कृषि क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक डिजिटल क्रांति Publish Date : 04/09/2024
कृषि क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक डिजिटल क्रांति
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सात योजनाओं की स्वीकृति देना बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोगी होगा। यह ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र के विकास को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को ही दर्शाता है इन योजनाओं में 2.817 करोड रुपए का महत्वाकांक्षी ‘‘डिजिटल कृषि मिशन’’, का इसलिए विशेषरूप से उल्लेखनीय है क्योंकि यह न केवल किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने में सहायक होगा बल्कि कृषि के पारंपरिक तरीकों में भी आमूल चूल बदलाव लाएगा।
यह मिशन मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले साधनों के लिए योजनाबद्ध कृषि मंत्रालय की गतिविधियों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अगले दो वर्षाे यानी 2025 और 26 तक पूरे देश में शुरू किया जाना है।
इस शुरुआत का संकेत तभी मिल गया था जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इससे जुड़ी पायलट परियोजनाओं की कामयाबी का जिक्र किया था। योजना के तीन बुनियादी स्तंभ हैः जिनमें से पहला एग्री स्टेट है, जिसमें किसानों की रजिस्ट्री, ग्राम, भूमि और माप रस्सी इत्यादि शामिल है। दूसरा एग्री डीएसएस यानी कृषि निर्णय सहायता प्रणाली जिसका हाल ही में अनावरण भी किया गया था। फसलों, मिट्टी, मौसम एवं जल आदि प्राकृतिक संसाधनों पर रिमोट सेंसिंग जानकारी को एकत्र करने के लिए एक व्यापक भू स्थानिक प्रणाली बनाई गई। तीसरी बात यह कि मिशन के तहत 1.42 लाख करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि की मिट्टी की प्रोफाइल का विस्तृत मानचित्र तैयार करने की परिकल्पना की गई है।
एक कृषि प्रधान देश के लिए इतनी व्यापक योजना का क्रियान्वयन निःसन्देह एक दुष्कर कार्य होगा। दरबसल, देश के कृषि क्षेत्र में किसानों और उनकी भूमि के संबंध में जो भी रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, वह सभी अधिकतर राज्यों के विभिन्न विभागों में बिखरे हुए हैं। इस पूरी जानकारी को एक ही मंच पर लाना डिजिटल मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य है। योजना में किसानों के पहचान पत्र बनाने की बात भी शामिल है, ताकि किसानों को सरकारी योजनाओं और कर्ज इत्यादि का लाभ लेने में सहूलियत मिल सके। डिजिटल कृषि मिशन उत्तर आधारित कृषि को और गति प्रदान करेगा, जिससे किसानों को उनकी फसलों के लिए सही सलाह मौसम की सटीक जानकारी, मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण और फसलों के स्वास्थ्य की डिजिटल निगरानी जैसी कई महत्वपूर्ण सेवाएं सुलभ होगी।
दरअसल डिजिटल कृषि मिशन आधारित डिजिलॉकर और यूपीआई जैसी दूसरी ई-गवर्नेंस पहले की भांति एक दूरदर्शी योजनाएं है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पहुंच व किसानों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के अलावा कृषि योग्य एवं बंजर भूमि और फसलों से जुड़े सभी आंकड़े व जानकारी को एक सूत्र में पिरोकर देश के संपूर्ण कृषि क्षेत्र के लिए एक व्यापक डिजिटल सार्वजनिक मंच तैयार करना किसी चुनौती से काम नहीं होगा। आने वाले समय में डिजिटल क्रांति किसानों में खुशहाली लाने के लिए काफी अच्छी साबित होगी।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।