विश्व हेल्दी दिल दिवस      Publish Date : 29/09/2024

                                               विश्व हेल्दी दिल दिवस

                                                                                                                                डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

दिल की बीमारी दुनियाभर में हो रही सबसे ज्यादा मौतों का कारण, बचाव के लिए डॉक्टर ने बताए कुछ खास टिप्स

                                                                            

दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में 29 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व हृदय दिवस (World Heart Day 2024) के मौके पर किसान जागरण की एक टीम ने डॉक्टर से खास बातचीत करके यह जानने की कोशिश की है कि लाइफस्टाइल में किस तरह के बदलाव करके हार्ट डिजीज के खतरे को कम किया जा सकता है।

क्या आपको हमेशा थकावट महसूस होती है या फिर आप लगातार तनाव से परेशान रहते हैं या आपकी धड़कन अनियमित है? अगर इन सवालों के जवाब ‘हां’ में हैं, तो हो सकता है कि आप दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षणों का अनुभव कर रहे हों। आजकल, 40 साल से अधिक उम्र के बहुत से लोगों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं पाई जा रही हैं, जो हार्ट डिजीज (Heart Disease) के खतरे को स्वाभाविक रूप से ही बढ़ाती हैं। अगर आपको अपने अंदर यह लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालांकि, रेगुलर एक्सरसाइज, बैलेंस डाइट और स्ट्रेस मैनेजमेंट के जैसी हेल्दी हैबिट्स को अपनाकर आप दिल से जुड़ी बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं। आज हम अपने इस आर्टिकल में जानते हैं एक्सपटर्स के द्वारा बताए कुछ उपयोगी टिप्स-

ब्हुत ही आवश्यक है हेल्दी डाइट

                                                               

एक अच्छी डाइट दिल से जुड़ी बीमारियों से लड़ने का एक सबसे कारगर हथियार होता है। एक बैलेंस डाइट आपको कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और बढ़ते वजन जैसी समस्याओं से बचाने में मदद कर सकती है। ऐसे में, आप अपनी थाली को पोषक तत्वों से भरपूर बनाने का प्रयास करें। इसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, साबुत अनाज, डेरी उत्पाद, मछली, फलियां और नट्स जैसे खाद्य पदार्थों को अपने आहार में नियमित रूप से शामिल करें। यह खाद्य पदार्थ आपको आवश्यक विटामिन, खनिज और फाइबर प्रदान करते हैं। ध्यान रखें कि आप जितनी कैलोरी लेते हैं, उतनी ही आपको बर्न भी करनी चाहिए। रेगुलर एक्सरसाइज करने से आप अपना वजन कंट्रोल रख सकते हैं और इसके साथ ही अपने हार्ट को भी हेल्दी रख सकते हैं।

गुणवत्तायुक्त नींद भी आवश्यक

आप रात भर नींद लेने के बाद भी सुबह थकान महसूस करते हैं, उनींदापन रहता है तो इसका अर्थ है कि नींद कहीं न कहीं बाधित रहती है। यह नहीं भूलें कि आपकी नींद की गुणवत्ता आपके खानपान की आदतों के साथ आपके मूड, स्मरण क्षमता आदि को प्रभावित कर रही है। अच्छी नींद की कमी आपको निरंतर हृदयरोग के मुहाने पर खड़ा रखती है।

एक बड़ी मुसीबत है तनाव

ऐसे मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ रही है जो चिकित्सक के पास आकर तनाव बढ़ने की शिकायत करते हैं। तनाव धूम्रपान के लिए प्रेरित करता है, अधिक खाने और शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ावा देने वाला होता है। क्रोनिक तनाव उच्च रक्तचाप का बड़ा कारण बन सकता है और यह सभी परेशानियां हृदयरोग, ह्दयाघात को खुला आमंत्रण देने वाले होते हैं।

जिक्र आंकड़ों का

चर्चित चिकित्सा पत्रिका लांसेट में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, आने वाले दशकों में मौत के बड़े कारकों में हृदयरोग सामने आया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में दुनिया की एक चौथाई आबादी रहती है। यहां हृदय संबंधी रोग (सीवीडी) 39 लाख वार्षिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं, जो कि कुल मौतों का मौतों का 30 प्रतिशत है।

दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में प्रति चार में से एक वयस्क का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, जबकि दस में से एक को डायबिटीज है और 15 प्रतिशत से भी कम लोग प्रभावी उपचार करा पा रहे हैं।

रखें ध्यान

                                                         

हृदयरोग बढ़ाने का एक प्रमुख कारक है मधुमेह। ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण मे रहने के बाद भी मधुमेह है तो भी आपको यह जोखिम बना ही रहता है। इसलिए रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित जांच कराते रहें। यदि परिवार में ह्दय संबंधी बीमारियों का इतिहास रहा है तो फिर इसके लिए आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। आरंभ में ही जांच हो जाए तो आगे आने वाली परेशानियां नियंत्रित की जा सकती हैं।

यदि आपका वजन सही है और कोई रिस्क फैक्टर नहीं है, तो भी नियमित अंतराल पर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराते रहना चाहिए। इससे दो तरह की जानकारी मिलती है। यदि एलडीएल बहुत ज्यादा है, तो आप सतर्क हो जाएं क्योंकि यह 100 के आसपास ही रहना चाहिए।

कोलेस्ट्राल अधिक रहता है तो केवल आहार या शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से बात नहीं बनती है। आपको दवाइयों की मदद भी लेनी पड़ सकती है। यदि अपका काम अधिक देर तक बैठकर करना है तो यह कसरत के प्रभाव को भी कम कर सकता है। हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि भी करते हैं तो आपका रक्तचाप, कोलेस्ट्राल का खतरा कम होता जाएगा।

यदि आप अल्कोहल का नियमित सेवन करते हैं और इसकी मात्रा भी अधिक लेते है तो रक्तचाप, स्ट्रोक व अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

स्टेंट की जरूरत कब?

                                               

हृदयाघात के कारण होने वाली मौतों को कम करने में स्टेंट की बड़ी भूमिका हो सकती है। हालांकि हमारे देश में इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है मरीज का समय पर चिकित्सक के पास पहुंचना और समय पर स्टेंट लगवा लेना होता है। उल्लेखनीय है कि देश में करीब तीस लाख हृदयाघात होते हैँ परन्तु एक या दो लाख लोगों की ही एंजियोप्लास्टी हो पाती है। यदि मरीज तीन घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाए और उसे स्टेंट लगा दिए जाए तो उसकी जान बचायी जा सकती है। कुछ मामलों में चौबीस घंटे के भीतर भी स्टेंट लगाकर जान बचा सकते हैं। परन्तु यह व्यवस्था अभी बनी नहीं है। इसका कारण स्वयं मरीज की सजगता व इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाएं और अस्पतालों की कमी होना आदि होती है। हम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत इस चुनौती पर काम कर रहे हैं।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।