खेत बंजर होने की कगार पर Publish Date : 06/08/2024
खेत बंजर होने की कगार पर
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
मृदा में नाइट्रोजन 90 प्रतिशत तक हुआ कम
जैविक कार्बंन नही बढ़ा तो खेत हो जाएंगे बंजर
जैविक कार्बंन की कमी के चलते तेज हवा से टूट कर गिर रहें हैं पौधें
तमाम देश के खेती कार्यों में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अन्धाधुध और अविवेकपूर्णं तरीके से प्रयोग करने से देश की मृदा में नाईंट्रोजन का स्तर तेजी से कम होता जा रहा है। हाल ही में की गईं मृदा की जाँच में सामने आया है कि हमारी जमीन में नाईंट्रजन के स्तर में 90 प्रतिशत की कमी आईं है। इसके सम्बन्ध में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि जैविक कार्बंन की मात्रा नही बढ़ी तो खेत बंजर हो सकते हैं, क्योंकि नाईंट्रोजन का चक्रण नेचुरल अर्थांत प्राकृतिक रूप से होता है।
इसके कारण यह मिट्टी में नहीं टिक पाता है। मिट्टी में नाइट्रोजन टिकने के लिए किसानों को जैविक खाद, ढैंचा के साथ दलहनी फसलों की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसको देखते हुए इस साल कृषि विभाग ने दलहन और तिलहन का रकबा 20 प्रतिशत बढ़ा दिया है। किसानों ने गेहूं को छोड़ मसूर, मूंग, चना, सरसों, राई और तीसी की खेती पर जोर दे रहे हैं। भूमिगत जल बोर्ड के अनुसार 18 जिलों की मिट्टी आर्सेनिक से प्रभावित हो गई है।
मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कितनी है कमी
.नाइट्रोजन 90 प्रतिशत
जिंक 27 प्रतिशत
जैविक कार्बन 40 प्रतिशत
पोटाश 30-35 प्रतिशत
फास्फोरस 30-35 प्रतिशत.
बोरान 20 प्रतिशत
सल्फर 22 प्रतिशत
इन जिलों में मिट्टी के साथ पानी में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है, लेकिन यह आर्सेनिक दरभंगा के बेनिपट्टी क्षेत्र में भी पहुंच गया है जबकि दरभंगा गंगा किनारे नहीं है। जैविक कार्बन मिट्टी में पाए जाने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं का भोजन होता है। मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता सही तरीके हो, इसके लिए जैविक कार्बन का होना बहुत जरूरी है।
जैविक कार्बन की कमी से मिट्टी में जलधारण की क्षमता कम हो जाती है। इससे मिट्टी में सिंचाई की जरूरत अधिक पड़ती है और मृदा में हवा का संचार भी ठीक से नहीं हो पाता है। इससे मिट्टी की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। ऐसे में तेज हवा आते ही फसल टूटकर गिर जाती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।