गन्ने की खोई से कप बनाने का लाखो रूपये का बिजनेस      Publish Date : 05/05/2024

            गन्ने की खोई से कप बनाने का लाखो रूपये का बिजनेस

                                                                                                                                       डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

आज की अपनी इस पोस्ट में बताते हैं गन्ने के खोई, केले थंब, धान की भूसी और सब्जी और फलों के वेस्ट आदि से कप कप बनाए जा सकते हैं. और इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जात हैं।

                                                                 

भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र बिहार आदि राज्यें में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लोग खेतों में उगाए गए गन्ने से उसका रस निकाल तो लेते हैं, लेकिन उसकी खोई यानी छिलका यूं ही बर्बाद हो जाती है। कई किसान तो इसे खेतों में ही जला देते हैं, जिससे काफी प्रदूषण फैलता है। परन्तु आधुनिक समय में गन्ने की खोई से लोगों ने बड़े पैमाने पर कप, प्लेट और कटोरी आदि को बनाना शुरू कर दिया है।

गन्ने के वेस्ट को प्रोसेस करने के बाद इससे यह इको फ्रेंडली सामान बनाया जाता हैं। ऐसे में वर्तमान समय में इनका दायरा बिहार सहित मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में भी फैलता जा रहा है।

कस्टमर भी कर रहे हैं इस प्रोडक्ट को पसंद

                                                            

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगते ही बाजार फिर से खुद को नई व्यवस्था के अनुरूप ढालने लगा हुआ है।

बाजार में फिलहाल फसलों के वेस्ट मेटेरियल से डिस्पोजल थाली, प्लेट और कटोरा इत्यादि उत्पाद बाजार में उपलब्ध होने लगे हैं। ऐसे में गन्ने की खोई से बने उत्पाद बेहद खूबसूरत और टिकाऊ होने के कारण ग्राहक ज्यादा पसंद भी करने लगे हैं। ग्राहक भी दुकान पर पहुंचते ही सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प पर चर्चा करते हुए, नए उत्पाद देखना और खरीदना पसंद कर रहे हैं।

यूट्यूब पर उपलब्ध है पर्याप्त समाग्री

गन्ने की खोई, केले थंब, धान की भूसी और सब्जी एवं फलों के वेस्ट से कप, कटोरी एवं अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं और इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता हैं।

मधुमेह के मरीजों के लिए भी है लाभदायक

इस उद्योग को आरम्भ करने के कुछ समय बाद ही इसके माध्यम से बनाए गए उत्पाद का बाजार में बहुत अच्छा रिस्पांस मिलता है और लोग इनको काफी पसंद भी कर रहे है। साथ ही जो लोग मधुमेह से पीड़ित होते हैं वह लोग भी इन उत्पादों को बहुत अधिक पसंद कर रहे है क्योंकि वो चीनी डालकर चाय नही पी पाते है और अगर वह गन्ने की खोई से बने कप में चाय पीते है तो इससे उनको हल्की मिठास का अनुभव होता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।