीक का उपयोग किया जा सके। इसके बाद आकाशीय बिजली जैसी दूसरी मौसमी घटनाओं पर फोकस किए जाने की भी बात की गई है। मौसम प्रबंधन की जरूरत के बारे में भी अध्ययन अधिक से अधिक किया जाएगा।
जब कभी अधिक बारिश बारिश होती है तो उसके रोकने की तकनीकी यदि विकसित हो जाएगी तो उसे पर आसानी से रोक सकते हैं। यदि हमारे देश के पास बारिश रोकने की तकनीकी विकसित हो जाएगी तो बादलों में ज्यादा सीडिंग करके बारिश को रोक सकते हैं।
इसी तरह से सूखाग्रस्त इलाकों में बारिश करके सूखे से बचा सकते हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार वायुमंडलीय थीम की जटिलता और वर्तमान ऑब्जरवेशन और मॉडल रेजोल्यूशन की सीमाओं के कारण मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगाना काफी चुनौती पूर्ण होता है तो वही जलवायु परिवर्तन के कारण स्थानीय स्तर पर भारी बारिश और सूखे की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इन सब घटनाओं को नियंत्रित करने के बारे में आगामी वर्षों में काफी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।