विलुप्त नदियों को पुनर्जीवन Publish Date : 11/09/2024
विलुप्त नदियों को पुनर्जीवन
अब विलुप्त हो रहीं नदियों के पुनर्जीवन के प्रयास किए जा रहे हैं। आईआईटी और बीएचयू के विज्ञानी ऐसा माडल बनाने में जुटे हैं, जिससे भारत और डेनमार्क में विलुप्त हो रहीं नदियों को नया जीवन मिलेगा। आईआईटी बीएचयू में स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) स्थापित हुई है। इसके लिए जलशक्ति मंत्रालय और डेनमार्क सरकार 21.60 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वरुणा नदी का चयन किया गया है। नदी के किनारे मौजूद सरोवरों की पहचान कर उनका पुराना स्वरूप लौटाया जाएगा।
माडल जटायु की डेनमार्क सरकार के सहयोग से आईआईटी बीएचयू में स्थापित की गई स्मार्ट प्रयोगशाला।
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सरोवरों के माध्यम से वरुणा नदि का जलस्तर व्यवस्थित करने का प्रयास किया जा रहा है। भूजल स्तर बढ़ाने की दिशा में भी कार्य किया जाएगा। नदी में गिर रहे मलजल को रोकने के लिए छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। ट्रीटमेंट प्लांट वहां लगेंगे, जहां से प्रदूषित तत्व नदी में मिल रहे हैं।
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आईआईटी बीएचयू के एसोसिएट प्रोफेसर डा. शिशिर गौर ने बताया कि जल प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) कंप्यूटर प्रोग्राम एप्लीकेशन विकसित की जाएगी, ताकि जल विज्ञान माडल, परिदृश्य निर्माण, पूर्वानुमान और डाटा विश्लेषण आदि के माध्यम से बेसिन जल गतिशीलता पर अध्ययन किया जा सके। भूजल व जल विज्ञान माडल को एकीकृत करके व्यापक नदी प्रबंधन योजना बनाई जाएगी। उभरते प्रदूषकों और फिंगरप्रिंट विश्लेषण के लक्षण को विस्तार मिलेगा। 18 महीने में प्रदूषकों की पहचान होगी। भूजल व जल विज्ञान माडल को एकीकृत कर व्यापक नदी प्रबंधन योजना बनाई जाएगी।
वाराणसी को इसका नाम वरुणा व असि नदी से ही मिला है। अफसोस कि इस समय दोनों नदियां अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। नाले का रूप ले चुकीं नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए आईआईटी और बीएचयू काम कर रहे है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग तीन माह पहले से लिए माडल तैयार करने में जुटा है। अब वरुणा के लिए भी काम शुरू हुआ है। इस को पूरा करने के लिए इंटरनेट आफ थिंग्स आधारित सेंसर से डाटा एकत्र किया जाएगा।