दिशा निर्देश Publish Date : 13/08/2024
दिशा निर्देश
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, कृषि वैज्ञानिक
भू-मित्र :
भू-मित्र किट में 9 कैप्सूल में 9 जीवाणु आते हैं, जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
(1) WBC- (वेस्ट डी-कम्पोजर)- यह फसल के अवशेषों को डी- कम्पोज करता है।
(2) AZO-T- (एजेटोबेक्टर)- यह फल/सब्जी वर्गीय फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है।
(3) ACT-O- (एसिटोबेक्टर)- अत्यधिक मीठी फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है।
(4) AJO-S- (ऐजो स्पॉरिलम)- यह अनाज वर्गीय फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है।
(5) RHI-ZO- (राइजोबियम)- यह दहलनी फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है।
नोट : यह सभी नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया को वायुमण्डल से नाइट्रोजन अवशोषित करके पौधों की जड़ों के लिए उपलब्ध कराते हैं।
(6) TS-B- (फॉस्फोरस सल्बु लाइजिंग बैक्टीरिया)- सभी प्रकार की फसलों को फॉस्फोरस उपलब्ध कराता है।
(7) KN-B- (पोटाश सल्बु लाइजिंग बैक्टीरिया)- समस्त प्रकार की फसलों को पोटॉश उपलब्ध कराता है ।
(8) ZS-B- (जिंक सल्बु लाइजिंग बैक्टीरिया) सभी प्रकार की फसलों को जिंक उपलब्ध कराता है।
(9) SS-B- (सल्फर सल्बु लाइजिंग बैक्टीरिया)- समस्त प्रकार की फसलों को सल्फर उपलब्ध कराता है।
नोटः- मिट्टी में विद्यमान फॉस्फोरस, पोटॉश, जिंक और सल्फर आदि तत्वों को सल्बुलाइज करके पौधों की जड़ों व्रदान करते हैं अथवा पौधों तक पहुँचाते हैं।
भू-प्रहरी किट-
भू-प्रहरी किट के 3 कैप्सूल में 9 फंगस उपलब्ध होते हैं-
(1) TS-B- ट्राइकोडर्मा (विरडी या हजेनियम), सुडोमोनास फ्लोरोसेंस, बैसीलस सबटीलिस - सभी तरह की फफूंदजनक बीमारियों की रोकथाम के लिये अतयन्त उपयोगी सिद्व होता है।
(2) PML-S-पेसलो माईसिस लीलासिनस- यह निमोटोड्स की रोकथाम के लिए उपयोगी होता है।
(3) BBMV- बिबेरिया बेसियाना-
विभिन्न फसलों में लगने वाले ग्रासहॉपर (टिड्डे) और बड़े रसचूसक कीटों के विरूद्व अतिप्रभावी रहता है।
(बी.टी) बेसिलस थुरेनजेसीस-
- विशेष प्रकार के लार्वा (इल्लीयों) पर प्रभावी सिद्व होता है।
मेटाराईजियम एनीसोफलाई
- यह लगभग सभी प्रकार के लार्वा (इल्लियों) पर प्रभावी असर डालता है।
बर्टीसीलियम लेकानी
- समस्त प्रकार के रसचूसक कीटों के विरूद्व प्रभावी होता है।
तैयार करने का तरीका-
100 लीटर पानी में उक्त किट में उबला हुआ गुड़ 1 किलो, छिला हुआ उबला आलू 1 किलो। उक्त सामग्री अच्छे से पेस्ट बनाकर 7 दिन से लिए किसी ठंडे स्थान पर रखें और सुबह - शाम लकड़ी के डंडे से इसे हिलाते रहें।
उपयोग करने की विधि-
उक्त घोल को सड़ी हुई गोबर खाद में मिलाकर खेत में छिड़काव करें
इस घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर ड्रिप सिंचाईं प्रणाली के माध्यम से खेत में दें।
उक्त घोल को सिंचाईं के बहते हुए पानी के माध्यम से खेत में चलाएँ।
स्प्रे के माध्यम से
बीमारियों और कीटों का अधिक प्रकोप होने पर उक्त घोल को सीधें पौधों पर ही स्प्रे करें तो लाभ होगा।
प्रकोप का स्तर कम होने पर 50 प्रतिशत पानी और 50 प्रतिशत घोल का प्रयोग करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।