दोपहर की सुस्ती, क्या है उपाय      Publish Date : 18/04/2025

दोपहर की सुस्ती, क्या है उपाय

डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

“उनींदापन भले ही अस्थायी हो, लेकिन कई बार यह काम में बाधक बन जाता है। इससे बचने के लिए क्या है समाधान।“

                                               

सुबह उठते ही आप दिन का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं। कामों को निपटा रहे होते हैं, लेकिन जैसे ही दिन के दो बजते हैं, आपको एक थकान घेरने लगती है और आपको अचानक नींद के झोंके आने लगते हैं। ऐसी दशा में आप जो अनुभव करते हैं उसे आमतौर पर लोग ‘दोपहर की सुस्ती’ कहते हैं। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह एक सामान्य शारीरिक क्रिया ही है। हालांकि कुछ देशों में दोपहर के समय में से दूर होकर थोड़ी देर आराम करने का चालन है, लेकिन हमेशा यह संभव नहीं हो पाता है कि दिन की मध्यावधि में आप समय निकालकर थोड़ा झपकी ले सकें।

यहां हमें समझना होगा कि इसके पीछे एक विज्ञान है. जिसका हमें प्रबंधन करने का प्रयास करना होगा। क्यों दोपहर में आती है झपकी, उनींदापन या सुस्ती आने के पीछे सर्केडियन रिदम और नींद के दबाव को ही कारण माना जाता है। सर्केडियन रिदम निर्धारित करता है कि दिनभर के चक्र के दौरान शरीर की क्रिया कैसे बदलती है। यह रिदम मुख्यतः मस्तिष्क में जैविक घड़ी यानी बायोलाजिकल क्लाक से तय होता है। हम जितनी देर तक जागते हैं, नींद का दबाव उतना ही बढ़ता जाता है। हमारा सर्केडियन रिदम वातावरण से भी प्रभावित होता है यानी दिन की रोशनी में हम अलर्ट रहते हैं. वहीं अंधेरा होने पर नींद महसूस करने लगते हैं।

कुछ परिवर्तन बहुत ही सामान्य होते हैं जैसे कुछ लोग देर रात तक जागते हैं, लेकिन दोपहर के समय में सुस्ती महसूस करते हैं। खासकर जब जाग्रत अवस्था में रखने वाले कुछ न्यूरोट्रांसमीटर्स की सक्रियता कम हो जाती है। आमतौर पर जब हम सुबह जल्दी उठते हैं तो नींद का भाव कम होता है। शरीर एक बैटरी की तरह है. जो रात की अच्छी नींद के दौरान पूरी तरह चार्ज हो जाती है लेकिन देर और नींद का दबाव बढ़ता जाता है।

सुस्ती का समय बदलता रहता है, कुछ लोगों को शाम के समय भी सुस्ती महसूस होती है। अगर आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है या आपके सोने का समय तय नहीं है तो यह समस्या और बिगड़ सकती है। साथ ही इन्स्मीनिया या स्लीप एप्निया जैसे स्लीप डिसआर्डर इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।

भोजन की भूमिकाः चीनी और कार्बाेहाइड्रेट या पास्ता आदि के सेवन से भी आलस्य आता है। ऐसा भोजन करने के बाद शरीर को रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जात है और अग्नाशय को अधिक इंसुलिन उत्सर्जित करना पड़ता है। शुगर और रिफाइंड तेजी से पच जाता है. इससे आपको अतिरिक्त सुस्ती महसूस होती है, लेकिन रक्त में अतिरिक्त इंसुलिन आने की वजह से थोड़ी देर बाद आलस्य महसूस होने लगता है।

दिन में सुस्ती दूर करने के उपाय

                                    

  • आरामदेह झपकी ले उनीदापन दूर करने के लिए हलकी नीद लेना ही सबसे बेहतर उपाय माना जाता है। अगर आप दिन के समय में झपकी ले रहे है तो इसके लिए 20 मिनट या इससे कम समय ही रखें।
  • आसान कार्य करें: अगर आप थकान महसूस कर रहे हैं और कार्य को जारी भी जरूरी है तो अपेक्षाकृत कम एकग्रता वाले काम करें, जैसे ई-मेल, इनकी सैटिंग या रूटीन पेडशीट भरने जैसे काम इस दौरान आप कर सकते हैं।
  • सक्रियता बढ़ाएं: अगर आपको सुस्ती महसूस हो रही है तो आपको बाहर निकलकर टहलने का प्रयास करना चाहिए। अनेक शोध बताते है कि शारीरिक सक्रियता बढ़ाने से अलर्टनेस भी बढ़ जाती है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।