डायबिटीज एवं हृदय रोगों में लाभकारी हैं गुड़मार के पत्ते      Publish Date : 12/10/2024

          डायबिटीज एवं हृदय रोगों में लाभकारी हैं गुड़मार के पत्ते

                                                                                                                                               डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

धरती पर बहुत सी वनस्पतियां ऐसेी हेाती हैं जो मानव को कई तरीके के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है, परन्तु इनके इन गुणों के बारे में जानकारी के अभाव अथवा आधी अधूरी जानकारियों के चलते मानव इनका पूर्ण लाभ प्राप्त करने में असमर्थ होता है। ऐसे ही गुड़मार की पत्तियां भी विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर होती है, जो मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से निपटने में हमारी काफी मदद करती हैं।

                                                               

गुड़मार अपने आप में एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक औषधि होती है, जिसे विशेष रूप से डायबिटीज के उपचार के लिए ही उपयोग किया जाता है। यह पूरे सालभर होने वाली एक बेल है. जिसे आयुर्वेद में एक रामबाण औषधि का दर्जा प्रदान किया गया है। गुड़मार का वानस्पत्तिक नाम जिमनेमासिल्वेस्टर है, जिसकी पत्तियां हमारे स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से बहुत लाभकारी मानी जाती हैं। इसकी पत्तियों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कि रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में हमारी मदद करते हैं।

गुड़मार की पत्तियों में उपलब्ध यह तत्व इन्सुलिन नामक हार्मोन के उत्पादन को बढ़ावा देकर और शुगर के अवशोषण को धीमा कर हमारे रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में सहायता करते हैं। इसका सेवन करने से यह हमारी मीठे की क्रेविंग को भी नियंत्रित कर देता है।

                                                           

आप गुड़मार की पत्तियों का सेवन पाउडर के रूप अथवा इन्हें सीधे चबाकर भी कर सकते हैं। इसकी पत्तियों का नियमित रूप से सेवन करना हमारे हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अधिक लाभकारी होता है। यह शरीर में जमा खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स आदि को कम करने में भी मदद करता है, जिससे हृदय रोगों का भी खतरा कम हो जाता है।

साथ ही इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बेहतर करने में मदद करते हैं। हालांकि गुड़मार के रक्तगत शर्करा के स्तर को कम करने वाले गुणों के चलते कई बार इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।

                                                                     

अतः इसका सेवन सदैव ही किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशन में ही किया जाना चाहिए, अन्यथा आपको कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से भ अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।