DENGUE AURVEDIC REMEDIES:      Publish Date : 10/09/2023

                                                        DENGUE AURVEDIC REMIDIES:

                                                                                               डॉ0 सुशील शर्मा, आयुर्वेदाचार्य, डॉ0 राकेश सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                           

डेंगू बुखार के होने पर सामान्यतौर पर नजर आते हैं यह लक्षण, आप इन लक्षणों को कम करने के लिए निम्नलिखित इन आयुर्वेदिक उपायो को अपना सकते हैं-           

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आयुर्वेद अपने आप में एक सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान है जो समय समय पर विभिन्न रोगों के समाधान में अपनी उपयोगिता को सिद्व करता रहा है। इसी प्रकार से Dengue/डेंगू बुखार भी एक गंभीर बीमारी है, जिससे मानूसन सीजन के इस मौसम में आजकल कई सारे लोग प्रभावित भी हो रहे हैं। पिछले कुछ समय से देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार इसके मामले सामने आ रहे हैं। मच्छरों के काटने से होने वाली यह बीमारी कभी भी गंभीर रूप भी धारण कर सकती है, अगर सही समय पर इसका उचित उपचार न किया जाए।

हम आपको आज की अपनी इस ब्लॉग पोस्ट में बताने जा रहें हैं कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में जो डेंगू के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते है।

                                                                                        

इन आयुर्वेदिक उपायों से कम करने डेंगू के लक्षण

1.  डेंगू एक गंभीर बीमारी है, जो इन दिनों तेजी से फैल रही है।

2.   यह बीमारी आमतौर पर मच्छरों के काटने से फैलती है।

3.   डेंगू से पीड़ित व्यक्ति में तेज बुखार, बदन दर्द, जोड़ों का दर्द, शरीर पर लाल-लाल चकत्ते पड़ना और उल्टी आना आदि शामिल होते हैं।

तो आइए अब जानते हैं डेंगू के लक्षणों को कम करने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय-

Dengue Aurvedic Remedies:

                                                          

डेंगू एक मॉस्किटो बाईट डिजीज होती है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से इंसानों में फैलता है। इस वायरस को विस्तारित करने के पीछे मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी नामक मच्छर जिम्मेदार माने जाते हैं। पिछले कुछ समय से देश भर में लगातार डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे हालात में यह जरूरी है कि इसे लेकर उचित सावधानी बरती जाए, क्योंकि कहावत है कि बचाव उपचार से बेहतर है। डेंगू का बुखार अपने आप में एक गंभीर बीमारी होती है, जिसका सही समय पर उपचार नही होने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

हालांकि, अब इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सही जानकारी और उचित उपचार की मदद से इस समस्या का निवारण समय रहते ही किया जा सकता है। अगर आप या आपके आसपास या कोई आपका परिचित व्यक्ति डेंगू का शिकार है, तो आज हम आपको बताने जा रहें हैं कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपाचार के बारे में, जिनकी मदद से आपको डेंगू के लक्षणों को कम करने में जरूरी मदद प्रदान कर सकते हैं।

डेंगू के लक्षण

                                                                                         

डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी नामक संक्रमित मच्छर के काटने के कारण से होती है। जब डेंगू का वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, तो इसके कई सारे लक्षण भी नजर आने लगते हैं। ये लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक डेंगू से प्रभावित व्यक्ति के शरीर में बने रहते हैं। एक आम व्यक्ति भी निम्न लक्षणों से इसकी पहचान कर सकता हैं-

  • तेज बुखार का होना।
  • गले में खराश होना।
  • लगातार सिरदर्द का बने रहना।
  • पूरे बदन में दर्द होना।
  • बार बार मतली का मन होना।
  • शरीर पर लाल रंग के चकत्तों का पड़ जाना।
  • प्रभावित व्यक्ति को उल्टी होना।

डेंगू के लक्षण को कम हेतु आयुर्वेद के करें यह उपाय-

नीम

                                                            

नीम अपने औषधीय गुणों के मशहूर है, नीम की पत्तियां एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती हैं। कई अध्ययनों में यह तथ्य सामने आ चुका है कि अपने औषधीय गुणों के कारण से ही नीम डेंगू बुखार में काफी कारगर साबित होती है। आयुर्वेद के मुताबिक, नीम का अर्क चार प्रकार के डेंगू वायरस के विकास को रोकने में हमारी सहायता करता है।

पपीता

                                                                 

पोषक तत्वों से भरपूर पपीता का सेवन करने से कई तरह की शारीरिक समस्याओं को दूर करने में लाभकारी सिद्व होता है। लोग पपीते को कच्चा और पका हुआ दोनों तरीकों से उपयोग करते हैं। डेंगू के गंभीर लक्षणों को तेजी से कम करने में भी पपीता काफी सहायक है। विभिन्न अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि पपीते की पत्तियां मलेरिया की रोकथाम के लिए सहायक होती है, जबकि पपीता, डेंगू के उपचार हेतु भी उपयोग किया जा सकता हैं। हालांकि, किसी गर्भवती महिला या किसी ऐसे व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, जो पहले से किसी प्रकार की दवाईयों का सवेन कर रहा है।

चंदन और गुलाब जल

चंदन और गुलाब जल दोनों ही इनमें उपलब्ध कई सारे गुणों के लिए जाने जाते हैं। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति डेंगू का शिकार है, तो चंदन और गुलाब जल का पेस्ट इन रोगियों के लिए काफी सहायक साबित होगा। दरअसल, डेंगू में त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं। ऐसे में इस ठंडे पेस्ट के कारण आप इन चकत्तों से छुटकारा पा सकते हैं। हालांकि, यह एक अस्थाई उपाय होता है इसलिए इनसे छुटकार पाने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

गिलोय

                                                        

गिलोय आयुर्वेद में उपयोग की जाने दवाली एक बहुमूल्य जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग मानव के शरीर की विभिन्न व्याधियों एवं समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में गुडूची के नाम से भी जाना जाता है। अपने कई सारे पोषक तत्वों की वजह से यह डेंगू बुखार के अलावा अन्य प्रकार के बुखारों में काफी फायदेमंद होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक गिलोय के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से डेंगू के मरीजों के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

कालमेघ

कालमेघ भी एक प्रसिद्व आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी होती है, जो अपने अद्भुत गुणों के लिए जानी जाती है। अपने अन्य उपयोगों के साथ ही यह डेंगू बुखार में भी काफी लाभदायक सिद्व होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्वाद में कड़वी यह जड़ी-बूटी डेंगू वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी असर रखती है।

Disclaimers: इस लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव एवं सामग्री केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए ही प्रदान की गई हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो उसके समाधान के लिए आप हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह करें।