मानसिक सेहत को बेहतर बनाए रखें      Publish Date : 23/01/2025

                    मानसिक सेहत को बेहतर बनाए रखें

                                                                                                                                          डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अवसाद के मामलों में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कुछ वर्षों में दर्ज की गई है और लगभग इतने ही एंजाइटी के मामले भी बढ़े हैं। मानसिक सेहत को लेकर दुनिया को बड़े पैमाने पर इसके लिए इलाज की जरूरत पड़ रही है। इस लिहाज से देखें तो मानसिक सेहत एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है और दवाइयों की बढ़ती मांग की नकारात्मक दृष्टि से ही नहीं बल्कि मानसिक सेहत को लेकर बढ़ती जागरूकता के रूप में इसे देखा जाना चाहिए।

                                                             

मानसिक सेहत में दवाइयो की भूमिका

मनोचिकित्सक लक्षणों के आधार पर मरीज को दवाइयां देते हैं। यह दवाइयां ओवर द काउंटर दवाइयां नहीं होती यानी हर कोई इन्हें आसानी से नहीं खरीद सकता। प्रत्येक परेशानी के लिए अलग-अलग दवाइयां होती है। यह दवाइयां दिमाग में हो रहे रासायनिक असंतुलनों को ठीक करने में मदद करती है। इनका प्रयोग करने के बाद सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। एक निश्चित अवधि के बाद व्यक्ति की मानसिक अवस्था में सुधार हो सकता है परन्तु यह ध्यान रहे कि मरीज सोच के कारण गलत व्यवहार नहीं करता बल्कि वह मानसिक बीमारी के कारण सही तरीके से व्यवहार नहीं कर पता है। इससे उस व्यक्ति की सोचने की क्षमता बिगड़ चुकी होती है।

पिछले तीन-चार वर्षों में देश में एंटी डिप्रेसेंट दवाइयां का उपयोग लगभग 64 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इसका सीधा अर्थ है कि लोग इन दवाइयां की खरीद पप अधिक खर्च कर रहे हैं या फिर वे इनको जरूरी मानकर इनका सेवन कर रहे हैं।

मानसिक बीमारी के लक्षण

                                                          

  • प्रभावित व्यक्ति छोटी-छोटी बातें भी डरने लगता हैं और इसके कारण मरीज का भयभीत हो जा जाना।
  • बहुत अधिक सोना या नींद का नहीं आना।
  • नियमित रूप से मरीज की मनोदशा में बदलाव होते रहना।
  • किसी प्रकार के निर्णय लेने में कठिनाई का अनुभव करना।
  • भावनाओं को नियंत्रित कर पाने में कठिनाई आना।
  • स्वयं को हीन या व्यर्थ समझने लगना।

आखिर कब मिले मनोचिकित्सक से

अक्सर देखा जाता है कि लोग मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास सलाह लेने तब जाते हैं जब मानसिक सेहत का उनके जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। आज भी लगभग 75 प्रतिशत लोग इलाज के लिए जाते ही नहीं है। यदि आप अपनी मानसिक सेहत को बेहतर रखना चाहते हैं और एंजायटी या तनाव को बढ़ने से रोकना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप समय रहते मनोज चिकित्सा से मिले। यदि दो हफ्ते से अधिक समय तक उक्त संकेत मिलते हैं तो आप मनो चिकित्सक से मिलने की पहल कर सकते हैं। निश्चित रूप से यदि आप समय पर मिलकर अपना इलाज कर लेंगे तो आप अपने मन की सेहत को बेहतर बनाए रखेंगे और निरंतर ही आगे बढ़ते रहेंगे।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।