डिप्रेशन के उपचार के लिए कुछ पारंपरिक दवाएँ      Publish Date : 27/06/2025

        डिप्रेशन के उपचार के लिए कुछ पारंपरिक दवाएँ

                                                                                                                                                  डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

डिप्रेशन का उपचार करने के लिए पारंपरिक उपचार पद्वति में विभिन्न दवाइयों का उपयोग किया जा सकता हैः

  • सलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर (SSRI) वर्ग की दवाएँ।
  • नॉरएपीनेफ़्रिन-डोपामाइन रीअपटेक इन्हिबिटर्स, सेरोटोनिन मॉड्यूलेटर्स और सेरोटोनिन-नॉरएपीनेफ़्रिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स।
  • हेटेरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाएँ।
  • मोनोअमीन ऑक्सिडेज़ इन्हिबिटर (MAOI) वर्ग की दवाएँ।
  • मेलेटोनर्जिक एंटीडिप्रेसेंट (एगोमेलाटीन)।
  • कीटामाइन और एस्कीटामाइन।

अधिकांश अवसाद-रोधी दवाएँ कम से कम कुछ सप्ताह तक तो नियमित रूप से लेनी ही पड़ती हैं, तब जाकर उनका प्रभाव दिखना शुरू होता है। डिप्रेशन से ग्रसित अधिकतर मरीजों को ऐसी घटनाएँ दोबारा होने से रोकने के लिए 6 से 12 महीनों तक एंटीडिप्रेसेंट लेने की सलाह दी जाती हैं, जबकि 50 से अधिक आयु के लोगों को इन्हें 2 वर्ष तक लेना पड़ सकता है।

                                                         

प्रत्येक प्रकार की अवसाद-रोधी दवा के अपने दुष्प्रभाव भी अलग होते हैं। कभी-कभी जब एक दवाई का उपचार डिप्रेशन से राहत नहीं दिलाता है, तो किसी अलग तरह (क्लास) की या एंटीडिप्रेसेंट के संयोजन की सलाह दी जाती है।

अवसाद-रोधी दवा शुरू करने के बाद आत्महत्या के जोखिम की खबरें आती रहती हैं। कुछ लोग अवसाद-रोधी दवा को शुरू करने या डोज़ बढ़ाने के कुछ समय बाद अधिक बेचैन, उदास, और व्यग्र हो जाते हैं। कुछ लोग, खास तौर पर छोटे बच्चे और किशोर, इन लक्षणों का पता न चलने और तेज़ी से उपचार न किए जाने पर आत्महत्या के लिए अधिकाधिक प्रवृत्त हो जाते हैं। इस प्रकार की खबरें सबसे पहले SSRI वर्ग की दवाओं के साथ आई थी, लेकिन संभव है कि यह जोखिम अवसाद-रोधी दवाओं के विभिन्न वर्गों में अधिक भिन्न न हो। यदि अवसाद-रोधी दवाओं को शुरू करने या डोज़ बढ़ाने के बाद (या किसी भी कारण से) लक्षण बदतर हो जाएँ तो मरीज के डॉक्टर को सूचित करना चाहिए।

चूँकि आत्महत्या के विचार आना भी अवसाद का एक लक्षण है, अतः डॉक्टरों को यह पता लगाने में कठिनाई हो सकती है कि अवसाद-रोधी दवाएँ आत्महत्या के विचारों और बरताव में क्या भूमिका निभाती हैं। कुछ अध्ययनों में इस संबंध पर संदेह किया गया है।

सलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर (SSRI) वर्ग की दवाएँ

सलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर (SSRI) वर्ग की अवसाद-रोधी दवाएँ अब सबसे अधिक प्रयोग की जाती हैं। SSRI वर्ग की दवाएँ अवसाद और अवसाद के साथ अक्सर मौजूद रहने वाले अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों के उपचार में भी कारगर होती हैं।

हालाँकि SSRI वर्ग की दवाएँ मतली, दस्त, कंपन, वज़न में कमी, और सिरदर्द आदि समस्याएं भी पैदा कर सकती हैं, पर ये दुष्प्रभाव आमतौर से हल्के होते हैं या लगातार उपयोग के साथ चले जाते हैं। अधिकांश लोग SSRI वर्ग की दवाओं के दुष्प्रभावों को हेटेरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों की तुलना में बेहतर ढंग से सहन कर पाते हैं। हेटेरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाओं की तुलना में SSRI वर्ग की दवाओं से हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की कम संभावना रहती है।

हालाँकि, कुछ लोग SSRI वर्ग की दवाएँ शुरू करने या डोज़ बढ़ाने के बाद पहले सप्ताह में अधिक बेचैन, उदास, और व्यग्र लग सकते हैं। ये लोग, खासतौर पर छोटे बच्चे और किशोर, इन लक्षणों का पता न चलने और तेज़ी से उपचार न किए जाने पर आत्महत्या करने के लिए अधिकाधिक प्रवृत्त हो सकते हैं। SSRI वर्ग की दवाएँ लेने वाले लोगों और उनके प्रियजनों को इस संभावना की चेतावनी देनी चाहिए और यदि उपचार से लक्षण बदतर होने लगें तो अपने डॉक्टर को कॉल करने का निर्देश देना चाहिए। हालांकि, चूंकि उपचार नहीं किए गए डिप्रेशन से ग्रसित लोग कभी-कभी आत्महत्या कर लेते हैं, इसलिए लोगों और उनके डॉक्टरों को इस जोखिम को, दवाई से उपचार के जोखिम के साथ संतुलित करना चाहिए।

साथ ही, लंबे उपयोग के साथ, SSRI वर्ग की दवाओं के अतिरिक्त दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे वज़न बढ़ना और यौन क्षमता में गड़बड़ी (एक तिहाई लोगों में)। SSRI वर्ग की कुछ दवाओं, जैसे फ़्लुऑक्सेटीन, के कारण भूख कम होती है। SSRI वर्ग की दवाएँ शुरू करने पर पहले कुछ सप्ताहों के दौरान, लोग दिन के समय उनींदापन महसूस कर सकते हैं, लेकिन यह प्रभाव अस्थायी होता है।

SSRI वर्ग की कुछ दवाओं को अचानक बंद करने से एक डिस्कंटीनुएशन सिंड्रोम हो सकता है, जिसमें चक्कर आना, व्यग्रता, चिड़चिड़ापन, थकान, मतली, जाड़ा लगना, और माँसपेशियों में दर्द शामिल हैं।

अगर कोई महिला गर्भवती है, तो डॉक्टर SSRI का इस्तेमाल करने के जोखिमों और फ़ायदों पर चर्चा करेंगे, अगर उन्हें अब भी ज़रूरत हो। हालांकि, पैरोक्सेटीन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से हृदय के दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

नॉरएपीनेफ़्रिन-डोपामाइन रीअपटेक इन्हिबिटर्स, सेरोटोनिन मॉड्यूलेटर्स और सेरोटोनिन-नॉरएपीनेफ़्रिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स

नए एंटीडिप्रेसेंट SSRI के जितने ही कारगर और सुरक्षित हैं और इनके दुष्प्रभाव भी मिलते-जुलते ही होते हैं:

  • नॉरएपिनेफ्रीन-डोपामीन रीअपटेक इन्हिबिटर वर्ग की दवाएँ (जैसे बुप्रोपियॉन)।
  • सेरोटोनिन मॉड्युलेटर वर्ग की दवाएँ (जैसे मिर्टाज़ापाइन और ट्रैज़ोडोन)।
  • सेरोटोनिन-नॉरएपिनेफ्रीन रीअपटेक इन्हिबिटर वर्ग की दवाएँ (जैसे वेन्लाफैक्सीन और डुलॉक्सेटीन)।

जैसा कि SSRI के साथ हो सकता है, इन दवाइयों को पहली बार शुरू करने पर आत्महत्या का जोखिम अस्थायी रूप से बढ़ जाता है, और सेरोटोनिन-नॉरएपीनेफ़्रिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स को अचानक रोकने से दवाई बंद करने का सिंड्रोम हो सकता है। अन्य दुष्प्रभावों में दवाई के आधार पर अंतर होता है।

हेटरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाएँ (ट्राइसाइक्लिक शामिल)

हेटरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाएँ, जो एक ज़माने में उपचार का मुख्य हिस्सा थीं, अब कम बार उपयोग की जाती हैं, क्योंकि उनसे अन्य अवसाद-रोधी दवाओं की तुलना में अधिक दुष्प्रभाव होते हैं। वे अक्सर उनींदापन पैदा करती हैं और वज़न बढ़ाती हैं। वे मरीज के खड़े होने पर हृदय दर में वृद्धि और रक्तचाप में गिरावट पैदा कर सकती हैं (जिसे ऑर्थास्टैटिक हाइपोटेंशन कहते हैं)। अन्य दुष्प्रभावों, जिन्हें एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव कहते हैं, में धुंधली नज़र, मुँह में सूखापन, भ्रम, कब्ज़ और मूत्र करना शुरू करने में कठिनाई होना शामिल है। एंटीकॉलिनर्जिक प्रभाव बुजुर्गों में अक्सर ज़्यादा गंभीर होते हैं।

                                                      

SSRI वर्ग की दवाओं की तरह हेटेरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाओं को अचानक रोकने पर भी डिस्कंटीनुएशन सिंड्रोम हो सकता है।

मोनोअमीन ऑक्सीडेज़ इन्हिबिटर्स (MAOI)

मोनोअमीन ऑक्सिडेज़ इन्हिबिटर (MAOI) वर्ग की दवाएँ बहुत कारगर होती हैं लेकिन केवल तब लिखी जाती हैं जब अन्य अवसाद-रोधी दवाएँ काम नहीं करती हैं। MAOI वर्ग की दवाओं का उपयोग करने वाले मरीजों को कई आहार संबंधी प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए और गंभीर प्रतिक्रिया, जिसमें रक्तचाप में अकस्मात, तीव्र वृद्धि के साथ तीव्र, स्पंदन वाला सिरदर्द होता है। (हाइपरटेंसिव क्राइसिस), से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस संकट के कारण स्ट्रोक हो सकता है।

सावधानियों में शामिल हैं-

  • टायरामीन युक्त खाद्य पदार्थों या पेयों, जैसे बियर, रेड वाइन (शेरी सहित), शराब, अधिक पके हुए फल, सलामी, पुराना चीज़, फावा या सेम, खमीर के एक्स्ट्रैक्ट (मार्माइट), डिब्बाबंद अंजीर, किशमिश, दही, चीज़/पनीर, खट्टी मलाई, हेरिंग का अचार, कैवियर,  यकृत (लिवर), अत्यधिक मुलायम किया गया माँस, और सोया सॉस, का सेवन न करना।
  • सूडोएफेड्रीन न लेना, जो डॉक्टरी पर्चे के बिना मिल जाने वाली खाँसी व सर्दी की कई दवाओं में होती है।
  • डेक्स्ट्रोमीथोरफ़ेन (एक कफ़ सप्रेसेंट), रिसर्पीन (एक एंटीहाइपरटेंसिव दवाई) या मपेरेडीन (एक एनाल्जेसिक) न लेना।
  • कोई एंटीडोट, जैसे क्लोरप्रोमैज़ीन की गोलियाँ, हर समय साथ रखना और यदि तीव्र, स्पदंन करने वाला सिरदर्द हो तो तत्काल एंटीडोट लेना और सबसे करीबी एमरजेंसी रूम जाना।

MAOI वर्ग की दवाएँ लेने वाले लोगों को अन्य प्रकार की अवसाद-रोधी दवाएँ लेने से भी बचना चाहिए, जिनमें हेटेरोसाइक्लिक अवसाद-रोधी दवाएँ, SSRI वर्ग की दवाएँ, बुप्रोपियॉन, सेरोटोनिन मॉड्युलेटर वर्ग की दवाएँ, और सेरोटोनिन-नॉरएपिनेफ्रीन रीअपटेक इन्हिबिटर वर्ग की दवाएँ शामिल हैं। किसी अन्य अवसाद-रोधी दवा के साथ MAOI वर्ग की दवा लेने से शरीर का तापमान खतरनाक रूप से बढ़ सकता है, माँसपेशियों का विघटन हो सकता है, गुर्दे की विफलता हो सकती है, और दौरे पड़ सकते हैं। ये प्रभाव, जिन्हें न्यूरोलेप्टिक मालिग्नैंट सिंड्रोम कहते हैं, जो जानलेवा भी हो सकते हैं। SSRI वर्ग की दवाओं की तरह ही MAOI वर्ग की दवाओं को अचानक रोकने पर भी डिस्कंटीनुएशन सिंड्रोम हो सकता है।

डिप्रेशन का उपचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएँ

मेलैटोनर्जिक अवसाद-रोधी दवाएँ

एगोमेलाटीन एक मेलेटोनर्जिक एंटीडिप्रेसेंट है जो मेलेटोनिन रिसेप्टर्स को उत्तेजित करती है और बड़े डिप्रेसिव एपिसोड के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसके कई लाभ हैं:

  • यह अधिकांश अवसाद-रोधी दवाओं से कम दुष्प्रभाव पैदा करती है।
  • यह दिन के समय उनींदापन, अनिद्रा, या वज़न में वृद्धि उत्पन्न नहीं करती है।
  • इसकी आदत नहीं लगती और इसे रोकने पर समस्याएँ नहीं होती हैं।

एगोमेलाटाइन के कारण सिरदर्द, मतली, और दस्त हो सकते हैं। यह लिवर एंज़ाइम स्तरों को भी बढ़ा सकती है, इसलिए डॉक्टर उपचार शुरू करने से पहले और उसके बाद हर 6 महीने पर इन स्तरों को मापते हैं। लिवर की समस्याओं वाले लोगों को एगोटामाइन नहीं लेनी चाहिए।

कीटामाइन और एस्कीटामाइन

कीटामाइन एक एनेस्थेटिक है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह पता कर लिया है कि कीटामाइन से प्रभावित मस्तिष्क तंत्र डिप्रेशन में भूमिका निभाते हैं और जब सब-एनेस्थेटिक (कम) खुराक दी जाती है, तो डिप्रेशन के लक्षणों में तेज़ी से, हालाँकि आमतौर पर कुछ समय के लिए सुधार हो सकते हैं। एस्कीटामाइन, कीटामाइन का एक रूप है, जो बड़े डिप्रेशन वाले विकार से ग्रसित लोगों के लिए भी उपलब्ध है, जिन्हें पारंपरिक उपचारों से कोई फ़ायदा नहीं हुआ है। इसे नेज़ल स्प्रे के रूप में दिया जाता है। इसका उपयोग एनेस्थीसिया के लिए दी जाने वाली डोज़ से कम डोज़ में किया जाता है।

जिन लोगों को कीटामाइन या एस्कीटामाइन दी जाती है, उनमें से ज़्यादातर लोगों में डिप्रेशन के लक्षण 4 घंटों में कम होने लगते हैं। यह उन ज़्यादातर एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों की तुलना में बहुत ही तेज़ी से होने वाला सुधार है, जिन्हें प्रभावी होने में कई हफ़्ते लग सकते हैं। खुराक को सप्ताह में एक या दो बार दोहराने से, एंटीडिप्रेसेंट प्रभाव को बनाए रखा जा सकता है।

दुष्प्रभाव 1 से 2 घंटों में हो सकते हैं, जिनमें रक्तचाप का बढ़ना, मतली और उल्टी, तथा मानसिक प्रभाव जैसे लोगों को खुद से अलग महसूस होना (डीरियलाइज़ेशन), समय और स्थान की विकृति महसूस होना, और मिथ्या भ्रम होना शामिल हैं। ये दवाइयाँ आमतौर पर डॉक्टर के क्लिनिक या अस्पताल के क्लिनिक में दी जाती हैं, जिससे डॉक्टर कुछ घंटों तक व्यक्ति पर होने वाले दुष्प्रभावों पर नज़र रख सकते हैं और क्योंकि वे नशे की लत हो सकती हैं और कभी-कभी उनका गलत इस्तेमाल भी किया जाता है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।