ताम्र पात्र के जल का सेवन करने के अनगिनत लाभ      Publish Date : 25/10/2024

             ताम्र-पात्र के जल का सेवन करने के अनगिनत लाभ

                                                                                                                                     डॉ0 सुशील रूार्मा एवं मुकेश शर्मा

बॉडी को डिटॉक्स करने और इंटरनल क्लीनिंग का प्रभावी गुण कॉपर में मौजूद होता है। ताम्र-पात्र के जल का नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में जमा अनावश्यक चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है।

पूरी ात ताँबे के बर्तन में रखे गए पानी का सेवन करने से वात, पित्त और कफ से सम्बन्धित तमाम समस्याओं में राहत प्राप्त होती है। ताँबे के बर्तन में रखा गया पानी हमारे पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों के अतिरिक्त बढ़ते हुए वजन को प्रभावी तरीके से कम करने में सहायता करता है। आजकल की भगदौड़ भरी जीवनशैली के चलते अतिरिक्त वजन की समस्या काफी आम हो चुकी है।

इस समस्या से राहत प्राप्त करने के लिए पूरी रात या फिर कम से कम चार घंटे तक किसी ताँबे के बर्तन में रखें और प्रयास करे कि इस पानी का सेवन खाली पेट ही किया जाए। व्यायामक करने के साथ ही ऐसा करने से वजन को कम करने में काफी सहायता मिल सकती है। ताँबे के बर्तन का पानी पीने से से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, जिससे लोग कम बीमार पड़ते हैं।

                                                                           

ताँबे के बर्तन में 4 घंटे से अधिक रखा गया पानी एंटीइंफ्लेमेंटरी गुणों से भी भरपूर होंता है। इस पानी का सेवन प्रतिदिन खाली पेट करने से हड्डियां भी शक्तिशाली बनती हैं। ताँबे के बर्तन का पानी जोड़ों के दर्द में भी राहत प्रदान करता है। रातभर के लिए ताँबे के बर्तन में रो गए पानी का सेवन प्रातः खाली पेट करने से पेट में मौजूद बैड बैक्टीरिया का भी सफाया हो जाता है।

ताँबे के बर्तन में रखा गया पानी सेवन करने से गैस, ऐसिडिटी और कब्ज आदि के जैसी स्वास्थ्यगत समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही इस पानी का सेवन करने से किडनी तथा लीवर जैसे महत्वपूर्ण अंग भी उिटॉक्स हो जाते हैं।

अतः यदि आप पूरे दिन ताम्र पात्र में रो गए जल का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर में कॉपर की मात्रा बढ़ सकती है। बॉडी में कॉपर की मात्रा के बढ़ने से मितली आना, चक्कर आना, पेट दर्द होना के साथ ही लिवर और किडनी के फेल होने की सम्भावना जाती है।  

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, पिछले तीस वर्षों से मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रेक्टिस कर रहे हैं।