सावन के महीने में रुद्राभिषेक      Publish Date : 02/08/2024

                              सावन के महीने में रुद्राभिषेक

                                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मां

                                                                  

रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गन्ने के रस के अर्पण के निमित गौर किया जाए तो यह समस्त पदार्थ जलनशीलता से राहत देने वाले पदार्थ हैं। भगवान शंकर के अभिषेक का संबंध मानव जीवन के साथ भी जुड़ता है। मनुष्य को भी जीवन में कठिनाईंयों एवं विसंगतियों की ज्वलनशीलता का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जब तक शीतल और शांत ढंग से मन को अभी शिक्षित नहीं किया जाएगा तब तक विपरीत माहौल को अनुकूल नहीं बनाया जा सकता।

                                                                    

मनुष्य का शीश भी शिवलिंग जैसा ही प्रतीत होता है। इसी शीश भाग में स्थित पांच ज्ञानेंद्रिय शिव तत्व का एहसास कराती है और इन्हीं पांच ज्ञानेंद्रिय में विकृतियां आ जाती हैं तो दैत्य भाव जागृत हो जाता है। यदि देखा जाए तो मस्तिष्क ही नहीं पूरे शरीर ही जल तत्व प्रधान है। मानव शरीर में सहस्रव पिट्यूटरी ग्रंथि से एक निश्चित गति से जल की धार निकलती रहती है और जब कभी यह जल तत्व कम हो जाता है तो शरीर में विकृतियाँ आने लगती हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।