क्या स्मार्टफोन से होता है ब्रेन कैंसर WHO की लेटेस्ट रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा      Publish Date : 10/09/2024

क्या स्मार्टफोन से होता है ब्रेन कैंसर WHO की लेटेस्ट रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

क्या स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से ब्रेन कैंसर होता है? हाल में आई एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। WHO ने बताया है कि उन्होंने किस आधार पर रिसर्च की और अंतिम परिणाम पर पहृँचे हैं। इस रिव्यू रिपोर्ट को तैयार करने के लिए वर्ष 1997 से 2022 तक किए गए तमाम रिसर्च को खंगाला गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में स्मार्टफोन का अधिक उपायोग करने से ब्रेन कैंसर होने की अवधारणा को गलत माना है।

मोबाइल फोन्स को लेकर आपने कई तरह की बातें सुनी होंगी। कई लोग दावा करते हैं कि इनके इस्तेमाल करने से ब्रेन कैंसर भी हो सकता है। इस मामले में अब तक कई रिपोर्ट्स आ चुकी हैं। WHO यानी वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ओर से अब एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिव्यू रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल करने से ब्रेन कैंसर नही होता है।

                                                                 

WHO ने पिछले दो से दशक से ज्यादा पुरानी रिपोर्ट्स को खंगाला है और उसके आधार पर अपना रिव्यू तैयार किया है। पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में स्मार्टफोन् का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। हालांकि, इसका चलन बढ़ने के उपरांत भी स्मार्ट फोन के कारण ब्रेन कैंसर होने के साथ कोई सम्बन्ध नही पाया गया है।

नहीं होता है ब्रेन कैंसर

                                                                

इस शोध में ऐसे लोग शामिल हुए हैं, जो स्मार्टफोन का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो सालों से फोन काफी इस्तेमाल करते चले आ रहे हैं।

वर्ष 1994 से लेकर 2022 तक किए गए 63 शोध का रिव्यू करने के बाद रिसर्चर्स ने यह जानकारी रिलीज की है। इस रिसर्च में 10 देशों के 11 जांचकर्ता शामिल हुए थे, जिसमें ऑस्ट्रेलिया सरकार की रेडिएशन प्र्रोटेक्शन अथॉरिटी एक्सपर्ट्स भी शामिल थे।

यह अध्ययन बच्चों से लेकर उन तमाम लोगों के लिए राहत वाला है, जो काफी अधिक समय स्मार्टफोन पर गुजारते हैं। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि ज्यादा स्मार्टफोन यूज करने के कोई दुष्परिणाम नही होते हैं। इस रिव्यू रिपोर्ट में रेडियोफ्रिक्वेंसी रेडिएशन  के प्रभावों पर फोकस किया गया है, जिसका प्रयोग मोबाइल फोन्स के साथ टीवी, बेबी मॉनिटर के साथ ही अन्य डिवाइसेज में भी किया जाता है।

क्या कहना है आईएआरसी का

                                                           

प्रोफेसर Mark Elwood, जो इस रिसर्च के को-ऑथर होने के साथ ही एक कैंसर एैक्सपर्ट भी हैं, ने बताया कि ‘‘किसी भी शोध में रिस्क बढ़ने की बात सामने आई है।’’ अन्तर्राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) ने मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगों को ‘Possibly Carcinogenic’ यानी श्रेणी 2B में रखा है।

इसका अर्थ यह है कि अभी तक इसका कैंसर के साथ सीधा सम्बन्ध स्थापित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नही हैं, हालांकि इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता है। यह डेटा वर्ष 2011 में की गई जांच के आधार पर व्यक्त किया गया है। पुराने डेटा को देंखते हुए एजेंसी के सलाहाकार समूह ने इस श्रेणी को जल्द ही फिर से जांचने की सिफारिश की है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।