सावधानी से ही बच सकते हैं टीबी की बीमारी से      Publish Date : 20/03/2024

                सावधानी से ही बच सकते हैं टीबी की बीमारी से

                                                                                                                                                                          दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

अगर लगातार आपको बुखार आता है और इसके साथ ही खांसी की समस्या भी बनी हुई है, वजन में कमी व थकान महसूस हो रही है, तो यह सभी टीबी के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं। असल में टीबी, बैक्टीरिया जनित एक गंभीर संक्रमण है जिसके चलते प्रतिवर्ष लाखों लोग प्रभावित होते हैं। टीबी का संक्रमण फेफड़े, मस्तिष्क तथा हड्डियों में भी हो सकता है। किसी व्यक्ति के फेफड़ों में टीबी होने पर रक्त के माध्यम से अन्य अंगों तक इसका फैलाव हो जाता है।

आखिर क्या होता है टीबी

                                                                      

जब टीबी का कोई मरीज खाँसता है तो वह ड्रॉफ्लेट पार्टिकल्स निकालते हैं और इसके संपर्क में आने पर किसी स्वस्थ व्यक्ति में भी संक्रमण होने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं। वैसे तो टीबी का जोखिम हर किसी को रहता है, लेकिन संक्रमित होने या ना होने के पीछे व्यक्ति की इम्यूनिटी की एक बड़ी भूमिका रहती है, क्योंकि यदि इम्यूनिटी कमजोर होगी तो टीबी संक्रमण का जोखिम अधिक रहेगा। अतः हमेशा अपनी इम्यूनिटी को अच्छी बनाए रखने पर विशेष बल देना चाहिए।

असावधानी और अशोक स्टैबी टीबी के हो सकते हैं कारण

यदि आप किसी ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां पर आबादी बहुत अधिक है और घनी बसावट है जैसे की शरणार्थी कैंपों और कारागार आदि में तो टीबी का ट्रांसमिशन अधिक खतरा रहता है। अगर घर में किसी एक व्यक्ति को टीबी है तो उसके खाँसने से घर के अन्य लोगों को भी टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है। दूसरे यदि किसी व्यक्ति को कमजोर किडनी, कमजोर लिवर, कैंसर और एचआईवी जैसी कोई बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो उसे भी टीबी होने की प्रबल सम्भावना रहती है। एचआईवी और टीबी के एक साथ होने के मामले भी बहुत अधिक मामले देखने को मिलते हैं।

टीबी होने के क्या है लक्षण

                                                          

लगातार बुखार का आना, भूख में कमी और वजन में गिरावट, फेफड़ों में टीबी होने पर लगातार खांसी और बलगम में खून आने की समस्या आदि भी हो सकती है।

बोन टीबी होने पर हड्डियों में दर्द, लिंफ नोड टीबी में शरीर में गांठे, ब्रेन टीबी  में दौरे पड़ते हैं तथा लगातार सिरदर्द की समस्या बनी रहती है।

बचाव के क्या है उपाय

  • बच्चों को जो बीसीजी का टीका लगाया जाता है, वह टीबी के गंभीर संक्रमण रोकता है।
  • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता होती है।
  • डायबिटीज है तो इलाज कराएं और सतर्क रहे और शुगर स्तर को नियंत्रित रखनें का प्रयास करें।
  • दिनचर्या को नियमित रखें समय पर भोजन और अच्छी नींद का पालन जरूर करें।
  • टीबी का इलाज बीच में ना छोड़े ऐसा करने से दवा अधिक असर होना बंद हो जाता है। इसलिए इलाज में निरंतरता को बनाकर ही रखें।
  • इस रोग से मुक्ति के लिए अब गुणवत्ता पूर्ण दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। यह सरकारी अस्पताल में निशुल्क भी मिलती है परन्तु चिकित्सक की सलाह के उपरांत ही इनका सेवन करें।
  • दवाओं का नियमित और समय से सेवन करते रहेंगे तो आप टीबी की बीमारी से बचे रह सकेंगे।

लेखक : डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।