सेहत के लिए आवश्यक जावित्री Publish Date : 26/10/2024
सेहत के लिए आवश्यक जावित्री
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
जावित्री में मौजूद आवश्यक तेलों, विटामिन और खनिजों के अनूठे संयोजन के कारण जावित्री के कई स्वास्थ्य लाभ हमें प्राप्त होते हैं। यह दस्त, मतली, पेट में ऐंठन और पेट फूलने के जैसी स्थितियों में जावित्री का सेवन करना लाभदायक माना जाता है। यह किडनी से संबंधित विसंगतियों से भी हमारी रक्षा करती है, साथ ही गुर्दे की पथरी, संक्रमण और गुर्दे से जुड़ी अन्य समस्याओं को रोकने में भी सहायता करती है। जावित्री का उपयोग कफ सिरप तैयार करने के लिए एक सक्रिय घटक के रूप में किया जाता है।
जावित्री अस्थमा रोग के लिए अच्छा उपचार होने के साथ-साथ शरीर को पुरानी खांसी और पलू से भी बचाती है। जावित्री में सिनामाल्डिहाइड नामक यौगिक होता है, जो हमारी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी होता है। यीस्ट, फफूंद और बैक्टीरिया के कारण होने वाले विभिन्न संक्रमणों को रोकने में प्रभावी जावित्री शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र में भी व्यापक सुधार करती है।
जावित्री का उपयोग मूड स्विंग को ठीक करने के लिए किया जाता है, जो मानसिक बीमारी से जुड़ा हुआ भी हो सकता है। अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जानी जाने वाली जावित्री गंभीर जोड़ों के दर्द और लुम्बेगो और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी अन्य सूजन संबंधी स्थितियों के उपचार करने का काम भी करती है। गठिया के दर्द से निपटने के लिए इसका तेल त्वचा पर लगाया जाता है। जावित्री उष्ण और तीक्ष्ण होने के कारण कफ एवं वात शामक है।
अतः इसका उपयोग खांसी, विष्टंभ, अग्निमांध, अजीर्ण एवं अतिसार को रोकने में किया जाता है। इसके चूर्ण के लेप से सिर एवं जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से भ अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।