अनेक रोगों की एक पारंपरिक दवा शलजम Publish Date : 08/11/2024
अनेक रोगों की एक पारंपरिक दवा शलजम
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
शलजम मानव शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर को नियंत्रित रखती है। यह जोड़ों की क्षति को कम करने में भी मददगार साबित होती है। शलजम की जड़ कम वसा कार्बाेहाइड्रेट, प्रोटीन, आहार फाइबर, विटामिन-सी, आवश्यक अमीनो एसिड और खनिज तत्वों के सहित कई पोषण संबंधी न्यूट्रिएंट्स से समृद्ध मानी जाती हैं। शलजम की पत्तियों में इसकी जड़ों की तुलना में अधिक पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। शलजन की जड़ों में ग्लूकोसाइनोलेट्स पत्तियों से अधिक होते हैं, जो एंटी-इफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं। शलजम को अपनी डाइट में शामिल करने से रक्त-शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में और कब्ज से छुटकारा पाने में भी मदद मिलती है।
यह स्वस्थ पाचन-तंत्र के लिए नियमितता को बढ़ावा देकर शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाने में सहायता करती है। हृदय संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में शलजम कारगर सिद्व होती है। शलजम के पोषक तत्व हमारे शरीर में मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों को रोकते है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी कि इम्युनिटी को भी मजबूत बनाते हैं। आहार में शलजम को शामिल करने से जोड़ों की क्षति को कम करने में भी पर्याप्त सहायता मिलती है। यह कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर को नियंत्रित रखती है।
ल्यूटिन जैसे योगिकों की उपस्थिति के कारण शलजम हमारी आंखों को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। शलजम को अपने आहार में शामिल करना आपके लिए लाभदायक होता है। यदि आप थायरॉयड से संबंधित और नाइट्रेट युक्त दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर के सलाह से ही इसे अपने आहार में शामिल करें।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।