विटामिनों से भरपूर दही का सेवन कर रोग दूर भगायें

               विटामिनों से भरपूर दही का सेवन कर रोग दूर भगायें

                                                                      

दही में दूध के सभी गुण मौजूद रहते हैं। दूध में पाए जाने वाले जीवाणु गर्मी की ताप से बढ़ने लगते हैं। यह दूध में विद्यमान शर्करा को लेक्टोज अम्ल के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। जिससे दूध का मीठा स्वाद बदलकर कुछ खटास में परिवर्तित हो जाता है। यही होता है दही, इसमें दूध के गुण जैसे चिकनाहट, विटामिन-ए, और सी प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि ज्यों के त्यों विद्यमान बने रहते हैं। दही शक्तिवर्धक होने के बावजूद मोटापा नहीं बढ़ाता। यह इसकी एक विशेषता होती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार दही में पानी के अलावा फैट्स, लेक्टोज तथा कैल्शियम, आयरन तथा विटामिन ए. बी. सी. और विटामिन के भी अंश पाए जाते हैं। जबकि गर्मियों में दही की लस्सी अथवा छाछ शीतल पेय पदार्थ के रूप में सेवन किया जाता है। छाछ में वसा कम होती है और गुण अधिक होते हैं। आयुर्वेद में छाछ का उपयोग मंदाग्नि, पेचिश, आंतों की कमजोरी तथा लू लगने पर किया जाता है। भोजन के पश्चात छाछ पीने से भोजन आसानी से पच जाता है और शरीर को शीतलता भी प्रदान करता है। दही अत्यंत पाचक होता है।

                                                                

दही शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी सहायता करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दही का प्रयोग कैंसर जैसी घातक बीमारी में भी लाभदायक होता है। दही दिल के लिए भी लाभदायक होता है।

दही में एक ऐसा तत्व मौजूद होता है जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाकर दिल के दौरे के खतरे को कम कर देता है। इसके अलावा शारीरिक सौन्दर्य के लिये दही एक अच्छे क्लीनर का काम करता है। त्वचा की कांति बनाए रखने में भी दही मददगार सिद्व होता है। बालों को धोने के लिये प्राचीनकाल से दही का उपयोग किया जाता रहा है। चिकनी, काली मिट्टी के साथ अथवा कोरे दही से बाल धोने से बाल लंबे, घने, चमकीले और सॉफ्ट होते हैं। इसके लिए बालों की जड़ों में दही लगाकर कुछ देर के लिये छोड़ दें। इससे मस्तिष्क में शीतलता पहुंचती है।

                                                                           

दही की ठंडी मलाई चेहरे पर ताजगी का एहसास कराती है। यदि पेट की गड़बड़ी या कब्जियत आदि की समस्या हो जाए तो एक गिलास छाछ में चुटकी भर अजवायन का पाउडर डालकर उसे पीने से खट्टी डकारें आना बन्द हो जाती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।