अमरूद एक स्वास्थ्य वर्धक फल Publish Date : 09/05/2024
अमरूद एक स्वास्थ्य वर्धक फल
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं श्रीमति सरिता सेंगर
भारत की व्यवसायिक फलों की खेती के संदर्भ में अमरूद का अपना एक विशष महत्व है। यह एक लोकप्रिय फल है जिसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात राज्यों मे बहुलता से की जाती है। अमरूद का फल विटामिन सी, ए, और ई का एक समृद्व स्रोत होता है और इसके फल के साथ ही इसकी पत्तियों का उपयोग भी बड़ी संख्या में किया जाता है। अमरूद की पत्तियां एंटीऑसीडेंट्स, जीवाणुरोधी एवं एंटीइन्फ्लेमेंटरी गुणों से भरपूर होती हैं। अमरूद में पॉलीफेनॉल्स, टैनिन, फ्लैनेनॉड्स और कैरोटीनॉयड भी उपलब्ध होता है जो कि मानव के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य में बेहद लाभकारी सिद्व होते हैं।
हमारे प्रस्तुत लेख में अमरूद तथा उसकी पत्तियों से बनाए जाने वाले विभिन्न उत्पादों के साथ ही इनके बनाने की विधियों का उल्लेख भी किया गया है।
अमरूद केवल बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी बेहद पसंद आता है लोग अमरूद खाना बहुत पसंद करते हैं और इससे प्राप्त होने वाले कई प्राकृतिक स्वास्थ्य लाभों के बारे में भी भली भाँति जानते हैं। अमरूद विटामिन-सी, ए और ई का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसे सुपर फूड भी कहा जाता है। इसमें संतरे से चार गुना ज्यादा विटामिन-सी और अनन्नास से तीन गुना ज्यादा प्रोटीन तथा चार गुना ज्यादा पफाइबर पाया जाता है। यह भी कहा जाता है इसमें केले से अधिक पोटेशियम होता है।
पॉलीपफेनोल्स, टैनिन, फ्रलैवोनोइड्स, कैरोटीनॉयड और अन्य चिकित्सीय पौधें के यौगिकों से भरपूर, अमरूद के पत्ते दर्द और अन्य कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं से राहत दिलवाने में कारगर साबित हो सकते हैं। ज्यादातर लोगों को इसके सेवन का सही तरीका नहीं मालूम होता है। अमरूद प्रकृति में ठंडे होते हैं और स्वाद में कसैले, मीठे तथा खट्टðे होते हैं। यह त्रिदोष शामक होते हैं; यह सभी तीन दोषों यथा- वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है, जो इसे अद्वितीय बनाते हैं। अमरूद डाईट्रीफाइबर, विटामिन-ए, विटामिन-सी, फोलिक एसिड और आहार खनिज, पोटेशियम, कॉपर और मैंग्नीज आदि से भरपूर होते हैं।
अमरूद में कैरोटेनॉयड्स और पॉलीपफेनोल्स दोनों होते हैं जो उन्हें एंटी-एजिंग और एंटी-कैंसर गुणों के साथ त्वचा और बालों के लिए सबसे अच्छा बनाते हैं। अमरूद के विभिन्न भाग फल, पत्ते और छाल औषधि के रूप में उपयोगी होते हैं। अमरूद एसिडिटी, पीरियड्स में ऐंठन, मुँह के छाले तथा माइग्रेन सिरदर्द से राहत दिलाता है। डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, जोड़ों के दर्द, पोषक तत्वों की कमी, बुखार और वजन घटाने के लिए भी अमरूद अद्भुत है।
अमरूद खाने के फायदे:
- हृदय की सुरक्षा के साथ-साथ यह मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। अमरूद्व एक कार्डियो प्रोटेक्टिव फल है।
- अमरूद्व आँखों के लिए भी अच्छा रहता है, यह दृष्टि में सुधार करता है, क्योंकि अमरूद्व में विटामिन ‘‘ए’’ भरपूर मात्रा में होता है।
- विटामिन ‘‘सी’’ तथा अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने के चलते यह त्वचा और बालों को बेहतर रखने में भी सहायता करता है।
काढ़े के रूप में अमरूद्व के पत्तों का उपयोग
- महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन, एसिडिटी, डायबिटिीज एवं बालों के लिए अमरूद्व के पत्ते बहुत लाभकारी सिद्व होते हैं।
- अमरूद्व के पत्तों का सेवन खाली पेट और दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
- अमरूद्व के पत्तों के काड़े के गरारे करने से मुँह के छाले, मसूढ़ों से रक्त स्राव और मुँह से बदबू आदि में राहत मिलती है।
- अमरूद्व के पत्तों के पानी से बालों को धोने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है और इसके साथ ही बालों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
- अमरूद्व के पत्तों का काड़ा बनाने के लिए चार कप पानी में 7-10 पत्तों को तब तक उबालें जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए।
पेस्ट के रूप में अमरूद्व के पत्तें
- अमरूद्व के पत्तों से बनाया गया पेस्ट सूजन, बुखार और खाँसी और जोड़ों के दर्द जैसे रोगों में तुरंत राहत प्रदान करता है।
- संवेदनशील दाँतों और मसूढ़ों, गन्दी साँस और दाँतों स्वच्छता के साथ ही बुखार एव खाँसी जैसे रोगों में यह राहत प्रदान करता है।
अमरूद्व के पत्तों का पेस्ट बनाने की विधि
- 15-20 अमरूद्व के ताजे और हरे पत्तें को ताजे एवं स्वच्छ पानी से धोएं।
- अमरूद्व के पत्तों को एक मोर्टार में रखें और फिर किसी मूसल का प्रयोग करते हुए इन पत्तों को पेस्ट जैसी स्थिति में आने इन्हें कूटें।
- अमरूद्व के पत्तों पेस्ट को कवर करें और कैप से बन्द किसी कंटेनर में इस पेस्ट को भर दें।
अमरूद्व के पत्तों के इस पेट को आप अपने बालों एवं त्वचा की सुरक्षा के लिए उइसमें प्याज का रस, शहद, नारियल के तेल अथवा एंलोवेरा का मिश्रण भी कर सकते हैं।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।