
हिमालय का घिंघारू एक औषधीय पौधा Publish Date : 23/01/2025
हिमालय का घिंघारू एक औषधीय पौधा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाने वाला जंगली पौधा घिंघारू, दर्द निवारण में बेहद प्रभावी पाया गया है। इसके औषधीय गुणों के अध्ययन करने से पता लगा है कि घिंघारू का एंजाइम प्रभाव किसी भी अन्य दर्द निवारक दवा के मुकाबले कई गुना बेहतर है। ऐसे में भविष्य में दर्द निवारक दवाएं बनाने में इस पौधे का उपयोग किया जा सकता है। यह शोध दिल्ली भेषज विज्ञान एवं शोध विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया है। इस शोध को जर्नल ऑफ एथनोफार्माकॉलोजी में प्रकाशित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने पिथौरागढ़ जिले के जंगलों में उगने वाले घिंघारू के पौधे के फल और इसकी पत्तियों पर अध्ययन किया है। इस अध्ययन से ज्ञात हुआ कि इसमें मौजूद सभी तत्व अन्य दर्द निवारक दवाओं से मिलते-जुलते हैं। इसके साथ ही इसका प्रभाव भी अधिक समय तक बना रहता है, अर्थात कहने का तात्पर्य है कि दर्द पर नियंत्रण करने की क्षमता इसमें अधिक होती है।
प्रोटीन से भरपूर यह पौधा हिमालयी क्षेत्रों में 2700 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इस पौधे को हिमालयन फायर थार्न के नाम से भी जाना जाता है। घिंघारू के पौधे में छोटे छोटे फल गुच्छों के रूप में लगते हैं। सितंबर के महीने में पककर इन फलों का रंग नारंगी या गहरे लाल रंग का हो जाता है। इसके फलों का स्वाद हल्का खट्टा और मीठा मिश्रित होता है। प्रोटीन से भरपूर घिंघारू का पौधा मध्यम आकार का पौधा होता है और इसकी शाखायें कांटेदार होती हैं।
शोध के अनुसार, दर्द के निवारण के लिए इसके फलों की अपेक्षा इसकी पत्तियां अधिक प्रभावकारी होती हैं। देरूा के विभिन्न संस्थानों में इसके फल का फार्माकोलॉजिकल एवं रासायनिक अध्ययन भी किया गया है। हालांकि, ऐसा पहली बार ही हुआ है कि इस पौधे का वैज्ञानिक अध्ययन और शोध प्रयोगशाला में किया गया।
हाल ही में किए गए इस अध्ययन में इसके अंदर इन गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। ऐसे में घिंघारू के पौधे पर अभी और अधिक शोधकार्य करने की आवश्यकता है जिससे कि इसके अन्य औषधीय गुणों के बारे में भी पता लगाया जा सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।