
सूरजमुखी की वैज्ञानिक विधि के द्वारा खेती Publish Date : 20/02/2025
सूरजमुखी की वैज्ञानिक विधि के द्वारा खेती
प्रोफेसर आ. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
सूरजमुखी का फूल देखने में सुन्दर और आकर्षक होता है। जितना ज्यादा यह मनमोहक होता है, उससे कहीं ज्यादा हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी होता है। विश्व के कई हिस्सों में सूरजमुखी की व्यवसायिक खेती की जाती है। इस फूल को सूर्यमुखी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम हेलियनथस एनस है। इस फूल की खेती लगभग सभी देशों में की जाती है। यह अमेरिका का देशज फूल है। यहां इस पौधे को वार्षिक पौधे के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर इसे वर्ष के सभी महीनों में उगाया जाता है।
सूरजमुखी कंपोजिटी कुल के हेलिएंथस कुल का एक सदस्य पौधा है। इसकी लगभग साठ प्रजातियां पायी जाती हैं। सूरजमुखी मूल रूप से अमेरिका में उगाया जाता है। इसके अलावा इस पौधे की खेती डेनमार्क, स्वीडन, रूस, मिस्र, भारत और ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों में की जाती है। इसे सूर्यमुखी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह सूरज की पहली किरण से लेकर सूर्यास्त के समय तक सूर्य की ओर ही झुका हुआ रहता है। पौधे सूरज की ओर झुकते हैं, लेकिन सूरजमुखी के फूल को कुछ देर तक आप लगातार देखें, तो आप इसको घूमता हुआ सा महसूस कर सकते हैं।
सूरजमुखी के फूल की केवल दो प्रजातियाँ ही उगाई जाती हैं। इसके पौधे की लम्बाई लगभग एक से पांच मीटर तक बढ़ जाती है। इन पौधों के डंठल बहुत ही नाजुक होते हैं। यह हल्की हवा के झोंके से भी बीच में से टूट जाते हैं। जब यह पौधे तीन मीटर से अधिक ऊंचाई पर जाने लगते हैं, तो इन्हें किसी लकड़ी के सहारे से रोकना पड़ता है। अन्यथा यह तेज हवा में जड़ से भी उखड़ जाते हैं। सूरजमुखी के पौधे की पत्तियों की लम्बाई लगभग 7-30 सें.मी. तक होती है। इसकी कुछ प्रजातिया एकवर्षीय और कुछ बहुवर्षीय होती हैं। इसके अलावा इन्हीं प्रजातियों में कुछ पौधे बड़े कद के और कुछ पौधे छोटे कद के होते हैं।
सूरजमुखी के फूल सभी पीले फूलों की प्रजाति में सबसे बड़े होते हैं। इन फूलों की चौड़ाई लगभग 7-15 सें.मी. तक होती है। इनके बीच का भाग पूरी तरह से खुल जाता है, तो यह 30 सें.मी. से भी अधिक चौड़े हो जाते हैं। यह घरों और बगीचों में सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाएं जाते हैं। अगर इन फूलों की अच्छी तरह से देखभाल की जाए, तो यह बहुत बड़े और चौड़े होकर खिलते हैं। इसके फूल की पंखुड़ियों का रंग पीला होता है और इनके मध्य में हल्का भूरे रंग का काला चक्र स्थित होता है। इसके अंदर इसके बीज चिपके रहते हैं। बीजों का रंग भी काला होता है।
सूरजमुखी के बीजों से उच्च गुणवत्ता वाला खाद्य तेल निकाला जाता है। तेल निकालने के बाद इसकी बची हुई खली मुर्गी का दाना बनाने के काम में आती है। इसके पौधे की पत्तियों में ज्यादातर रतुआ नामक रोग लगता है। यह रोग पौधे की पत्तियों को नीचे से खराब कर देता है। इसके कारण पत्तियों के नीचे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। इस रोग को दूर करने के लिए पौधे पर सल्फर छिड़कने से पौधा स्वस्थ हो जाता है।
सूरजमुखी की प्रमुख प्रजातियाँ
टेडीबीयर, टाइटन, वेलन्टाइन, लेमन क्वीन, ड्वार्फ सनस्पॉट, स्ट्राबेरी ब्लांड, सनी हाइब्रिड, ऑटम व्यू, ऑरेंज सन, ब्लैक ऑयल, तारामीरा, इवनिंग सन, लार्ज ग्रे स्ट्राइप, अमेरिकी जायंट हाइब्रिड, आयरिश आइज, पीरीडोविक, पीच पैशन, इंडियन ब्लेंकेट हाइब्रिड, मंगोलियाई जायंट, जायंट प्रिमरोज, कांग हाइब्रिड, मेमोथ सूरजमुखी, वेलवेट क्वीन, येलो एम्प्रेस, रोस्टोव, स्काइस्क्रेपर, रेड सन, रिंग ऑफ फॉयर इत्यादि इसकी प्रमुख किस्में हैं।
सूरजमुखी का इतिहास
सूरजमुखी का फूल आकर्षक होने के साथ-साथ इसका इतिहास भी बहुत ही रोचक है। सूरजमुखी ज्यादातर पीले रंग में पाया जाता है। इसकी कई प्रजातियां ऐसी भी हैं, जो अलग-अलग रंगों में पायी जाती हैं। कुछ प्राचीन लेखकों द्वारा ऐसा लिखा गया है कि सूरजमुखी को पहली बार मैक्सिको में उगाया गया था। मैक्सिको में 2600 ई.पू. तक इसकी खेती की गयी थी। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा मानना है कि इसे दूसरी बार मध्य मिसीसिपी घाटी में उगाया गया था।
दक्षिण अमेरिका के इंकास और मैक्सिको के एजटेक्स और ओटोमी सहित अमेरिकी लोग इसका प्रयोग अपने सौर देवता (ऊर्जा देने वाला) के रूप में किया करते थे। फ्रांसिस्को पिजार्रो सूरजमुखी से मिलने वाला पहला यूरोपीय फूल था। 16वीं सदी की शुरूआत में यूरोप से फूल के सुवर्ण चित्रा और इसके बीजों को स्पेन ले जाया गया। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार स्पेन के स्थानीय लोग सूरजमुखी की खेती को दुनिया के सामने दिखाना नहीं चाहते हैं। यह उनके सौर देवता और धर्म से संबंध रखता था। जैसे-जैसे सूरजमुखी पूफल की लोकप्रियता बढ़ती गई इसकी खेती भी बढ़ती रही।
सूरजमुखी के बीज विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इनमें विभिन्न औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। बीजों के अंदर प्रोटीन, विटामिन, जिंक और कैल्शियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये शरीर को कई रोगों से छुटकारा दिलाते हैं। इसके बीजों में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इन्फ्रलेमेटरी कई गुण पाए जाते हैं। ये हमारे शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। इनकी वजह से शरीर के कई रोग खत्म हो जाते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्रलेमेटरी के अलावा सूरजमुखी के बीजों में घाव भरने की भी क्षमता होती है।
ये मानव हृदय के लिए भी बहुत लाभकारी होते हैं। इसके अंदर पाया जाने वाला पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन्स और फ्लेवोनायड हृदय से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभदायक होता है। इसके बीजों में पॉलीफेनोल लिग्निन पाया जाता है। यह शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है और कैंसर जैसी समस्याओं को होने से रोकता है। इसके बीज शरीर से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। मधुमेह वाले व्यक्तियों को हमेशा खाने की चिंता रहती है। ऐसे में सूरजमुखी के बीज उनके लिए बहुत पफायदेमंद हो सकते हैं।
मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति इन बीजों को नाश्ते में खा सकते हैं। यह उनके स्वास्थ्य पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं डालते हैं। इससे शरीर स्वस्थ बना रहता है। अक्सर बढ़ती उम्र के कारण हड्डियों में या जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण होता है, आहार में पोषक तत्वों का न लेना। अगर आहार में सूरजमुखी के बीजों को जोड़ लेते हैं, तो इससे शरीर की हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं। इसके अंदर कैल्शियम, आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
बढ़ती उम्र के साथ हमारा मस्तिष्क भी कमजोर होने लगता है, जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए भरपूर पोषक तत्व वाला आहार आवश्यक है। दैनिक आहार में पोषक तत्वों की कमी से, भूलना, सोचने की शक्ति का कम होना आदि जैसे कई रोग होने लगते हैं। इन सबसे बचने के लिए सूरजमुखी के बीज बहुत फायदेमंद हैं। शरीर में अगर ऊर्जा की कमी का अनुभव करते हैं तो आपको अपने आहार में सूरजमुखी के बीजों को आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए।
सूरजमुखी के तेल के लाभ
सूरजमुखी के बीज की तरह ही सूरजमुखी का तेल भी बहुत गुणकारी होता है। इसका तेल खाना बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा सूरजमुखी के तेल में कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसके तेल में विटामिन ‘ए’, ‘डी’, ‘ई’, पामिटिक एसिड, ओलिक एसिड और लिनोलिक एसिड पाए जाते हैं। यह सभी पोषक तत्व हमारे शरीर की त्वचा को निखारने में मदद करते हैं। अगर आप अपने हाथों पर सूरजमुखी का तेल लगाते हैं, तो इससे आपके हाथों की त्वचा को नमी मिलती है।
जब भी मुंह के किसी हिस्से में सूजन जैसी समस्या होती है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आप सूरजमुखी के तेल से कुल्ला कर सकते हैं। इसके अंदर पाए जाने वाले एंटी-फंगल गुण मुंह के अंदर कई रोगों का निवारण करते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।