महिलाओं द्वारा अंगोरा खरगोश पालन      Publish Date : 29/01/2025

                    महिलाओं द्वारा अंगोरा खरगोश पालन

सर्वप्रथम संकल्प संस्था के द्वारा परियोजना के लिये 30 महिला जनजाति लाभार्थियों का अंगोरा खरगोश पालक के रूप में चयन किया गया था। सभी महिला लाभार्थियों के चयन के पीछे का मुख्य कारण क्षेत्र में महिलाओं का पूर्णतः अंगोरा व्यवसाय से जुड़ा होना था। मनुस्यारी क्षेत्र में जो अंगोरा प्रजाति के खरगोश पालन हेतु उपलब्ध थे, उनमें प्रमुख समस्या अंतः प्रजनन (इनब्रीडिंग) के कारण कम मात्रा में ऊन का उत्पादन होने के साथ ही पैदा होने वाली संतति में मृत्युदर भी अधिक थी।

                                                                     

इसके साथ में अंगोरा खरगोश से प्राप्त फाइबर की गुणवत्ता में भी कम होने के कारण रेशे की लंबाई भी कम प्राप्त होती थी। प्रति अंगोरा खरगोश कतरने पर फाइबर प्राप्ति की मात्रा 100 ग्राम ही होती थी। अंगोरा खरगोश की इस समस्या के समाधान के लिए संकल्प संस्था ने केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर के उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गड़सा, जिला कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के जर्मन अंगोरा खरगोश पालक वैज्ञानिकों से संर्पफ कर खरगोश पालन में आ रही समस्या पर विस्तार से चर्चा की।

इसके साथ ही इन दोनों संकल्प संस्था एवं क्षेत्रीय केन्द्र, गड़सा के बीच समस्या के समाधान के लिए साथ कार्य करने की सहमति बनी। अप्रैल 2022 में संकल्प संस्था के 5 सदस्यों, जिसमें दो महिला, अंगोरा खरगोश पालक ने गड़सा केन्द्र प्रशिक्षण मनुस्यारी क्षेत्र की 30 महिला प्रजनक किसानों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण में गड़सा के वैज्ञानिकों की टीम ने वैज्ञानिक तरीके से खरगोश पालन पर व्याख्यान एवं प्रायोगिक ज्ञान विस्तार से दिया। गड़सा की वैज्ञानिक टीम ने 30 महिला किसानों को जर्मन अंगोरा खरगोश पालन में समस्याओं का समाधान देते हुये स्वास्थ्य, प्रजनन, चारा, पैलेट आहार एवं अन्य सभी प्रबंधन पर तकनीकी जानकारी प्रदान की।

इसके साथ ही जर्मन अंगोरा खरगोश पालन से प्राप्त फाइबर की कतरने, मूल्य संवर्धन के बारे में भी विस्तार से तकनीकी जानकारी जनजाति महिला किसानों को दी गई। साथ में गड़सा केन्द्र की जर्मन अंगोरा खरगोश पर वर्षभर किये जाने वाले क्रियाकलापों पर भी प्रायोगिक ज्ञान भी दिया गया। इन महिलाओं को प्रशिक्षण समापन पर निदेशक अविकानगर द्वारा प्रमाणपत्रों का वितरण करते हुए भविष्य में भी संस्थान के सहयोग के लिए आश्वस्त किया।

                                                            

वर्तमान सफलता की कहानी नियो इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हिमालया (संकल्प संस्था) के द्वारा जर्मन अंगोरा खरगोश पालक किसान की उद्यमिता विकास का पिथौरागढ़ (उत्तराखण्ड) में संकल्प वर्ष 2019 में वर्णन किया गया है। पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र मनुस्यारी में संस्था द्वारा नाबार्ड बैंक के वित्तीय सहयोग से जनजाति विकास परियोजना की शुरुआत की गई है। जनजाति विकास परियोजना का मुख्य उद्देश्य मनुस्यारी क्षेत्र के किसानों को उत्तम नस्ल के अंगोरा खरगोश पालन को बढ़ावा देकर उन्हें आजीविका के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था।

वैज्ञानिकों की देखरेख में विस्तार से जर्मन अंगोरा खरगोश पालन, उपलब्ध विभिन्न उत्तम नस्ल प्रबंधन, फार्म प्रबंधन, दाना एवं चारा प्रबंधन के साथ उत्पादित अंगोरा फाइबर की मात्रा एवं गुणवत्ता क्षेत्राीय केन्द्र के वैज्ञानिक जर्मन अंगोरा खरगोश पालन के उपलब्ध तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान भी किया गया। संकल्प संस्था की टीम ने क्षेत्राीय केन्द्र, गड़सा के जर्मन अंगोरा फार्म पर दैनिक गतिविधियों के साथ विभिन्न प्रकार की देखभाल के बारे में भी गहराई से जाना। संकल्प संस्था द्वारा क्षेत्राीय केन्द्र से तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के बाद शुरुआत में 50 जोड़ी (50 नर एवं 50 मादा) जर्मन अंगोरा खरगोश का जर्मप्लाज्म 2400 रुपये प्रति जोड़ा खरीदने पर सहमति बनी।

क्षेत्राीय केन्द्र, गड़सा द्वारा इन्हें 6 माह में उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया। संकल्प संस्था के लिए अब गड़सा से मनुस्यारी क्षेत्र तक खरगोश का परिवहन करना भी एक बड़ी समस्या थी। दोनों केन्द्रों के मध्य 1000 कि.मी. की दूरी तक जर्मन अंगोरा खरगोश की उत्तर जीवित्ता एवं लम्बी दूरी के कारण आने वाली स्वास्थ्य समस्याएं भी शामिल थी।

इस समस्या का हल भी क्षेत्रीय केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। संकल्प संस्था को बताया गया कि भारत में भी एक विशेष डिजाइन के पिंजरों में इन खरगोश को जर्मनी से लाया गया था। संकल्प संस्था द्वारा वैज्ञानिकों की देखरेख में 25 जर्मन अंगोरा खरगोश के पिंजरों का निर्माण करवाया गया। इसमें प्रति पिंजरे 4 खरगोश को बिना किसी नुकसान के लम्बी दूरी तक परिवहन किया जा सकता था। अक्टूबर, 2022 के तीसरे  सप्ताह में 50 जोड़ी जर्मन अंगोरा खरगोश को गड़सा से मनुस्यारी क्षेत्र तक परिवहन किया गया। इनका तीन दिनों की यात्रा प्रवास में बिना  किसी जोखिम के मनुस्यारी क्षेत्र तक परिवहन सम्भव हुआ।

संकल्प संस्था ने बताया उनकी टीम को गड़सा के वैज्ञानिकों की सलाह एवं सही मार्गदर्शन के कारण ही यह संभव हो पाया। मनुस्यारी पहुंचने के बाद पहले से चयनित 2 महिला किसानों को इन खरगोशों का वितरण किया गया। इसके साथ में गड़सा केन्द्र की सलाह अनुसार स्थानीय स्तर पर खरगोश के पिंजरे का निर्माण करवाया गया। शुरुआत में गड़सा केन्द्र के वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा तकनीकी जानकारी से 50 जोड़ी जर्मन अंगोरा खरगोश से प्रजनन करवाकर 240  खरगोश के शावकों की पैदावार प्राप्त की गई। इसके साथ ही गड़सा के वैज्ञानिकों की टीम के अनुसार ब्रीडिंग प्लान से जर्मन अंगोरा की पैदावार ली गई है। अब 50 जोड़ी एवं 240 नई पैदा संतति को संकल्प संस्था द्वारा पहले से चयनित 30 महिला किसानों को शुरुआत तकनीकी ज्ञान के साथ वितरित किया गया।

मनुस्यारी क्षेत्र में पैदावार के बाद मुख्य समस्या जर्मन अंगोरा खरगोश से पैदा हुई संतति की मृत्युदर अधिक होना थी। इसके लिए नाबार्ड द्वारा कैट परियोजना के माध्यम से 30 चयनित जनजाति महिला लाभार्थियों को तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण क्षेत्रीय केन्द्र, गड़सा पर दिया गया। मनुस्यारी क्षेत्र की जनजाति महिलाओं की जर्मन अंगोरा खरगोश पालन से आयनबम्बर, वर्ष 2022 से मार्च वर्ष 2024 तक उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गड़सा, कुल्लू से लाये गये जर्मन अंगोरा खरगोश से मनुस्यारी क्षेत्र की जनजाति महिलाओं को प्रति कतरन से 300 ग्राम अंगोरा फाइबर की प्राप्ति हो रही है।

                                                               

यह उनके अपने अंगोरा खरगोश से केवल 100 ग्राम प्राप्ति से तीन गुना अधिक उत्पादन था। इस तरह गड़सा के जर्मन अंगोरा खरगोश से प्रतिवर्ष 900 ग्राम फाइबर प्रति नग उत्पादन होने लगा है। अब तक गड़सा क्षेत्रीय केन्द्र से लाये गए 50 जोड़ी जर्मन अंगोरा खरगोश एवं उनसे प्राप्त होने वाली संतति से मार्च 2024 तक कुल 80 कि.ग्रा. अंगोरा फाइबर का उत्पादन प्राप्त किया जा चुका है।

इस प्रकार संकल्प संस्था को चयनित जनजाति महिलाओं को 2500 रुपये प्रति कि.ग्रा. अंगोरा फाइबर को बेचने पर 2,00,000/- (दो लाख रुपये) की आमदनी प्राप्त हो चुकी है। इसके अलावा जर्मन अंगोरा की पैदावार से कुल 242 अंगोरा खरगोश की पैदावार प्राप्त हो चुकी है। इनको 3 माह की आयु पर 155 अंगोरा खरगोश की बिक्री पर (800 रुपये प्रति नग) प्राप्त करते हुए 1,24,000/-रुपये की आमदनी मनुस्यारी क्षेत्र की इन चयनित महिलाओं को प्राप्त हुई है।

इसके अलावा भी चयनित महिलाओं ने जर्मन अंगोरा खरगोश के फाइबर से विभिन्न मूल्य संवंर्धित उत्पादों जैसे (टोपी, मपफलर, हाथ के दस्ताने, शॉल, मोजे एवं स्वेटर आदि) का निर्माण करके बेचा। स्थानीय बाजार में टूरिस्ट एवं अन्य लोगों को उनकी बिक्री से भी कुल 1,47,000/-रुपये की आमदनी महिलाओं को प्राप्त हो चुकी है। इस तरह संकल्प संस्था की इन 30 चयनित महिला जनजाति किसानों के द्वारा सभी तरह के मदों से कुल 4,71,150 रुपये का व्यापार अब तक किया जा चुका है। आज मनुस्यारी क्षेत्र की जनजाति महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में क्षेत्रीय केन्द्र, गड़सा के जर्मन अंगोरा खरगोश महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

क्षेत्र की अन्य महिलाएं भी अंगोरा खरगोश पालन में रुचि लेकर इसे अब अपना रही हैं। यह व्यवसाय बहुत छोटे समय में ही मनुस्यारी क्षेत्र की सफलता की कहानी बन चुका है। आभार उपरोक्त जर्मन अंगोरा खरगोश उद्यमिता विकास में संकल्प संस्था, पिथौरागढ़, वित्तीय सुविधाओं के लिए जनजाति विकास परियोजना नाबार्ड बैंक एवं उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गड़सा की वैज्ञानिकों की टीम के साथ तकनीकी कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा।