ऐलोवेरा के आयुर्वेदिक उपयोग Publish Date : 12/01/2025
ऐलोवेरा के आयुर्वेदिक उपयोग
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
ग्वारपाठा (एलोवेरा) के विभिन्न उपयोग
- ग्वारपाठे के गूदे में बेसन या जौ का आटा मिलाकर इसमें आधा चम्मच हल्दी के चूर्ण को मिलाकर चेहरे पर लेप कर उसे गुनगुने पानी से धोने पर चेहरे पर झुर्रियाँ नही पड़ती तथा झांइयाँ भी समाप्त हो जाती है।
- ग्वारपाठे का रस 100 मि.ली. तुलसी पत्तों का रस एवं नींबू का रस प्रत्येक 25 मि.ली., तीनों को एक साथ मिलाकर चेहरे, हाथ एवं गर्दन आदि पर लगाने से वहाँ की त्वचा में निखार आता है इसके साथ ही तेज धूंप के कारण होने वाले सन बर्न में भी यह लाभदायक है। जिस स्थान पर सन बर्न हो वहाँ इसका लेप नियमित रूप से करने पर लाभ मिलता है।
- मंजीठ एवं हल्दी का चूर्ण 10-10 ग्राम ग्वारपाठे के 100 मि.ली. रस में मिलाकर प्रतिदिन इसका उबटन करने से ूपरे शरीर की त्वचा में निखार होने के साथ-साथ् त्वचा भी जवाँ बनी रहती है।
- अक्सर ठण्ड़ के कारण होठ एवं त्वचा फट जाते हैं इसके निदान के लिए खीरे एवं ग्वारपाठे का रस एक समान मात्रा में लेकर उसका लेप फटे होठों एवं चमड़ी पर इसे गुनगुने पानी से धोकर इसके ऊपर थोड़ा सा देशी घी भी लगा लेंइससे कुछ ही दिनों में चमड़ी का फटना बन्द होगा और त्वचा भी स्निग्ध बनेगी।
- दाद, खाज एवं खुजली रोग के होने पर ग्वारपाठे के ताजे रस में थोड़ा सा लहसुन पीसकर कर मिला लें तथा इस मिश्रण को गुनगुना कर दाद, खाज एवं खुजली वाले स्थान पर लगाकर 30 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें। इसे साफ कपड़े से पोंछकर उस पर थेड़ा सा नारियल का तेल लगाने से यह रोग समाप्त हो जाता है।
- यदि कहीं जल जाए तो शरीर के उस हिस्से पर तुरंत ग्वारपाठे का ताजा रस लगाने से उस स्थान पर छाले तथा घाव नही बनते हैं।
- ग्वारपाठे का ताजा रस, शहद एवं तुलसी के पत्तों के रस में थेड़ी सी चिरौंजी को बारीक पीसकर इस लेप को प्रतिदिन चेहरे पर लगाने से चेहरे का कालापन दूर होता है। ऐसा करने से चेहरे का रंग गोरा एवं चमकदार होता है।
- नीम की छाल को कूट-पीस कर उसे कपड़छन कर ले और इसमें प्रतिदिन 20 गाम चूर्ण 50 ग्राम ग्वारपाठे का रस में मिलाकर इसका पेस्ट बनाकर नियमित चेहरे पर लगाने से चेहरे के कील-मुहाँसे, झार्रियां तथा कालापन आदि सब मिट जाते हैं और चेहरा कान्तिमय हो जाता है।
- शरीर पर कहीं भी कोई फोड़ा इत्यादि बन जाए तो उसे ठीक से साफ करके ग्वारपाठे का ताजा रस, नीम की छाल का चूर्ण तथा हींग केा मिलाकर इस फोड़े पर लगाने से फोड़ा शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
- कोई अन्दरूनी चोट लग जाने पर ग्वारपाठे का रस 50 ग्राम, हलदी 10 ग्राम एक पाव दूध के साथ लेने से दर्द में तुरंत आरम मिलता है और उस स्थान पर खून का थक्का भी नही बनता हैं । अतः ग्वारपाठे के इन लाभों के अतिरिक्त अन्य भी बहुत से लाभ हैं जिसके कारण ग्वारपाठे की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।