डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण एवं कारण      Publish Date : 19/01/2025

                     डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण एवं कारण

                                                                                                                                                डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

मधुमेह रोग के कारण नसों में आने वाली विकृति को मेडिकली भाषा में न्यूरोपैथी कहते हैं। इस रोग में नसों की शक्ति कमजोर पड़ जाती है और मुख्य रूप से यह रोग प्रभावित व्यक्ति के पैरों को प्रभावित करता है। इस रोग के चलते प्रभावित व्यक्ति को अपने पैरों में झनझनाहट और सुन्नपन का आभास होता है और समय व्यतीत होने के साथ ही मरीज के पैरों की संवेदनशीलता भी समाप्त हो जाती है।

                                                      

न्यूरो प्राब्लम्स के साथ डायबिटीज का पुराना कनेक्शन है। ब्लड शुगर के कंट्रोल न होने के कारण डयबिटीज के मरीज को विभिन्न परेशानियां का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर्स का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों को लगातार अपनी जांच कराते रहना चाहिए, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही उनकी सेहत को नुकसान पहुँचा सकती है और यदि इसका सही समय पर उपचार नही किया गया तो अंत में पैर काटने तक की स्थिति भी आ सकती है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण

  • पैरों या तलवों में दर्द होना।
  • पैरों में झानझनाहट या जलन होना।
  • पैरों में बिजली के झटके जैसा लगना।
  • पैरों में अधिक गर्मी अथवा सर्दी का अनुभव होना।
  • पैरों में ऐंठन भी हो सकती है।
  • चलते समय पैरों में दर्द होना।
  • पैरों के तलवों में जलन होना।
  • पैरों में सुन्नपन होना।
  • त्वचा के रंग में परिवर्तन होना।
  • पैरों और पैरों की अंगुलियों में टेढ़पन होना।

डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण

                                                                    

उपापचय से सम्बन्धित कारणः- जैसे ब्लड में ग्लूकोज के स्तर का बढ़ना, डायबिटीज की अवधि, असामान्य ब्लड कोलेस्ट्रॉल और दूसरे लिपिड्स का स्तर और सम्भवतः इंसुलिन का निम्न स्तर होना।

न्यूरोवैस्कुलर कारणः- रक्त वाहिकाओं की क्षति, यह नर्व्स को ऑक्सीजन के अलावा दूसरे पोषक तत्वों की आपूर्ति करती है।

स्वतः प्रतिरक्षक स्थितियां, जो नर्व्स में सूजन पैदा कर सकते हैं।

कार्य प्रणाली से सम्बन्धित विभिन्न स्थितियां, जैसे कॉर्पोल टर्नेल सिंड्रोम, जिससे नर्व्स को चोट पहुँच सकती है।

वंशानुगत समस्याएं नर्व से सम्बन्धित रोगों की सम्भावना बढ़ सकती है।

जीवनशैली से सम्बन्धित स्थितियां जैसे धूम्रपान, एल्कोहल लेना और एक ऐसी जीवनशैली जिसके अंतर्गत देर तक बैठे रहना पड़ता है।

अचानक ही शुरू नही होती हैं यह परेशानियां

डायबिटीज के मरीजों को न्यूरोपैथी से जुड़ी परेशानियां करीब 5 वर्ष बाद शुरू होने लगती हैं। इसलिए मधुमेह के मरीजों को समय समय पर जांच कराना आवश्यक होता है। इस समस्या के चलते मरीज को पैरों में जलन, झनझनाहट और दर्द आदि की शिकायत होने लगती है। शरीर के किसी भी भाग में यह परेशनी हो सकती है। उपचार नही कराने पर यह अंग काम करना बंद कर देते हैं और इन्हें काटने तक की स्थिति भी हो सकती है। डाक्टर्स का कहना है कि ब्लड शुगर के मरीजों में पचास से साठ प्रतिशत मरीज इस प्रॉब्लम से जूझना पड़ता है।

बचाव का तरीका

                                                            

ब्लड शुगर के मरीज कुछ सावधानियाँ बरतकर पैरों की विकलांगता के खतरे से बच सकते हैं। सबसे पहले तो ऐसे मरीजों को अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना चाहिए। इसके साथ ही इस प्रकार के मरीजों को सदैव एक विशेष प्रकार के मुलायम गद्देदार (सिलिकॉन पैड वाले) जूते ही पहनने चाहिए। इसके साथ ही, सिलिकॉन रबर का पैतावा जूतों में डालकर पहनना चाहिए, इससे जोड़ों या शरीर के अन्य भागों पर अधिक प्रेशर न पड़े। साथ ही ऐसे मरीजों को अत्याधिक ठण्ड़े गर्म वातावरण से भी बचकर रहना चाहिए।

कुछ टेस्ट कराने भी हैं आवश्यक

सामान्य रूप से डायबिटिक फुट के मरीज को देखकर ही पता लग जाता है, फिर भी कुछ विशेष स्थितियों में कुछ विशेष जांचें जैसे- एनसीवी कम्प्लीट शुगर प्रोफाइल, एक्स-रे और मरीज के रोग की स्थिति के अनुसार कुछ अन्य प्रकार की जांच कराने की सलाह दी जाती है। इन सभी जांच और रोगी की स्थिति को देखकर हर प्रकार का उपचार सम्भव हैं।

यदि किसी मरीज के पैर में किसी कारण से अल्सर बन गया है तो ऐसे मरीज को इंसुलिन के इंजेक्शन का प्रयोग करने के साथ ही किसी विशेषज्ञ से तुरंत ही परामर्श लेना चाहिए।  

 

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।