अस्थमा/दमा से राहत के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार      Publish Date : 19/02/2025

            अस्थमा/दमा से राहत के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार

                                                                                                                                                     डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा 

अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसमें सांस की नली में सूजन हो जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगते हैं। सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई, खांसी और खाँसते समय सीने में दर्द होना आदि अस्थमा के प्रमुख लक्षण होते हैं। अस्थमा के लक्षणों को अनदेखा कदापि नही करना चाहिए, बल्कि सही समय पर अस्थमा का उपचार कराना चाहिए।

                                                                    

यदि अस्थमा का सही तरीके से उपचार नही किया जाए तो इसके लक्षण और अधिक बढ़ने लगते हैं। हमारे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ आसान आयुर्वेदिक उपचारों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। आज के अपने इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं जो अस्थमा के उपचार में सहायक हैं।   

1- तुलसी (Tulsi)

                                                              

आयुर्वेद में तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। तुलसी में कफ को दूर करने वाले गुण भी पाए जाते हैं। तुलसी का सेवन से रेस्पिरेटरी ट्रैक में जमा हुआ कफ दूर होता है और इसके साथ ही सांस की नली की सूजन भी कम होती है। 

अस्थमा के इलाज में तुलसी के लाभ

तुलसी की चायः 5-10 तुलसी की पत्तियां पानी में डालकर उबालें और जब हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद मिलाकर इसका सेवन करें। दिन में एक से दो बार इसे पीने से खांसी से आराम मिलता है और गले में जमा कफ भी दूर होता है।

तुलसी का अर्कः आजकल बाजार में तुलसी का अर्क आसानी से उपलब्ध है। अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए तुलसी के अर्क की 2-3 बूंदें एक कप पानी में मिलाकर इसका सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।

तुलसी की पत्तियाँ: तुलसी से मिलने वाले तमाम लाभों को पाने के लिए आप सीधे तुलसी की पत्तियों का सेवन भी कर सकते हैं। तुलसी की 5-6 पत्तियां रोजाना चबाकर या सलाद में डालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

2. मुलेठी या यष्टिमधु (Licorice Root)

                                                                  

यष्टिमधु को आम बोलचाल में मुलेठी भी कहते है। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ की एक उत्तम औषधि होती है जो कफ को गले में जमने से रोकतीं है। मुलेठी में कफ को शांत करने वाले गुण होते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए यह काफी उपयोगी सिद्व हो सकती है। इसका सेवन करने से गले में कफ नहीं जमता है और खांसी से जल्दी राहत मिल जाती है।

अस्थमा में मुलेठी के सेवन करने की विधि 

मुलेठी का चूर्णः मुलेठी के चूर्ण को शहद या गुनगुने पानी के साथ मिलाकर सेवन करने से फेफड़ों से जुड़ी तमाम समस्याओं में लाभ मिलता है।

मुलेठी की चायः मुलेठी का उपयोग चाय के रूप में भी किया जा सकता है। जब कभी आप चाय बनाएं तो उसमें आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण मिला दें और इस चाय को 5-10 मिनट तक उबालें। दिन में एक से दो बार इस चाय का सेवन प्रतिदिन करें।

3. अदरक (Ginger)

                                                         

अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। कुछ लोग चाय में इसका उपयोग करते हैं तो वहीं कुछ लोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ को कम करने की अचूक दवा है और अस्थमा के मरीजों के लिए रामबाण है। अदरक श्वासनली को फैलाने में भी मदद करता है जिससे आपको सांस लेने की समस्या में आराम मिलता है।

अस्थमा से राहत के लिए अदरक का सेवन करने का तरीका

अदरक की चायः अदरक की चाय बनाने के लिए, एक छोटी सी कटी हुई अदरक को पानी में डालकर उबालें और थोड़ा शहद और नींबू का रस भी मिलाकर इसका सेवन करें। इस चाय को दिन में एक से दो बार पी सकते हैं। अदरक की चाय फेफड़ों की समस्याओं से आराम दिलाने का काम करती है।

अदरक का रसः अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अदरक का ताजा रस निकालकर सेवन करें। अदरक के रस में शहद मिलाकर करना शीघ्र राहत प्रदान करता है।

इसके अलावा आप सब्जियों में या कोई भी डिश बनाते समय उसमें कटी हुई अदरक डालकर इसका सेवन कर सकते हैं। हालांकि, इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि जल्दी फायदे के लिए अधिक मात्रा में अदरक का सेवन ना करें।

4- अडूसा (Adusa)

                                                              

अडूसा एक औषधीय पौधा है जिसकी पत्तियां अस्थमा के उपचार के लिए बहुत लाभकारी होती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक अड़ूसा की पत्तियां का प्रयोग अस्थमा के लक्षणों को कम करने में प्रमुखता से करते है। अडूसा की पत्तियों में श्वासनली को फैलाने का गुण पाया जाता है और इसके सेवन से सांस लेने में कठिनाई की समस्या में राहत मिलती है। 

अस्थमा के इलाज में ऐसे करें अडूसा का उपयोगः

अडूसा पत्ती का काढ़ाः अडूसे की पत्तियों को सूखा लें और पाउडर बनाकर सेवन करें। इस पाउडर को एक कप गर्म पानी में डालकर उबालें और जब एक चौथाई बचे तो छानकर चाय की तरह सेवन करें।

अडूसा पत्ती चूर्णः अडूसा पत्ती चूर्ण का इस्तेमाल शहद के साथ करने से अस्थमा के लक्षणों में कमी आती है। अडूसा पत्ती का चूर्ण बाजार में आसानी से मिल जाता है।

5- अस्थमा के लिए प्राणायाम और योगः

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के अलावा योग और प्राणायाम की मदद से भी आप अस्थमा के लक्षणों से राहत पा सकते हैं। अगर आप अस्थमा से पीड़ित हैं तो अनुलोम विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति योगासन करें। अगर आप पहली बार ये योगसान करने जा रहे हैं तो किसी योग एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें।

अस्थमा के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं क्योंकि लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखकर और आयुर्वेदिक उपायों की मदद से आप अस्थमा के लक्षणों को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। यहां बताई गई जड़ी-बूटियां अस्थमा के इलाज में बेहद असरदार हैं फिर भी अगर आप अस्थमा से गंभीर रूप से पीड़ित हैं तो ये घरेलू उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।