
भरपूर कमाई के लिए अप्रैल में करें रजनीगंधा की खेती, इन खादों का करें प्रयोग Publish Date : 07/03/2025
भरपूर कमाई के लिए अप्रैल में करें रजनीगंधा की खेती, इन खादों का करें प्रयोग
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
रजनीगंधा एक बहुउद्देश्यीय फूल है। इसलिए व्यावसायिक दृष्टि से इसका बहुत महत्व है। इसके फूल सफेद और सुगंधित होते हैं जो हर किसी का मन मोह लेते हैं। रजनीगंधा के डंठल वाले फूलों/कटे हुए फूलों का उपयोग मुख्य रूप से गुलदस्ते बनाने और मेज और इनडोर फूलों की सजावट के लिए किया जाता है।
रजनीगंधा के फूलों की मांग बाजार में बहुत अधिक होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसके फूल अधिक समय तक ताजे रहते हैं और साथ ही यह सुगंधित और सुंदर भी होते हैं। इस फूल का उपयोग ज्यादातर गुलदस्ते, माला, गजरा, सजावट और शादियों में किया जाता है। इनके फूलों से तेल भी निकाला जाता है। रजनीगंधा के पौधे कई औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इसके गुणों के कारण इस फूल की मांग और कीमत दोनों ही बहुत अधिक होती है।
ऐसे में अगर आप भी इस फूल की खेती करते हैं तो यह आपके लिए एक फायदे का सौदा हो सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि किसानों को रजनीगंधा के फूलों की खेती के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जैसे अधिक उत्पादन के लिए कौन सा उर्वरक प्रयोग करना चाहिए और उसे कितनी मात्रा में डालना चाहिए।
रजनीगंधा के फूलों का उपयोग
रजनीगंधा एक बहुउद्देश्यीय फूल है. इसलिए व्यावसायिक दृष्टि से इसका बहुत महत्व रहता है। इसके फूल सफेद और सुगंधित होते हैं जो हर किसी का मन मोह लेते हैं। रजनीगंधा के डंठल वाले फूलों/कटे हुए फूलों का उपयोग मुख्य रूप से गुलदस्ते बनाने और मेज और इनडोर फूलों की सजावट के लिए किया जाता है।
इसके अलावा बिना डंठल वाले फूलों का उपयोग माला, गजरा, लारी और वेणी आदि के बनाने के अलावा सुगंधित तेल तैयार करने में भी किया जाता है। इसके फूल और फूल से बने सुगंधित तेल की खाड़ी देशों में काफी मांग रहती है, इसलिए यदि इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए और इसके फूल और तेल का निर्यात किया जाए तो इससे काफी अधिक कमाई की जा सकती है।
फूल की खेती के लिए खेतों का चयन
खेत का चयन करने के बाद उसे समतल कर लें और एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 बार देशी हल से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। चूंकि यह कंदीय फसल है, इसलिए कंदों के समुचित विकास के लिए खेत को ठीक से तैयार करना चाहिए। खेत को खरपतवारों से मुक्त रखें और निराई-गुड़ाई करते समय सावधानी बरतें क्योंकि इसके कंद बड़ी संख्या में निकलते हैं।
इन खादों का करें इस्तेमाल
एक वर्ग मीटर की क्यारी में 3-3.5 कि.ग्रा. अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद, 20-30 ग्राम नाइट्रोजन, 15-20 ग्राम फास्फोरस तथा 10-20 ग्राम पोटाश देना लाभकारी रहता है। नाइट्रोजन को बराबर मात्रा में तीन बार में देना चाहिए। इसके लिए एक खुराक रोपण से पहले, दूसरी खुराक 60 दिन बाद (जब 3-4 पत्तियाँ हों) और तीसरी खुराक फूल आने के बाद देनी चाहिए। खाद, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बीज बोने से पहले ही डाल देनी चाहिए।
कैसे करें खाद का प्रयोग
रजनीगंधा के पौधे खाद और उर्वरक का समुचित उपयोग कर सकें इसके लिए यह आवश्यक है कि खेत में खरपतवार निकलते ही उन्हें खेत से हटा दिया जाए। निराई-गुड़ाई करने से मिट्टी भी ढीली हो जाती है, जिससे वायु का संचार बेहतर होता है और कंद और जड़ों के समुचित विकास में भी मदद मिलती है। रजनीगंधा का प्रत्येक कंद 1-3 स्पाइक्स पैदा करता है। तीन साल के बाद प्रत्येक पौधे से छोटे-बड़े 25-30 कंद प्राप्त होते हैं। यदि बाली न काटी जाए तो 18-22 दिन तक खेत में फूल खिलते रहते हैं।
प्रायः ऐसा देखा गया है कि लगभग सभी मौसमों में एक ही किस्म के फूल पूरी तरह खिलते हैं। फलस्वरूप सुगंध भी मिलती रहती है जबकि डबल किस्म के फूल पूरी तरह न खिलने के कारण सुगंध बहुत कम या न के बराबर रहती है। व्यापारिक दृष्टि से भी एक ही किस्म उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त पाई गई है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।