चमेली के फूलों की खेती      Publish Date : 24/09/2024

                             चमेली के फूलों की खेती

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हमारे देश में अधिकतर किसान साग-सब्जी की खेती करते हैं, लेकिन जिला मेरठ के कई किसान ऐसे भी हैं जो फूलों की खेती भी करते रहे हैं। इन्हीं किसानों में सरधना मेरठ के एक किसान राजबीर सिंह त्यागी भी शामिल हैं, जो पिछले कई वर्षों से चमेली के फूलों की खेती कर रहे हैं। इस खेती से उन्हें अच्छी आमदनी होती है और वह इससे पूरी तरह से संतुष्ट भी हैं।

                                                      

फूलों खेती करने वाले किसान राजबीर सिंह त्यागी ने बताया कि चमेली के पौधे को एक बार लगाने के बाद 3 से 4 साल तक उसमें फूल आने का इंतजार करना पड़ता है। लेकिन इसके बाद नॉनस्टॉप कमाई होती रहती है। आठ महीने तक चमेली के पौधों से हर दिन फूल मिलते हैं। एक पौधे से लगभग 500 ग्राम फूल प्रतिदिन मिलते हैं, जो अच्छी कमाई का स्रोत बन जाते हैं।

श्री त्यागी ने आगे बताया कि एक बीघे जमीन में लगभग 100 चमेली के पौधे लगाए जा सकते हैं। प्रत्येक पौधे से प्रतिदिन 500 ग्राम फूल किसान को मिलते हैं और इन फूलों की कीमत सीजन के अनुसार 50 रुपये से 200 रुपये प्रति किलो तक होती है। विशेष रूप से शादी-विवाह के समय इन फूलों की कीमत और भी अधिक बढ़ जाती है।

चमेली के फूलों का उपयोग शादी में वर-वधू की जयमाला, दुल्हन के सिंगार गहने, मंदिर और मजार पर चढ़ाने के लिए माला और चादर बनाने में किया जाता है। इसके अलावा, चमेली के फूलों से बेहतरीन खुशबूदार इत्र भी तैयार किया जाता है, जिसे ‘चमेली इत्र’ कहते है।

                                                     

चमेली के फूलों से बना इत्र काफी प्रसिद्ध है। चमेली के फूल की बढ़ती मांग को देखते हुए ही इस फूल की खेती और उत्पादकता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, धार्मिक स्थलों पर चढ़ाने के लिए भी इन फूलों की स्थिर मांग बनी रहती है।

किसान राजबीर त्यागी ने बताया कि चमेली की खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है। उन्होंने अन्य किसानों को भी इस लाभकारी खेती को अपनाने की सलाह दी है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।