पेट से जुड़ी हर बीमारी का उपचार है यह औषधीय पौधा Publish Date : 06/11/2023
पेट से जुड़ी हर बीमारी का उपचार है यह औषधीय पौधा
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
लाजवंती (छुईमुई) का पौधा
धरती पर हमारे आस-पास हजारों ऐसे पेड़-पौधे मौजूद हैं, जो अपने औषधीय गुणों के कारण काफी मशहूर हैं। इन औषधीय पौधों का इस्तेमाल कई दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन आज जिस औषधि के बारे में हम बताएंगे उसकी खासियत जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जी हां, प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई एक ऐसी औषधि, जिसे छू लेने से ही वह शर्मा जाती है।
हम बात कर रहे हैं लाजवंती की, जिसे आम भाषा में छुईमुई के नाम से जाना जाता है। इस औषधि का नाम भले ही अजब-गजब है, लेकिन इसके फायदे कहीं ज्यादा हैं और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होती है। ये औषधि किसी संजीवनी से कम नहीं है। यह पेट के तमाम गंभीर बीमारियों के लिए रामबाण है। इसके अलावा डायबिटीज के साथ ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करती है।
डायरिया में भी दिलाए राहत
यह लाजवंती का पौधा डायरिया की समस्या में भी राहत पहुंचाता है। आयुर्वेदचार्य बताते हैं कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा है, जिसको लाजवंती या आम भाषा में छुईमुई के नाम से जानते हैं। यह औषधि स्वस्थ मानव जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण योगदान रखती है। किसी भी प्रकार के पेट से जुड़ी बीमारी हो उसको जड़ से खत्म करने में यह लाजवंती कामयाब सिद्ध होती है।
इसका उपयोग और महत्व
यह औषधि एक छोटे पौधे के रूप में होती है, जो धीरे-धीरे फैलती जाती है। इसकी पत्ती आंवले के पत्ते के समान होती है। इसके फूल भी काफी सुंदर और आकर्षित होते हैं। इसके फूलों का रंग गुलाबी होता है। यह औषधि अनेकों प्रकार के पेट के गंभीर बीमारियों में रामबाण की तरह काम करती है। इसकी पत्तियां स्वस्थ मानव जीवन में बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है। यह पेट के तमाम गंभीर रोगों के अलावा डायबिटीज और शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी काफी मददगार साबित होता है।
ऐसे करें इस औषधि का उपयोग
लाजवंती की पत्तियां काफी उपयोगी होती हैं, इसके पत्तियों को साफ सुथरा से धो करके काढ़ा बनाया जाता है। जो उपयुक्त तमाम बीमारियों में रामबाण की तरह काम करती है। जो इसके काढ़े का प्रयोग नहीं करना चाहता है। वह इसके पत्तियों को टैबलेट के रूप में बनाकर भी प्रयोग कर सकता है। तमाम बीमारियों में अलग-अलग प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है।
डॉक्टर के परामर्श से करें इस्तेमाल
इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में और चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।