रोजगार सृजन का सुनहरा अवसर हमारा पशुधन Publish Date : 29/12/2024
रोजगार सृजन का सुनहरा अवसर हमारा पशुधन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
भारत दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है, देश में वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड दुग्ध उत्पादन 22 करोड़ टन हुआ है एवं विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन में 24 प्रतिशत योगदान के साथ अब देश पहले स्थान पर पहुच चुका है। विगत 10 वर्षों में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में 51 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिसका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का है। आज सीधे तौर पर 8 करोड़ किसान पशुपालन से जुड़कर लाभकारी योजना का लाभ उठा रहे है।
मनुष्य जीवन में कृषि के साथ पशुपालन का सम्बन्ध मानव सभ्यता के विकास के साथ ही शुरू हुआ है। कृषि एवं पशुपालन एक सस्ता एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के अलावा ग्रामीण क्षेत्रो में विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानो तथा भूमिहीन मजदूरों के लिए एक लाभकारी रोजगार उपलब्ध करवाने का साधन है। ग्रामीण क्षेत्रो में 80 प्रतिशत से अधिक परिवार अपने घरो में पशुधन रखते है, डेरी एवं पशुपालन से छोटे एवं सीमांत किसानो की कुल आय का लगभग 35 प्रतिशत तक प्राप्त हो जाता है।
पशुपालन का व्यवसाय अन्य क्षेत्रो की तुलना में कम से कम निवेश के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में आय का एक पारम्परिक एवं उत्तम साधन है।
भारत में दूधः एक नज़र
भारत दूध उत्पादन के क्षेत्र में 24 प्रतिशत योगदान के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर कायम है, जिसमे देश के प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्य जैसे राजस्थान (15.05 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (14.93 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (8.06 प्रतिशत), गुजरात (7.56 प्रतिशत) और आँध्र प्रदेश (6.97 प्रतिशत) अग्रणी राज्यों की भूमिका को निभा रहे है, परन्तु हमारी प्रति पशु उत्पादकता अन्य देशो के मुकाबले काफी कम है।
देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता कुछ राज्यों में जैसे पंजाब (1271 ग्राम), राजस्थान (1150 ग्राम) और हरियाणा (1081 ग्राम), आदि में राष्ट्रीय दुग्ध उपलब्धता औसत (445 ग्राम) से काफी अधिक है, परन्तु अधिकांश राज्यों में जैसे असम (77 ग्राम), अरुणाचल प्रदेश (82 ग्राम), पश्चिम बंगाल (179 ग्राम), झारखण्ड (187 ग्राम) एवं बिहार (270 ग्राम) और दिल्ली एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में तो यह 100 ग्राम से भी कम है, जो प्ब्डत् द्वारा सिफारिश प्रति व्यक्ति दुग्ध आवश्यकता (370 ग्राम) से काफी कम है, जिसके प्रमुख कारणों में उन्नत नस्ल के पशुओ की कमी, अच्छी गुणवत्ता के हरे एवं सूखे चारे का अभाव, दुग्ध उत्पादन के आधार पर संतुलित आहार न मिलना, बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाओ की कमी आदि शामिल है।
इसके कारण क्षेत्र की वर्तमान समस्याओ एवं आवश्यकताओ को देखते हुए भारत सरकार द्वारा रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा एवं देसी नस्लों के संरक्षण एवं नस्ल सुधार तथा दुग्ध उत्पादकता बढाने के उद्देश्य से संसोधित एवं पुनर्गठित कल्याणकारी पशुधन विकास योजना की वर्ष 2021 में शुरुआत की गई है।
पशुधन विकास योजनाएं
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (2014):- आर.जी.एम. वर्ष 2014 से देसी बोवाइन नस्लों के विकास एवं संरक्षण के लिए लागू किया गया है, जो वर्ष 2021 में अम्ब्रेला योजना, राष्ट्रीय पशुधन विकास कार्यक्रम के तहत वर्ष 2026 तक निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ जारी किया गया है-
1. उन्नत तकनीकियो का उपयोग करके गाय व भैंसों की उत्पादकता बढ़ाना।
2. आनुवांशिक गुणवत्ता वाले सांडो का प्रजनन के लिए उपयोग एवं प्रचार।
3. कृत्रिम गर्भाधान तथा सेक्स सारटेड सीमेन के उपयोग को बढ़ावा देना।
4. देशी गौपशुओ और भैंसों के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।
5. हरे चारे एवं संतुलित आहार की उपलब्धता को बढ़ाना।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (2021-22):- राष्ट्रीय पशुधन मिशन मुख्य रूप से बैकयार्ड पोल्ट्री और छोटे जुगाली करने वाले पशु (बकरी और भेड़) पालन के साथ-साथ चारा संसाधन विकास और बीमा जैसे कुछ अन्य घटकों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के पशुपालन एवं डेरी विभाग द्वारा राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM), को क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकताओ को देखते हुए योजना को संसोधित एवं पुनर्व्यवस्थित कर वित्तीय वर्ष 2021-22 से सम्पूर्ण देश में चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य रोजगार का सृजन करना, उद्यमिता का विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि एवं मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन में वृद्धि करना है।
इसके अतिरिक्त उत्पादन से घरेलु मांगो को पूरा करने के बाद निर्यात आय को बढ़ाना, असंगठित क्षेत्र में उपलब्ध उपज के लिए आगे एवं पीछे की कड़ी बनाने और संगठित क्षेत्र से जोड़ने के लिए उद्यमी को विकसित करना। यह मिशन पशुधन क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने एवं, इस क्षेत्र में शामिल 10 करोड़ पशुपालको को अधिक लाभदायक बनाने के लिए संचालित किया जा रहा है।
मिशन के मुख्य उद्देश्य
1. छोटे जुगाली करने वाले पशु (भेड़ व बकरी), कुक्कुट, सुअर पालन एवं चारा क्षेत्र में उद्यमिता विकास के माध्यम से रोजगार का सृजन करना।
2. नस्ल सुधार के माध्यम से प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना।
3. मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे के उत्पादन में वृद्धि।
4. चारा बीज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना तथा चारे एवं आहार की उपलब्धता को बढ़ाना।
5. चारा प्रसंस्करण इकाइयो की स्थापना हेतु प्रोत्साहित करना।
6. पशुधन बीमा सहित जोखिम प्रबंधन के उपायों को बढ़ाना।
7. आहार एवं चारे की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त अनुसन्धान को बढ़ावा देना।
8. किसान के लिए गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवा प्रदान करना।
9. कौशल आधारित प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकियो के प्रसार को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन के उप-मिशनः इस मिशन को तीन मुख्य उप-मिशन में विभाजित किया गया है-
उप-मिशनः
(क.) पशुधन एवं कुक्कुट नस्ल विकासः इस उप-मिशन का उद्देश्य कुक्कुट, भेड़, बकरी और सुअर पालन आदि को प्रोत्साहित करना एवं इनकी नस्ल सुधार के लिए उद्यमित्ता विकास हेतु और राज्य सरकार को नस्ल सुधार की अवसंरचना ढाचे के लिए भी तीव्र ध्यान देने का प्रस्ताव है। योजनावार पूंजीगत लागत पर अनुदान राशि सारणी-1 में अंकित है-
सारणीः1 योजनावार पूंजीगत लागत पर अनुदान राशि का विवरणः
क्र सं. |
योजना |
पूंजीगत लागत |
अनुदान (50 %) |
1. |
मुर्गीपालन |
50 लाख |
25 लाख |
2. |
भेड़ एवं बकरी पालन |
100 लाख |
50 लाख |
3. |
सुअर पालन |
60 लाख |
30 लाख |
4. |
आहार व चारा विकास |
100 लाख |
50 लाख |
योजना के लिए पात्र
- कोई भी व्यक्ति (Individual)
- किसान उत्पादक संगठन (FPO)
- स्वयं सहायता समूह (SHG)
- किसान सहकारी समिति (FCO)
- संयुक्त देयता समूह (JLG)
- धारा 8 अंतर्गत आने वाली कंपनियां
सब्सिडी पात्रता मानदंड
उद्यमी/पात्र संस्थाओ को उद्यमिता कार्यक्रम के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र माना जाएगा यदि वे निम्नलिखित मापदंड को पूरा करते हैः-
1. उद्यमियों/पात्र संस्थाओ ने या तो प्रशिक्षण प्राप्त किया हो या प्रशिक्षित विशेषज्ञ हो या परियोजना के प्रबंधन और संचालन में प्रासंगिक क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हो या परियोजना के प्रबंधन और संचालन से सम्बंधित क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव के साथ तकनीकि विशेषज्ञ भी हों।
2. उद्यमी/पात्र संस्थाओ को बैंक या वितीय संस्थानों द्वारा परियोजना के लिए ऋण स्वीकृत कर दिया गया हो या बैंक द्वारा इसकी वैधता के लिए परियोजना के मुल्यांकन के साथ अनुसूचित बैंक से बैंक गारंटी प्रस्तुत की गयी हो जहां इसका खाता हो।
3. उद्यमियों/पात्र संस्थाओ के पास अपनी जमीन या पट्टे की जमीन होनी चाहिए जहां परियोजना की स्थापना की जाएगी।
4. उद्यमियों/पात्र संस्थाओ के पास केवाईसी के लिए सभी प्रासंगिक दस्तावेज होने आवश्यक हैं।
प्रोजेक्ट रिपोर्ट कैसे तैयार करे ?
आप अपने नजदीकी ब्। टीम से संपर्क करके अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवा सकते है।
ऑनलाइन आवेदन कैसे करें ?
1. राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको सर्वप्रथम इस योजना की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा।
2. इस योजना का होम पेज खुलने के बाद आपको ।चचसल छवू के विकल्प पर क्लिक करना है।
3. इसके बाद आपके सामने दो ऑप्शन दिखाई देंगे (1) उद्यमी के रूप में लॉगिन करें (2) सरकार /अन्य एजेंसियों के रूप में लॉगिन करें।
4. आपको आपके अनुसार विकल्प का चयन करना है।
5. अब आपको रजिस्टर के विकल्प पर क्लिक करना है।
6. इसके बाद आपके सामने एक आवेदन फॉर्म खुलेगा इस फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी आपको ध्यान से भरनी है और इसके बाद आपको एक बार फिर रजिस्टर के विकल्प पर क्लिक करना है।
7. फिर आपको Login के ऑप्शन पर क्लिक करना है और Login कर लेना है।
8. इसके बाद आपके सामने आवेदन का ऑप्शन दिखाई देगा आपको यहां क्लिक करना है।
9. एक बार फिर आपके सामने एक आवेदन फॉर्म खुलेगा इसमें पूछी गई जानकारी अच्छे से दर्ज करे और फिर पूछे/मांगे गए आवश्यक दस्तावेज को Submit कर देना है।
10. Upload करने के बाद आपको Submit कर देना है।
11. इस प्रकार से आप इस योजना में आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।