पत्थरचट्टा का सेवन करने से गुर्दे की पथरी में मिलता है लाभ Publish Date : 18/08/2024
पत्थरचट्टा का सेवन करने से गुर्दे की पथरी में मिलता है लाभ
डॉ0 सुशील शर्मां एवं मुकेश शर्मां
पत्थरचट्टा में पाए जाने वाला सपोनिन, कैल्शियम ऑक्सलेट क्रिस्टल को तोड़ता है, जिससे पथरी को धीरे-धीरे खत्म करने में लाभ प्राप्त होता है। पत्थरचट्टा अल्कलॉइड्स, फ्लेवोनॉयड्स, ग्लाइकोसाइड और कार्डियानो लाइट्स और स्टेरॉयड जैसे बियोएक्टिव गुणों से भरपूर होता है। इसके पत्तों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स भी विद्यमान होते हैं, जो शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचा सकते हैं। इसमें सूजन रोधी और एनालाइजेशन गुण भी होते हैं।
प्रत्यक्षततः तन का आर्थाराटिस दर्द और सूजन को कम कर सकता है, खासकर हड्डियों से जुड़ी समस्याएं जैसे गठिया और जोड़ों के दर्द में पत्थरचट्टा का सेवन फायदेमंद रहता है। अगर इसके काढ़े का सेवन किया जाए तो पेशाब में जलन उसका रुक-रुक कर आना, दर्द होना जैसी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। इसमें फाइनल अल्काईल इथर नामक रासायनिक कंपाउंड होता है, जो इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाता है जिससे शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके सेवन से खूनी दस्तों को रोकने में भी सहायता मिलती है।
पत्थरचटा के पत्ते का रस निकालकर पांच-पांच बूंद पानी में मिलाकर रोज खाली पेट पीने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को भी नियंत्रित किया जा सकता है। पत्थरचट्टा एक गर्म तासीर वाली औषधि है, इसलिए पित्त प्रकृति के व्यक्तियों को और ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह के बाद ही इसका सेवन किया जाना चाहिए। यह काफी उपयोगी पौधा है जिसको आप अपने घर में गमले में भी लगा सकते हैं और आवश्यकता अनुसार इसका उपयोग कर सकते हैं।
लेखक: डॉ0 सुशील शर्मां, पिछले 25 वर्षों से कंकर खेड़ा मेरठ में बतौर आयुर्वेंदिक चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं।