कृषि क्षेत्र की गतिविधियों के लिए कृषि मैपर एप      Publish Date : 05/08/2024

                        कृषि क्षेत्र की गतिविधियों के लिए कृषि मैपर एप

                                                                                                                                                                                       डॉ0 आर. एस. सेंगर

सरदार वल्लभभाईं पटेल कृषि एव प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर राकेश सिंह सेंगर ने एक अनौपचारिक बातचीत मे कहा है कि भविष्य की आवश्यकताओं और चुनौतियों को देखते हए यह अति आवश्यक है कि हमारे कृषि क्षेत्र को भी पूर्णं तकनीकी सहयोग एवं समर्थंन प्राप्त हो, क्योंकि इस क्षेत्र मे जैसे-जैसे टैक्नोलॉजी बढ़ेगी और उनकी मदद से खेती के कार्यं आसान होते जाएंगे, इससे आने वाली पीढ़ियों का खेती की ओर रूझान बढ़ेगा, हालांकि भारत सरकार के द्वारा इसके सम्बन्ध में कईं योजनाएं भी बनाईं गईं हैं।

                                                                    

डॉ0 सेंगर ने कहा कि कृषि राज्य सरकार का विषय है, जबकि केन्द्र सरकार भी इसके लिए फंडिंग कर सकती है, योजनाएं बना सकती है और बनाईं गईं योजनाओं के कार्यांन्वयन को लेकर राज्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकती है। हालांकि इसके परिणाम राज्यों की गति बढ़ने, राज्यों के द्वारा अनेक प्रकार के नवाचार करने के साथ ही कृषि क्षेत्र के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के समय समय पर समाधान करने के बाद ही सामने आ पाते हैं।

डॉ0 सेंगर ने चिंता जताते हए कहा कि वर्षं 20250 तक की चुनौति हम सभी के समक्ष है, जब हमारी आबादी बढ़ेगी, तो उसके प्रति हमारी जिम्मेदारी अपने देश की तो होगी ही परन्तु दुनिया के अन्य देश जो हम से अपेक्षा रखते हैं, उन अपेक्षाओं की पूर्तिं करने की जिम्मेदारी भी हमारी ही होगी। फिर चाहे वह सवाल फोर्टिंफाइड फसलों का हो, उत्पादन बढ़ानें का हो या फिर जलवायु परिवर्तंन के इस दौर में उच्च तापमान को सहन शक्ति रखने वाले बीजों की प्रचुरता आदि का हो, उक्त समस्त विषयों पर हमे एकसाथ काम करने की आवश्यकता है।

                                                                          

डॉ0 सेंगर ने कहा कि अब कृषि क्षेत्र का डाटा तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाते हए भारत सरकार डिजिटल एग्री मिशन पर कार्यं कर रही है और एग्रीटैक विकसित किया जा रहा है जिससे कि राज्य एवं केंद्र सरकार इस एग्रीटैक के माध्यम से पति खेत पर अपनी नजर रख सकें।

कौन से खेत में कौन सी फसल उगाईं जा रही है, यह कहां कम है और कहां अधिक है, कहां इसकी बर्बांदी है तो कहां इससे लाभ मिल रहार है आदि का अवलोकन सरकार अपने तरीके से कर सकेगी।

इस डाटा संग्रह के आधार पर ही किसानों को सलाह दी जा सकेगी कि इस सीजन मे देश के किस भाग में कौन सी खेती करना मुनाफे का सौदा रहेगा और कहां नही। इसका दूसरा लाभ किसानों को यह रहेगा कि यदि किसानों को नुकसान होता है तो एग्रीटेक का उपयोग कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से किसान के नुकसान का आंकलन कर, क्लेम की राशि का भुगतान शीघ्रता से उनके खातों में किया जा सकें।

                                                                          

उर्वंरक एवं जल के अपव्यय को रोकने के लिए भी उन्नत तकनीको की आवश्यकता है। इसके लिए राज्य सरकारे अग्रणी भूमिका निभा सकती है और इसके बाद ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। जिस प्रकार से हम उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, राज्यों के स्तर पर भी विद्यमान विषयों पर भी समय समय पर विचार किया जाना उचित होगा। यदि राज्यों की ओर से कोईं सुझाव आता है तो केंद्र सरकार उसका भी स्वागत करेगी।

इस बातचीत मे डॉ0 सेंगर ने सरकार के द्वारा लाँच किए गए कृषि मैपर एप् के माध्यम से सम्बन्धित कृषि क्षेत्र की गतिविधियों को सेटेलाइट के माध्यम से मॉनिटरिंग करने की प्रक्रिया को व्यापक रूप से किसानों को समझाया। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।