कैंसर का आयुर्वेदिक उपचार कीमोथेरेपी की तरह करता है काम Publish Date : 15/11/2024
कैंसर का आयुर्वेदिक उपचार कीमोथेरेपी की तरह करता है काम
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
यह इन बीमारियों का है अचूक इलाज-
प्रकृति में विभिन्न प्रकार के ऐसे पौधे पाए जाते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न रोगों से निपटने के लिए किया जाता है। इनमें से ऐसा ही एक औषधीय पौधा है डंडेलियन, जिसे देश में कुछ स्थानों पर सिंहपर्णी के पौधे के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे का उपयोग कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है। इस पौधे के जड़, पत्ते और फूल सहित सभी भाग औषधीय उपयोग में लाए जाते हैं। इसकी जड़ में ऐसे कई औषधीय गुण होते हैं जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए भी लाभकारी हो सकते हैं।
डंडेलियन मूलतः एक यूरोपीय पौधा है, लेकिन यह भारत के हिमालयी क्षेत्रों में भी पाया जाता है। शोधार्थियों ने बताया कि टराक्सेकम ऑफिशिनाले, जिसको डंडेलियन के नाम से जाना जाता है और इस पौधे में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं।
इस पौधे की जड़ में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी की तरह काम कर सकते हैं। वहीं, आयुर्वेद में भी इसके कई गुणों की जानकारी विस्तृत रूप से मिलती है। यह पौधा लीवर और पेट से संबंधित बीमारियों के उपचार में भी रामबाण माना गया है। इसकी पत्तियों में विटामिन ए, सी, डी के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही यह असाध्य बीमारी डायबिटीज में भी बेहद कारगर है।“
ज्ञात हो कि इसकी पत्तियों को सीधे साग बनाकर खाया जा सकता है। साथ ही इन्हें सलाद के रूप में भी सेवन किया जा सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होती हैं। शोधार्थी आगे बताते हैं कि यदि नियमित रूप से इसकी पत्तियों का सलाद का सेवन किया जाए, तो इससे हमारे स्वास्थ्य में काफी सुधार होता है और हम निरोगी बने रहते है।
इसकी पत्तियों को सुखाकर चायपत्ती के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है, जिससे कई प्रकार की पेट संबंधी बीमारियों से निजात मिलती है। यदि उत्तराखंड में किसान इसकी खेती करें, तो यह उनकी आजीविका का एक अच्छा साधन बन सकता है और पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक मुनाफा प्रदान कर सकता है। हालांकि, लोगों को इस औषधीय पौधे के गुणों के बारे में जानकारी नहीं है और इस पौधे को अधिकतर खरपतवार समझा जाता हैं, जबकि यह एक बहुत ही उपयोगी पौधा है।
डंडेलियन की जड़ में ऐसे गुण होते हैं जो कैंसर के उपचार में मदद कर सकते हैं, विशेषरूप से कीमोथेरेपी की तरह से इसका उपयोग किया जा सकता है। आयुर्वेद में इसे लीवर की समस्याओं के लिए भी रामबाण माना गया है। साथ ही यह पेट से संबंधित बीमारियों के उपचार में सहायक होता है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।