आलू खुदाई के लिए पोटैटो डिगर यन्त्र      Publish Date : 25/10/2024

                      आलू खुदाई के लिए पोटैटो डिगर यन्त्र

                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

सभी सब्जियों में आलू का एक विशेष स्थान होने के कारण इसकी मांग भी पूरे साल बनी रहती है। सब्जी के अलावा आलू की प्रोसेसिंग करके अनेक प्रकार की खाद्य वस्तुएं जैसे आलू के चिप्स, पापड, बड़ी तथा नमकीन आदि भी बनाई जाती है, यह एक अलग बात है कि यह वस्तुएं घरेलू और मार्केट लेवल दोनों ही स्तरों पर बनाई जाती है। इस प्रकार से आलू की मांग सदैव ही बनी रहती है।

                                                         

अतः यदि किसान भाई आलू की अगेती खेती करें तो उसकी जल्दी ही खुदाई करके उसे मंडियों में बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और इ स प्रकार खाली हुए खेत में गेंहूँ की फसल भी उगाई जा सकती है।

हालांकि, अगेती खेती या जल्दी ही खोद लिया जाने वाता आलू कच्चा होता है, जिसे स्टोर नही किया जा सकता है, क्योंकि आलू को स्टोर करने के लिए आलू के पूरी तरह से तैयार होने के बाद जब आलू का छिलका पक जाने के बाद ही उसकी खुदाई की जाती है। आलू की फसल के तैयार हो जाने के बाद आलू की खुदाई भी समय के रहते ही कर लेनी चाहिए अन्यथा आलू खराब भी हो सकता है।

कुछ समय पूर्व तक आलू की खुदाई के लिए कृषि श्रमिकों पर निर्भर रहना किसानों की विवशता थी। इस कार्य में पैसा एवं समय अधिक लगने के उपरांत भी आलू का खेत में ही पड़े रहना भी एक प्रमुख समस्या हुआ करती थी, जिसके चलते काफी आलुओं का रंग (हरे रंग के आलू) परिवर्तित हो जाता था जिससे बाजार में ऐसे आलू की कीमत कम हो जाया करती थी।

ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए अब आलू की खुदाई करने के लिए कृषि यंत्रों का निर्माण भी होने लगा है। ऐसे ही आलू की खुदाई करने वाले यंत्र को पोटैटो डिगर के नाम से जाना जाता है।

क्या है यह पोटैटो डिगर कृषि यंत्र

                                                         

पोटैटो डिगर आलू की खुदाई करने वाला एक ऐसा कृषि यंत्र है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़कर संचालित किया जाता है। इस कृषि यंत्र के उपयोग से कम समय में बिना कटे एवं उच्च गुणवत्ता वाले आलू प्राप्त होते हैं जिससे बाजार में उनकी कीमत भी काफी अच्छी प्राप्त होती है। इस यंत्र की सहायता से आलू को उनके आकार के अनुसार अर्थात छोटे-बड़े साइज में ग्रेडिंग की जा सकती है। इस प्रकार बड़े आलू को बाजार में बेचकर अच्छी कीमत ली जा सकती है तो छोटे साइज के आलू को स्टोर कर अगले वर्ष बीज के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

आलू की फसल के तैयार हो जाने के बाद उसकी विशेष देखभाल की भी उतनी ही आवश्यकता भी होती है, क्योंकि आलू को खुला रखने पर आलू में हरेपन की समस्या आने लगती है। आलू की खुदाई श्रमिकों के द्वारा कराने से काफी संख्या में आलू कट जाते है जिससे बाजार में उनकी सही कीमत नही मिल पाती है। यदि यही कार्य आलू खोदने वाली मशीन की सहायता से किया जाए तो आलू की खुदाई अपेक्षाकृत कम समय में किए जाने से आलू की गुणवत्ता अच्छी होने के साथ ही किसान अपनी अगली फसल की बुवाई भी समय से ही कर सकते हैं।

कैसे काम करता है पोटैटो डिगर यंत्र

                                                      

केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल के द्वारा तैयार आलू की खुदाई का यह यंत्र ण्क साथ दो लाईनों की खुदाई करता है। इस यंत्र में दो तवेदार फाल लगे होते हैं, जो मिट्टी को काटते हैं। इसमें नीचे की ओर एक जालीदार यंत्र भी लगा हुआ होता है जो मिट्टी के अंदर घुसकर आलू को मिट्टी के अंदर से बाहर निकालता है। इसके साथ ही इस यंत्र पर एक बैड भी लगा होता है, जिसके ऊपर जाल से निलने के बाद आलू निकलकर गिरते रहते हैं।

यंत्र का यह बैड वाला हिस्सा लगातार हिलता रहता है और इसके हिलते रहने के कारण मिट्टी के ढेले टूटकर गिरते रहते हैं औश्र साफ आलू खेत में मिट्टी की सतह पर गिरते हुए बाहर निकलते हैं। इसके बाद श्रमिकों की सहायता से नीचे गिरे इन आलुओं को बीनकर खेत में एक स्थान पर एकत्र कर लिया जाता है। संस्थान के द्वारा बनाए गए इस यंत्र को 35 हार्सपॉवर के ट्रैक्टर की सहायता से सेचालित किया जाता है। पोटैटो डिगर की सहायता से आलू की खुदाई करने में प्रति हेक्टेयर 3 घंटे का समय और 12 लीटर डीजल खर्च होता है। पोटैटो डिगर के संबंध में अधिक जानकार प्राप्त करने के लिए किसान भाई कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नवीं बाग, भोपाल अथवा अपने नजदीकी कृषि विभाग से सर्म्पक कर सकते हैं। इस प्रकार अन्य नाम से आने वाले विभिन्न कंपनियों के उत्पाद आज बाजार में उपलब्ध हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।