याददाश्त का धीरे-धीरे गुम होना अर्थात अल्जामर Publish Date : 30/10/2023
याददाश्त का धीरे-धीरे गुम होना अर्थात अल्जामर
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
अधिकतर हमारे बुजुर्गों में होने वाला अल्जाइमर नामक रोग अपने आप में एक बड़ी समस्या होती है। क्योंकि यह रोग बुजुर्गों के दैनिक क्रियाकलापों में व्यवधान डालता है।
अल्जाइमर रोग के अन्तर्गत पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त धीरे-धीरे इस कदर गुम हो जाती है कि व्यक्ति अपने आप को भी भूल जाता है, और यह स्थिति किसी के लिए भी एक खतरनाक स्थिति हो सकती है। अल्जाइमर नामक रोग में होने वाली इस समस्या से आप स्वयं तथा अपने बुजुर्गों को समय के रहते बचा सकते हैं।
अल्जाइमर एवं मेमोरी लॉस के खतरों से आपको बचा सकती हैं हम सभी के घरों में उपलब्ध रहने वाली ये चीजें या आयुर्वेदिक हर्ब्स-
अल्जाइमर तथा मेमोरी लॉस से बचा जा सकता है घरों में सदैव उपलब्ध रहने वाली कुछ चीजें यानि कि आयुर्वेदिक हर्ब्स-
रोग के अन्तर्गत होने वाली इस समस्या से आप समय के रहते अपना बचाव कर सकते हैं।
वर्ल्ड अल्जाइमर डे वर्ष 2021 (World Alzimer’s Day) का लक्ष्य इस सर्वव्यापि रोग के सम्बन्ध में जागरूकता में वृद्वि कर इसकी रोकथाम के उपयों की तलाश करना भी है। अल्जाइमर के अन्तर्गत इससे पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त धीरे-धीरे खोने लगती है कि स्थिति यहाँ तक बदतर हो जाती है कि पीड़ित स्वयं अपने आप को भी भूल जाता है। इस मामले में विभिन्न वैज्ञानिकों का यह मत है कि आयुर्वेद में उपलब्ध कुछ विशेष हर्ब्स बुजुर्गों की इस संज्ञानात्मक क्षति (Behavioral Loss) को रोकने में सक्षम हो सकती है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी, कि आयुर्वेद की यह महान जड़ी-बूटियाँ अक्सर आपके आसपास या आपके घरों में ही उपलब्ध होती हैं। तो आइऐ जानने की कोशिश करते हैं आयुर्वेदिक हर्ब्स के बारे में जो आपकी मेमोरी को बूस्ट कर डिमेशिया और अल्जाइमर्स जैसे घातक रोगों से आपका बचाव करने में सक्षम होती हैं।
विभिन्न शोधों के परिणाम
इन्टरनेशनल जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेंडिसिन के अनुसार, कई आयुर्वेदिक हर्ब्स अथवा ज्ड़ी-बूटियाँ अल्जाइमर एवं न्यूरोडीजेनेरेटिव किवारों को रोकने में सक्षम होती है। अक्सर घरों में उपलब्ध रहने वाली ये जड़ी-बूटियाँ वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हैं, और इनका सेवन नियमित आहार के में शामिल करके प्रतिदिन किया जा सकता है।
आपकी याददाश्त और संज्ञानात्मक क्षमता पर सकारात्मक (Positive Effect) प्रभाव डालने वाली जड़ी-बूटियाँ अथवा मसालों में से कुछ अग्रवर्णित हैं-
1. दालचीनी (Cinnamon)
दालचीनी एक इसी प्रकार का मसाला होता है, जो कि प्रायः प्रतयेक घर की रसौई में उपलब्ध होता हैं हमारे वृद्व, व्यस्कों तथा लोगों के लिए दालचीनी काफी लाभदायक सिद्व हो सकती है, क्योंकि इसमें प्री-फ्रंटल, कॉर्टेक्स में (Blood Circulation) को दुरूस्त करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है, जो कि मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सही रखता है।
यह कोलेस्ट्रॉल, फॉस्टिंग ग्लूकोज तथा HBAC के स्तर को कम करने और इन्सुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में भी दिखाई दी है।
2. हल्दी (Turmeric)
वर्ष 2010 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रारम्भिक शोध के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि हल्दी मस्तिष्क के स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, और बीटा-एमिलॉइड (एक प्रोटीन की टुकड़ा), मस्तिष्क को साफ कर अल्जाइमर रोग को दूर करने में सक्षम है।
चित्रः हल्दी होती है अल्जाइमर में लाभादायक
बीटा-एमिलॉइड के निर्माण को अल्जाइमर से सम्बन्धित मस्तिष्क पट्टिका को बनाने के लिए जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, हल्दी मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को टूटने से रोककर मस्तिष्क के स्वास्थ्य की रक्षा करने में साक्षम होती है।
1. केसर (Saffron)
वर्ष 2016 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार केसर अल्जामर रोग से ग्रसित लोगों की याददाश्त में सुधार कर सकता है। इसके अतिरिक्त, ईरान में तेहरान विश्वविद्यालय में किए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया कि केसर हल्के से लेकर मध्यम अवसाद वाले रोगियों के उपचार में अवसादरोधी दवा के रूप में भी प्रभावित रहा। अवसाद से उत्पन्न स्मृति की समस्याओं तथा भूलने की बीमारियों के रोगों के साथ सम्बद्व है।
2. थाइम (Thyme)
यह एक स्वादिष्ट जड़ी-बूटी होती है जो हमारे विभिन्न न्यूरॉन्स को समय से पूर्व बूढ़ा होने से बचाने में सहायता करती है। यह मस्तिष्क में सक्रिय ओमेगा-3 डीएचए (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड) की मात्रा में भी वृद्वि करता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड स्मृति, फंकशन और मूड को बढ़ा सकता है और मस्तिष्क शोध को भी कम कर सकता है।
3. अश्वगंधा
मन की शांति को बनाए रखने के लिए अश्वगंधा भी आपकी सहायता कर सकता है।
अल्जाइमर रोग की पत्रिका वर्ष 2015, के अनुसार अश्वगंधा ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके मस्तिष्क को लाभ पहुँचाने में सक्षम होता है। यह एक कारक है जो अल्जाइमर रोग के विकास और उसकी प्रगति में योगदान करता हैं केवल इतना ही नही, यह मानव मस्तिष्क को सुदृढ़ता प्रदान करता है, जो कि वृद्वावस्था में बहुत जरूरी होता है।
4. तिल का तेल
आयुर्वेद में याददाश्त में वृद्वि के लिए तिल के तेल का भी उपयोग किया जाता है। इसके लिए तिल के तेल को गुनगुना गर्म करके उसकी 3-3 बून्दों को रोगी की नाक के दोनों नाथुनों में डाल सकते हैं और तिल के तेल से ही रोगी के सिर एवं पैर के तलुओं की मालिश करने के अलावा इसका उपयोग भोजन में करना भी लाभदायक होता है।
5. शंखपुष्पी
आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी को एक ब्रेन टॉनिक माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें उपलब्ध इसके विशेष तत्व मस्तिष्क की विभिन्न कोशिकाओं को सक्रिय कर उसकी भूलने की समस्या को दूर करने में समर्थ होते हैं। इसके लिए इसके 3 से 6 ग्राम चूर्ण को दृरोजाना दूध के साथ सेवन करना चाहिए।
6. पीपल
अल्जाइमर रोग से जूझ रहे लोगों के लिए लिए एक शोध के माध्यम से एक आशा भरी किरण सामने आयाी हैं इस शोध में बताया गया कि अल्जाइमर के एंजाइम की गतिशीलता को रोकने में पीपल काफी मददगार सबित हो सकता है। पीपल के वृक्ष के तने से लिए गए टिश्यू का लेबोरेटरी ट्रायल भी इसके समर्थन में ही रहा। यह शोध चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग के द्वारा पीपल की मेडिसिन प्रापर्टी पर किया गया था।
परहेज
अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति को निम्न का सेवन करने से बचना चाहिए-
अल्जाइमर तथा इसके जैसे अन्य रोगी से बचने के लिए रेागी को अपने वजन को नही बढ़ने देना चाहिए, धूम्रपान न करें, शराब का सेवन करें। इसके अतिरिक्त ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल आदि को को नियन्त्रित रखना चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रभावित व्यक्ति के सिर पर किसी भी प्रकार की चोट आदि न लगने पाएं।
अल्जाइमर के रोगी के लिए कम्पलीट भोजन
स्वस्थ शरीर के लिए बेहद आवश्यक हैं यह 6 पोषक तत्व जो खाने की थाली को बनाते हैं कम्पलीट
लेखकः सरदार वल्लभभाई कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।