इन्फ्लूएंजा का एलोपैथिक उपचार Publish Date : 25/09/2024
इन्फ्लूएंजा का एलोपैथिक उपचार
डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
“गले में खराश बदन में दर्द बुखार यदि है तो आप इन्फ्लूएंजा से पीड़ित हो सकते हैं-“
इन दिनों मौसम में काफी बदलाव आ रहा है, कभी वर्षा होने लगती है तो कभी अचानक तापमान में वृद्धि हो जाती है। इस बदलाव के कारण फ्लू अर्थात इन्फ्लूएंजा के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो गई है। इसके चलते अधिकतर लोगों को गले में खराश की शिकायत, गले से कुछ भी गटक पाने ने की दिक्कत, नाक से लगातार पानी के बहने की शिकायत देखी जा रही है। इसके साथ-साथ बुखार भी चढ़ जा रहा है, जिससे लोगों के फेफड़े भी प्रभावित हो रहे हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को यह बीमारी जल्दी संक्रमित करती है और इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को सितंबर और अक्टूबर में वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए।
साल में एक बार वैक्सीन लगवाने से शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं और फ्लू के संक्रमण से आप अपने आप को सरुक्षित रख सकते हैं। इन दिनों सांस के मरीजों की संख्या भी काफी बढ़ी है ऐसा तापमान में बदलाव के चलते हो रहा है। अक्टूबर से जनवरी तक इन्फ्लूएंजा परेशान करता है। इसके अन्तर्गत सर्दी, खांसी, जुकाम और पेट दर्द के मामले बढ़ जाते हैं। सांस संबंधी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। मौसम में बदलाव के समय बुखार का आना एक सामान्य कारण होता है। इन दिनों बुखार के किसर मरीज के पास जा रहे हैं तो उस समय मॉस्क का उपयोग अवश्य ही करें। संक्रमण से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति से उचित दूरी बनाकर रखें तो आप अपने को भी इससे बचा पाएंगे।
वायरल बुखार की अवधि तीन से चार दिन तक की होती है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार दिनों की यह संख्या घट या बढ़ सकती हैं, जबकि डेंगू बुखार 10 दिनों तक परेशान करता है। कभी-कभी दोबारा संक्रमण होने पर भी वायरल बुखार आ जाता है। जीवन शैली अनियमित होने का कुप्रभाव हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। अतः बाहर का भोजन करना, तला भुना अधिक खाना ही तो पेट दर्द का कारण बनता है ही इसके साथ ही देर रात तक जागना भी इसकी एक बड़ी वजह होती है। वर्तमान में लोग अपनी नींद पूरी नहीं ले पा रहे हैं हालांकि एक स्थान पर देर तक बैठकर काम करना भी इसकी वजह बन सकता है।
कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है और सांसा में सिटी जैसी आवाज आवाज के आने का सीधा सा मतलब यह होता है कि सांस के रास्ते में कोई रुकावट है और यदि सांस छोड़ते वक्त सिटी जैसी आवाज आ रही है तो यह दमा या फेफड़ों की कोई अन्य समस्या भी हो सकती है।
ऐसे में यदि सांस अंदर लेते वक्त सिटी जैसी आवाज आती है तो इसका कारण सांस की नली में कोई रुकावट हो सकती है। इसके अलावा प्रभावित व्यक्ति को खराश भी हो सकती है यदि किसी को इन दोनों ही अवस्थाओं में किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर उनके द्वारा बताई गई जांच अवश्य कर लेनी चाहिए। इसकी अनदेखी पर अन्य प्रकार की कोई समस्या भी खड़ी हो सकती हैं। इसलिए समय पर विशेषज्ञ से मिलकर अपनी जांच अवश्य कर लेनी चाहिए।
कैसे बचे इन्फ्लूएंजा से
- यदि आपको एलर्जी की समस्या है तो इसके लिए आप एलसेट डीसी की गोली दिन में एक बार सेवन कर सकते हैं।
- एल सेट डीसी और मोटियार 10 का ले सकते हैं। यदि आपको तीन-चार दिन से छींक और गले में दर्द की समस्या है और नाक से पानी भी आ रहा है।
- एक-दो दिन से लगातार तेज बुखार, सर दर्द और गले में खराश और बदन में दर्द कर रहा है तो आपको इन्फ्लूएंजा का संक्रमण हो सकता है। ऐसी दशा में आप आजीवक 500 एमजी की गोली लेगे तो आपको आराम मिलेगा।
- यदि आपकी यूरिन डार्क पीले रंग आ रही है और आप दवा का सेवन कर रहे हैं और आपको किसी प्रकार का कोई शक है तो अपने फिजिशियन से मिलकर यूरिन का टेस्ट कराये और उसी के आधार पर ही डॉक्टर आपका इलाज कर सकेगे।
- यदि आपको 2 दिन या तीन दिन से वायरल बुखार है, खाने में स्वाद नहीं आ रहा है तो ऐसी स्थिमि में आप दिन में दो से तीन बार भाप ले सकते हैं और इसके अलावा एल सेट डीपी की एक टैबलेट सुबह शाम ले सकते हैं।
- यदि आपका पेट साफ नहीं हो पा रहा है तो ऐसी दशा में आप इसबगोल की गोली या भूसी का सेवन करेंगे तो आपकी पाचन क्रिया ठीक होगी और साथ ही आपका पेट भी साफ हो जाएगा।
- कोशिश करें कि आप फल और हरी सब्जियों का सेवन आवश्यक रूप से करें तथा फलों के जूस का सेवन भी रिते रहें इससे आपकी इम्यूनिटी बढ़ सकेगी।
- एक दूसरे को इन्फेक्शन से बचाने के लिए मॉस्क का प्रयोग करें और घर में वापस आने के बाद या कुछ भी खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करे।
कोशिश करें किसी भी अच्छे फिजिशियन को दिखाकर ही किसी भी प्रकार की दवाई का प्रयोग करें और दवाइयों का प्रयोग अपने मन से न करें क्योंकि ऐसा करने से आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।