मधुमेह पर काबू पाने के लिए औषधीय पौधे Publish Date : 06/09/2024
मधुमेह पर काबू पाने के लिए औषधीय पौधे
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
भारतीय पहाडी अंचल में अनेक औषधीय पौधे हैं, शोधकर्ताओं का कहना है कि मधुमेह पर काबू पाने के लिए लिपिड के मेटाबॉलिज्म (उपापचय) को नियंत्रित पाने में औषधीय पौधे काफी असरदार साबित होते है। एक अध्ययनकर्ता बताते हैं कि फ्लेवोनोइड्स में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं जबकि सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। शोध में शोधकर्ताओं ने बिहार के गया स्थित ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर मौजूद औषधीय पौधों की क्षमताओं को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थॉट्स उजागर किया है। इन्ही में एक का इस्तेमाल (आईजेसीआरटी) में बिहार के मगध सीएसआईआर ने अपनी महत्वपूर्ण दया विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने इस अध्ययन में बीजीआर-34 में किया जो आज दोहरी क्षमताओं बताया कि योनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले के साथ काम कर रही है। वह औषधीय पौधा तीन औषधीय पौधों में से एक गुड़मार (जिम्नेमा गुड़मार है जिसमें पाए जाने वाले जिम्नेमिक एसिड सिल्वेस्ट्रे) है। यह वही क्षेत्र है जहां सदियों से म रक्त शर्करा को पटाने की अनोखी क्षमता है। परंपरागत वैद्य इन पादपों का मधुमेह समेत विभिन्न रोगों के उपचार में इस्तेमाल कर रहे हैं।
जिम्नेमिक एसिड की खूबी यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है। जिससे मिठास की लालसा रुक जाती है। नतीजा यह होता है कि आत चीनी के अणुओं का अवशोषण कम करती है जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। मधुमेह रोगियों के लिए यह रामबाण है।
सीएसआईआर की मधुमेह रोधी दवा
शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में बिहार की गया स्थित ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर मौजूद औषधीय पौधों की क्षमताओं को उजागर किया है।
यह औषधीय पौधा गुड़मार है जिसमें पाए जाने वाले जिम्नेमिक बीजीआर 34 में गुड़मार को मिलाया गया है और एमिल फार्मा के जरिए बाजार में आई यह दवा सफल भी रही है। गुड़मार में कुछ ऐसे औषधीय गुण है जो बीजीआर-34 को मधुमेह के साथ साथ लिपिड प्रोफाइल को भी नियंत्रित करने में सक्षम बनाते है। साल 2022 में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन में यह भी पुष्टि की है कि बीजीआर 34 रक्त शर्करा के साथ मोटापा कम करने में भी असरदार है।
शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) तंत्र में भी सुधार करती है। एमिल फार्म के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि बीजीआर-34 में गुड़मार के साथ दारूहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मंजीठ व मैथिक औषधिय भी शामिल है। यह मधुमेह, लिपिड प्रोफाइल और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाती है।
एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता है जिम्नेमिक एसिड की खूबी यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है। जिससे मिठास की लालसा रुक जाती है।
शोधकर्ताओं ने लिखा है कि बीजीआर-34 की तरह
मधुमेह को पहली दवा मेटफॉर्मिन भी एक औषधीय पौधे गैलेगा से बनी है इसलिए गुड़मार पर और भी गहन शोध किए जाएं ताकि नई पीढ़ी को एक और प्रभावी चिकित्सा विकल्प उपलब्ध हो सके।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा पिछले 30 वर्षों से कंकर खेड़ा मेरठ में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं।