गन्ने की जुताई और बुवाई की एक बेहतर मशीन Publish Date : 25/02/2024
गन्ने की जुताई और बुवाई की एक बेहतर मशीन
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु सिंह
Ganne ki Kheti: भारत में गन्ने की जुताई और बुवाई के लिए पावर टिलर मशीन का भी उपयोग किया जाता है, जिसकी मदद से किसानों को कठिन काम को कम समय में पूरा कर पाते हैं. इस मशीन से समय और श्रम की बचत होती है।
भारतीय कृषि क्षेत्र में गन्ने की जुताई और बुवाई को महत्वपूर्ण चरण माना जाता हैं। गन्ने की जुताई और कटाई के लिए विशेष मशीनों का उपयोग किया जाता है, जिनकी मदद से किसानों कठिन काम को कम समय में पूरा कर पाते हैं। गन्ने की बुवाई के लिए किसान बीज बोते हैं, जिसमें मशीनों का उपयोग किया जाता है। इन तकनीकी उपकरणों की मदद से किसान समय और श्रम की बचत कर सकते हैं। आपको बता दें, भारत में गन्ने की जुताई और बुवाई के लिए पावर टिलर मशीन का भी उपयोग किया जाता है।
गन्ने की जुताई और बुवाई के लिए पावर टिलर बेहतरीन मशीन क्यों है?
गन्ने की जुताई और बुवाई के लिए पावर टिलर
यदि आप छोटे स्तर पर गन्ने की खेती करते हैं, तो आपके लिए पावर टिलर बेहतरीन मशीन साबित हो सकती है। इस मशीन के साथ आप खेती में खेती, जुताई, बुवाई, और निराई कर सकते हैं। पावर टिलर मशीन रोटरी, पोडलर, लेवलर, ट्रेलरों, हल डिस्क और थ्रेशर जैसे विभिन्न कृषि उपकरणों तो आसानी से संचालित कर सकती है।
गन्ना की गुड़ाई के लिए पावर टिलर
गन्ना गुड़ाई के लिए पावर टिलर को सबसे बेहतर मशीन माना जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग गन्ने में मिट्टी को चढ़ाने के लिए भी किया जा सकता हैं। पावर टिलर के साथ गन्ना किसान लगभग 1 घंटे में एक बीघे से अधिक खेत की गुड़ाई आसानी से कर सकते हैं। इस मशीन के साथ गन्ने की गुड़ाई करने पर तेल का खर्च भी कम आता है।
पावर टिलर मशीन के लाभ
- पावर टिलर मशीन के साथ किसान खेती व बागवानी के कई कामों को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
- पावर टिलर खेत में बीजों की बुवाई और पौधों की रोपाई करने जैसे काम भी आसान बनाते हैं।
- पावर टिलर मशीन के साथ आप अपने खेंतो में कीटनाशकों का छिड़काव भी कर सकते हैं।
- पावर टिलर के साथ सूखे खेत की जुताई और उसका समतलीकरण भी किया जा सकता है।
- पावर टिलर मशीन खेतों की निराई-गुड़ाई के कार्य आसान बनाती है।
- पावर टिलर मशीन के साथ आप अलग-अलग कृषि उपकरणों को भी जोड़ कर चला सकते हैं।
- पावर टिलर मशीन के साथ आप फसल की ढुलाई कर सकते हैं।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।