
सूरजमुखी के बीज की खेती के लिए कुछ उपयोगी तथ्य Publish Date : 29/01/2025
सूरजमुखी के बीज की खेती के लिए कुछ उपयोगी तथ्य
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
भारत में सूरजमुखी की खेती का चलन अभी अपनी शैशव अवस्था में ही है, जब यह फसल तेल बीज के रूप में उभरकर सामने आई है। सूरजमुखी का तेल मानव के स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है, क्योंकि इसमें चर्बी को बढ़ाने वाले तत्व विद्यमान नही होते हैं। इण्डो-अमेरिकन हाईब्रिड शीड्स के द्वारा सूरजमुखी के संकर बीज अरूण (आई.ए.एस.एस.-1) का विकास किया गया है, जिसकी प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार से हैं-
पौधों की ऊँचाई - 160-170 सेन्टीमीटर।
शीर्ष व्यास - 14-18 सेन्टीमीटर।
परिपक्वता की अवधि - 85-95 दिन।
बीजों का भार/100 बीज - 5. से 6.0 ग्राम।
विद्यमान तेल का अंश - 40.30 प्रतिशत।
भूमि का चयनः अरूण (आई.ए.एस.एस.-1) संकर बीज से सूरजमुखी की फसल ऐसी भारी, हल्की एवं लोनी मृदा में उगायी जा सकती है, जिसमें जल निकास की पर्याप्त सुवधा उपलब्ध हो और जिस जमीन में यह फसल बोई जा रही है उसमें इससे पहली फसल भी धान की ही होनी चाहिए।
मौसमः इस संकर बीज से खरीफ, रबी और ग्रीष्मकालीन अर्था सभी मौसम में धान की खेती की जा सकती है। इसमें बीज अंकुरण काल के दौरान और विशेषरूप से प्रातःकाल के समय लगातार वर्षा नही होनी चाहिए।
भूमि की तैयारीः भूमि की 2-3 जुताई 25-30 सेन्टीमीटर गहरी करें। बीज-रोपण से 25-30 दिन पूर्व 5 टन देश खाद प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए और बीज-रोपण के समय खेत में अधिकतम नमी का होना आवश्यक है।
बीजारोपण का उचित समयः खरीफ के मौसम के दौरान जुलाई से 15 अगस्त तक, रबी के मौसम के दौरान सितम्बर से अक्टूबर के अन्त तक एवं ग्रीष्मकालीन फसल के लए 15 दिसम्बर से नवरी के अन्त तक। साथ ही इस बात ध्यान रखना चाहिए बीजारोपण के समय अधिक वर्षा न हो रही हो।
बीज की दरः एक एकड़ भूमि के लिए 02 कि.ग्रा. बीज की आवशयकता पड़ती है। इसके साथ ही बीज से उत्पन्न होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए ब्रासीकोल या थीरम फफूंदीनाशक 02 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करना चाहिए।
वर्षा प्रधानः धान की पंक्तियो के मध्य 60 सेन्टीमीटर एवं पौधे से पौधे के मध्य 20 सेन्टीमीटर का अन्तर रखना चाहिए।
संकर बीज के अच्छे अंकुरण एवं समरूप खड़ी फसल के लिए बीज की बुआई 2.4 सेन्टीमीटर की गहराई पर करना आवश्यक होता है।
खरपवार नियन्त्रणः धान के खेत को रोपाई के बाद खरपतवार से मुक्त रखना अनिवार्य होता है। एक सफल संकर खेती के लिए 20-25 दिनों में पहली तथा 30-35 दिन में दूसरी गुड़ाई करनी चाहिए और इसके बाद मिट्टी में हल्की उथल-पुथल होनी आवश्यक है।
खरपतवार नाशक लासो (अलाक्लोर) 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से देने पर खरपवार को प्रभावशाली ढंग से नियन्त्रित किया जा सकता है। इस खरपतवार नाशक दवाई का छिड़काव बुवाई करने के दिन थ्वा उसके एक या दो दिन के बाद भी किया जा सकता है।
पौध संरक्षण के उपायः
1. रोगः रस्ट, मृदुरोमिल मिल्ड्यू
बीजारोपण एवं बीज अन्तरालः मृदुरोमिल मिल्ड्यू
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।