समाज को जीवंत बनाएं      Publish Date : 14/09/2024

                                 समाज को जीवंत बनाएं

                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

समाज को जीवंत बनाने के बारे में कभी कोई दो राय नहीं है, लेकिन सोचना यह है कि हम यह कैसे कर सकते हैं? क्या हम स्कूल चलाकर या अस्पताल खोलकर ऐसा कर सकते हैं या हमें अन्य समस्याओं पर भी विचार करना होगा? क्या किसी संस्था को चलाना या किसी के खिलाफ कोई आंदोलन करना इसका समाधान हो सकता है? ऐसा करते समय, हमें संगठित जीवन के बारे में भी सोचना चाहिए। हमें उसी के अनुसार कार्य और व्यवहार अपनाने होंगे और उसी प्रकार की कार्यशैली को विकसित करना होगा।

                                                                   

संगठन का अर्थ होता है एक व्यवस्था का निर्माण। इसके लिए दो चीजों की जरूरत होती है, एक तो हमारा लक्ष्य बहुत ऊंचा और महान होना चाहिए, जिससे लोग प्रेरित हो सकें और दूसरा वह शैली, जो लक्ष्य को सही तरीके से साकार करे और उसे प्राप्त करने में उचित सहायता करे।

हमारा लक्ष्य हमारे लिए बिलकुल स्पष्ट है और वह है जो अपने देश को समृद्धि के शिखर पर ले जाना और पूरे विश्व में अपने देश के प्रति सम्मान की भावना को पैदा करना।

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संगठित शक्ति ही उपयोगी होगी। हमने भी संगठन के मार्ग को ही चुना है और उसके लिए हमने एक सरल लेकिन महान व्यवस्था को स्वीकार किया भी है, जिसका आधार शुद्ध और सात्विक प्रेम है।

                                                       

दूसरे अन्य संगठनों, उनके कार्यक्रमों, लोगों को भड़काने वाले आंदोलनों को हम दिन-ब-दिन देखते ही रहते हैं, हालांकि, कभी कभी तो उसके परिणामों में सृजन से अधिक विनाश दिखाई देता है। यह सच है कि हमने अभी भी बहुत प्रगति नहीं की है क्योंकि हमारा लक्ष्य जितना ऊंचा है उसकी तुलना में हमारा कार्य बहुत कम प्रतीत होता है लेकिन जब हम अपने काम की तुलना दूसरे लोगों से करते हैं, तो हम उस शक्ति को नहीं भूल सकते, जिसकी हम पूजा करते हैं, और हम उस शक्ति की प्रकृति को नहीं भूल सकते। हमारा काम गुणात्मक है और इसकी तुलना केवल संख्यात्मक कार्य से नहीं की जा सकती है।

हम समाज अपने को एक ऐसी शक्ति बनाना चाहते हैं जो अनुशासित और नियंत्रित हो। अतः केवल सामाजिक जागरण ही हमारा मिशन नहीं है बल्कि समाज में ऐसी व्यवस्थाएं खड़ी हों जो सदैव ही हमारे समाज को जागृत रखें। हमारा मिशन, जो सामूहिक रचनात्मकता का परिणाम है, हमेशा ही उनके आंदोलन को भड़काने वाली शक्ति से बेहतर ही रहा है। हमारा मिशन हमें एक नियंत्रित शक्ति बनाता है। अगर लोगों को भड़काने की जरूरत महसूस होती है तो उसे नियंत्रित करने की शक्ति भी पहले ही हासिल की जानी चाहिए। इसमें समय जरूर लगेगा लेकिन हमारा लक्ष्य यही है और हम इसे प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।