गन्ने की खेती करने वाले किसानों को अब होगा डबल मुनाफा

       गन्ने की खेती करने वाले किसानों को अब होगा डबल मुनाफा

                                                                                                                                                     डॉ0 राकेश सिंह सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु

चीनी मिलें गन्ने के बायोमास से यूरिया, पेपर, इथेनॉल और पाली एथिलीन जैसे दर्जनों प्रोडक्ट्स बनाऐगी। गन्ने की खेती करने वाले किसानों को अब गन्ने के उत्पादन से डबल मुनाफा होने वाला है। इसके लिए एक खास प्लान तैयार करने की दिशा में काम किया जा रहा है। इस प्लान के अनुसार आने वाले समय में चीनी मिलों में गन्ने के बायोमास से यूरिया, पेपर, इथेनाल और पाली एथिलीन जैसे प्रोडेक्ट तैयार किए जाएंगे।

                                                                         

इस विषय पर कानपुर के नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में गन्ना और शुगर को लेकर शोध किए जा रहे हैं। जल्द ही अब शुगर इंडस्ट्री में चीनी के साथ अन्य कई उत्पादों को भी तैयार किया जाएगा। इस काम में गन्ने के बायोमास का इस्तेमाल किया जाएगा। बायोमास उस पदार्थ को कहते हैं जो गन्ने से शुगर निकालने के बाद बच जाता है। इस बायोमास से शक्कर से भी कीमती प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे। इससे किसानों को लाभ होगा और उनकी इनकम भी बढ़ेगी।

गन्ने के बायोमास से कौनसे उत्पाद बनाए जाएंगे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गन्ने से शक्कर बनाने के बाद बचे हुए बायोमास का इस्तेमाल करके यूरिया, पेपर, इथेनॉल, पाली एथिलीन सहित कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे। इससे शुगर इंडस्ट्री में चीनी के साथ यह प्रोडक्ट तैयार होंगे जिससे चीनी इंडस्ट्री को फायदा होगा। वहीं दूसरी ओर किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। किसानों को अभी तक गन्ने के मूल्य पर एक फिक्स अमाउंट ही मिल पाता है। लेकिन जब यह प्रोडक्ट बनने शुरू हो जाएंगे तो उनको गन्ने का अधिक रेट मिलना संभव हो सकेगा।

इसी के साथ क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसी के साथ ही अब नॉन फूड बायोमास से अपने देश में ही प्रोडक्ट तैयार होने से इनके आयात पर रोक लगेगी जिससे देश का पैसा बचेगा। अभी तक इस नॉन फूड बायोमास (Non Food Biomass) उपयोग नहीं होने से यह बेकार चला जाता था लेकिन अब इसके उपयोग से तरह-तरह के महंगे और उपयोगी उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे यह बायोमास आने वाले समय में शक्कर से भी ज्यादा कीमती होगा।

पराली जलाने की समस्या भी होगी दूर

खेती के बाद जब फसल कट जाती है तो फसल अवशेष खेत में रह जाते हैं जिसे किसान अगली फसल की खेती के लिए खेत खाली करने की जल्दी में जला देते हैं जिससे वायु प्रदूषण होता है। लेकिन अब फसल कटने के बाद बचे फसल अवशेषों जिसे पराली कहा जाता है, इससे भी प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे। इससे काफी हद तक पराली जलाने की समस्या से निजात मिल जाएगी और वायु प्रदूषण की प्रभावी रोकथाम भी हो सकेगी।

गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश अव्वल है

देश में करीब 49 हैक्टेयर में क्षेत्र में गन्ने की खेती की जाती है। इसमें यूपी में करीब देश का 45 प्रतिशत से अधिक गन्ने का उत्पादन होता है। यूपी का गन्ना उत्पादन में सबसे पहला नंबर आता है। यहां गन्ने की सबसे अधिक फैक्ट्रियां स्थित हैं जहां गन्ने से शक्कर बनाने का काम होता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना क्षेत्र में राज्य का करीब 65 प्रतिशत गन्ने का उत्पादन किया जाता है। यहां सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर आदि जिलों में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन होता है।

इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, देवरिया, कुशीनगर, बाराबंकी, सीतापुर, जौनपुर, बिजनौर और हरदोई में गन्ने का काफी अच्छा उत्पादन होता है।

यूपी में अभी कितना है गन्ने का मूल्य

उत्तर प्रदेश सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले गन्ने के मूल्य (Rate of Sugarcane) में 20 रुपए की बढ़ोतरी की थी। इसके बाद पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ने का मूल्य बढ़ा दिया गया है। गन्ने की अगेती प्रजातियों के लिए गन्ने का मूल्य 350 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 370 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

इससे अब प्रदेश में सामान्य प्रजाति के लिए पिछले वर्ष के 340 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य बढ़ाकर 360 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। वहीं गन्ने की अनुपयुक्त प्रजाति के लिए गन्ने का मूल्य 335 रुपए से प्रति कुंतल से बढ़ाकर 355 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।