महामारी के दौरान जन्म लेने वाले बच्चों का 50 प्रतिशत वजन कम

                               महामारी के दौरान जन्म लेने वाले बच्चों का 50 प्रतिशत वजन कम

                                                                                                                                                                        डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

“दुनिया के 50 फीसदी कम वजनी बच्चे भारत और दक्षिण एशिया में हो रहे पैदा तो महामारी काल में तीन फीसदी बच्चे अधिक कमजोर”

कोरोना महामारी के दौरान भारत में तीन प्रतिशत से अधिक कमजोर शिशुओं का जन्म हुआ। साथ ही जन्म के समय इनका वजन भी औसतन 11 ग्राम से भी कम पाया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार जन्म के समय 2.5 किलोग्राम से कम वजन वाले शिशुओं को इस श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे लगभग 95 फीसदी बच्चे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पैदा हो रहे हैं, जिनमें से लगभग आधे भारत सहित दक्षिण एशिया के देशों में जन्म ले रहे हैं।

                                                                                 

अमेरिका के नोट्रे डेम विश्वविद्यालय का अध्ययन कम्युनिकेशन मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है, जिसके अन्तर्गत शोधकर्ताओं ने पाया कि अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 के बीच पैदा हुए कम वजन वाले शिशुओं की संख्या महामारी से पहले पैदा हुए शिशुओं की तुलना में तीन फीसदी अधिक है। अध्ययन में दो लाख से ज्यादा शिशुओं का विश्लेषण किया गया, जिसमें 12 हजार बच्चे महामारी के दौरान पैदा हुए जबकि शेष 1.92 लाख बच्चों का जन्म महामारी से पहले हुआ।

अध्ययन में भारत की ओर से 2019 से 2021 के बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण को आधार माना है। दरअसल, दुनिया भर में लगभग हर चार में से एक बच्चा कम वजन के साथ पैदा होता है। अध्ययन के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर संतोष कुमार ने कहा कि कम वजन के साथ पैदा होने वाले शिशुओं की संख्या में वृद्धि से लंबे समय तक इनके विकास पर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि ऐसे शिशुओं को अक्सर स्कूल जाने में संघर्ष करना पड़ता है। इससे उनमें वह क्षमता विकसित नहीं हो पाती, जिसे अक्सर मानव पूंजी कहा जाता है।

पहली बार स्थिति सामने आने का दावा

शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि पहली बार किसी अध्ययन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि नमूने का उपयोग करके भारत में कोरोना प्रभावित जन्म परिणाम सामने आए हैं। महामारी के दौर में कम वजन वाले शिशुओं के जन्म की व्यापकता दर 20 फीसदी है जबकि इससे पहले के दौर में यह 17 फीसदी है।

कमजोर बच्चे जन्मे

                                                                         

अमीर घरों के बच्चों पर भी पड़ा असर, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि महामारी के दौरान पैदा हुए शिशुओं में महामारी से पहले पैदा हुए शिशुओं की तुलना में कम वजन वाले जन्म का जोखिम दोगुना था। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों और सामाजिक रूप से वंचित समुदाय में महामारी से प्रभावित बच्चों की एक बड़ी संख्या देखी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि सबसे अमीर घरों के बच्चे भी बड़ी संख्या में प्रभावित हुए।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, हंस हॉस्पिटल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।