विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया गया      Publish Date : 20/10/2024

                  विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया गया

विटामिन डी की कमी के चलते लोगों हड्डियां हो रही है कमजोर-

लोगों की हड्डियों की जांच के दौरान देखा गया है कि विटामिन डी की कमी उनकी हड्डियां कमजोर कर रही हैं और आजकल केवल बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा और बच्चे भी इस विटामिन की कमी का काफी शिकार हो रहे हैं। यह बात हंस हॉस्पिटल कंकर खेड़ा के डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने हॉस्पिटल में आयोजित किए जाने वाले निशुल्क विटामिन डी की जांच के कैंप के बारे में जानकारी देने के उपरांत कही।

                                                                     

डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि विटामिन डी की कमी होने के सम्बन्ध में वर्तमान का गलत खान-पान और खराब दिनचर्या ही इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। आगे चलकर विटामिन डी की यही कमी ऑस्टियोपोरोसिस यानी अस्थिभंगुरता नामक बीमारी का भी कारण बन सकती है।

ऑस्टियोपोरोसिस यानी अस्थिभंगुरता हमारी हड्डियों से जुड़ी एक ऐसी समस्या होती है, जिसमें कोई हल्की सी चोट या मात्र कोई टक्कर लग जाने पर भी हड्डी आसानी से टूट जाती है। डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ही प्रति वर्ष 20 अक्टूबर को विश्व दिवस मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम है नाजुक हड्डियों को ना कहें हड्डियों से प्रेम करें और भविष्य को सुरक्षित रखें।

इस रोग से बचाव के लिए संतुलित आहार का सेवन प्रतिदिन करने तथा मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने वाले व्यायाम और धूप सेकने की आदत डालने की जरूरत होती है और यदि इन बातों का ख्याल रखा जाए तो निश्चित रूप से ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी से भी बचा जा सकता है।

कुल्हे और कमर की हड्डी को होता है सबसे अधिक खतरा

                                                         

डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि कमर की हड्डी की कोशिकाओं के आसपास की हड्डियां और कूल्हे की हड्डी फर्स्ट प्रक्रिया से सबसे अधिक प्रभावित होती है। एक प्रोटीन का जैविक हिस्सा और दूसरा मिनरल का अजैविक हिस्सा होता है और यह दोनों मिलकर ही हड्डी की संरचना करते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी एक छुपे हुए चोर की तरह होती है जो मानव शरीर में दबे पांव दाखिल होती है और उसके पूरे शरीर को खोखला बना देती है।

ऑस्टियोपोरोसिस यानी अस्थिभंगुरता एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित के शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। विटामिन डी और शरीर में कैल्शियम की कमी होना ही इस बीमारी का मुख्य कारण होता है और अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकना सम्भव है।

डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने जांच के दौरान मरीजों को बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी में मरीज की हड्डियां हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं और मरीज को इसका पता भी नहीं चल पाता है। वर्तमान में बदली हुई जीवन शैली के चलते यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं में अधिक पाई जा रही है। इस मस्या से बचाव के लिए ऑर्थाेपेडिक सर्जन की सलाह प्रभावित मरीज को अवश्य लेनी चाहिए।

हालांकि इस बीमारी से बचाव के लिए लोग सुबह की धूप जरूर सेकें क्योंकि इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलगी और हड्डियों को लगातार ताकतवर बनाए रखने के लिए विटामिन डी और कैल्सियम बहुत जरूरी अवयव होते है। हड्डियों को मजबूती देने वाला यह विटामिन डी सूर्य की किरणों से हमें प्राप्त होता है। यदि देखा जाए तो वर्तमान में ज्यादातर 90 प्रतिशत मरीजों में विटामिन डी की कमी पाई जा रही है। इस कमी का कारण बदलती हुई और स्तरहीन जीवन शैली होती है।

                                                                  

आजकल लोग देर रात तक काम करते हैं और इसके बाद सुबह देर से उठते हैं और फिर अपने काम पर निकल जाते हैं तो उन्हें सुबह के समय धूप सेकनें का समय ही नहीं मिल पाता है। इसी प्रकार से बच्चों में भी सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने की चिंता रहती है इसके कारण से वह कुछ मिनट भी धूप में नहीं बैठ पाते हैं, जिसके कारण इस तरह की समस्या बढ़ रही है।

डॉ0 दिव्यांशु ने बताया कि 35 से 40 साल तक के लोगों की हड्डियां तो मजबूत होती है परन्तु 45 साल के बाद धीरे-धीरे हड्डियों का क्षरण शुरू हो जाता है। 0.5 से 1 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से पुरुषों में हड्डियों का क्षरण होता है। जबकि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक हड्डियों का क्षरण अधिक होता है।

50 साल की आयु के बाद बीएमडी की जांच करना है जरूरी

                                                                  

हड्डियों की मजबूती का पता लगाने के लिए बोन मिनिरल डेंसिटी अर्थात बीएमडी जांच करना बहुत जरूरी होता है। 50 साल की आयु के ऊपर के लोगों को प्रतिवर्ष यह जांच करवा कर अपनी हड्डियों की मजबूती के बारे में जान सकते हैं। बुढ़ापे में घरेलू फैक्चर होने का मुख्य कारण ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी ही होती है। इसलिए समय-समय पर अपनी जांच करते रहे और अपनी हड्डियों को मजबूती देने के लिए विटामिन डी का सेवन अवश्य करें।

विटामिन डी की पूर्ती के लिए क्या करें और क्या न करें

  • हमेशा थकावट रहे तो विटामिन डी की जांच अवश्य कराएं।
  • धूप सबसे विटामिन डी की कमी की पूर्ति के लिए सबसे बढ़िया स्रोत होता है, इसलिए सुबह अपने शरीर को धूप से सेकने ने का भरपूर प्रयास करें।
  • सभी प्रकार के फास्ट फूड्स से उचित दूरी बनाकर रखें।
  • विटामिन डी की कमी हो तो चिकित्सक की सलाह पर सप्लीमेंट्स लेना प्रारंभ करें।
  • खाने में बादाम, दूध, अंडा, मछली, दही, संतरे का रस, पनीर, मक्खन और अंजीर आदि का सेवन अधिक से अधिक करें।
  • जंक फूड, अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन करने वालों में हड्डियों का क्षरण ज्यादा तेजी से होता है।
  • मौसमी हरी सब्जियां, ताजा फल, दूध, दही और अखरोट आदि का सेवन करना भी बेहतर होता है क्योंकि इन सबमें कैल्शियम और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में मिलता है।

डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया हंस हॉस्पिटल में आज निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों को विटामिन डी की कमी से शरीर में उत्पन्न होने वाले लक्षणों के बारे में बताया गया और उसके बचाव के उपाय भी सुझाए गए। इस दौरान 45 मरीजों को देखा गया और उनमें से अधिकतर लोगों को विटामिन डी की कमी पाई गई। डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि कमजोर हड्डियों को सुरक्षित रखने के लिए इस समय सचेत रहना बहुत जरूरी है।

जंक फूड, धूम्रपान और अल्कोहल आदि बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए क्योंकि शरीर की हड्डियां सबसे अधिक इनकी वजह से खोखली होती जा रही है। उन्होंने कहा कि 45 साल के ऊपर हर तीन में से एक महिला और हर पांच में से एक पुरुष को ऑस्टियोपोसिस की समस्या देखने को मिल रही है। इसलिए समय रहते सचेत हो जाने की आवश्यकता है और सुबह की धूप से अपने शरीर को सेक कर हड्डियों को मजबूती दी जा सकती है।