गुड़पट्टी बन गई चिक्की एक लाभदायक व्यवसाय      Publish Date : 28/12/2024

                    गुड़पट्टी बन गई चिक्की एक लाभदायक व्यवसाय

                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

गुड़पट्टी खाने से सर्दी के असर को काफी हद तक दूर किया जा सकता है. इसे खाने से शरीर में गरमाहट रहती है।

कभी गांवों में बनने वाली गुड़पट्टी अब चिक्की बन गई है। अब यह मिठाई की बड़ी दुकानों से ले कर ऑनलाइन भी बिकने लगी है। यह युवाओं को भी पसंद आने लगी है, जाड़ों में गुड़पट्टी ज्यादा बिकती है।

                                                              

जाड़ों में गुड़ चिक्की के जरीए सर्दी के असर को दूर किया जा सकता है। गुड़ और मूंगफली का इस में सब से अहम रोल होता है और इसे खाने से शरीर में गरमाहट बनी रहती है।

गुड़ चिक्की हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाए रखती है, जिस से सर्दीजुकाम, खांसी, अस्थमा आदि से समय रहते ही बचा जा सकता है।

गुड़पट्टी खाने में लजीज लगती है। पहले गुड़पट्टी को आम लोगों की मिठाई माना जाता था। अब गुड़पट्टी चिक्की के नाम से मिठाई की बड़ी-बड़ी दुकानों में भी मिलने लगी है।

अब आकार में भी गुड़पट्टी कई तरह की बनने लगी है। चिक्की या गुड़पट्टी का आकार कुछ भी हो, लेकिन इस का स्वाद एक जैसा ही होता है, स्वाद में लजीज गुड़पट्टी गुड़, चीनी और मूंगफली को मिला कर तैयार की जाती है।

सर्दियों में जो लोग मेवा नहीं खा सकते, उन के लिए मूंगफली किसी मेवे से कम नहीं होती है। रात में खाना खाने के बाद गुड़पट्टी का सेवन करने से शरीर गरम रहता है। इस से खाना पचाने में भी मदद मिलती है। गुड़ में एक खास तरह का तत्त्व होता है, जो खाना पचाने में मदद करता है।

सही पाचन से शरीर में ऐंटीआक्सिडेंट्स बनते हैं। इस से शरीर में बने टाक्सिंस को बाहर निकलने में आसानी रहती है। गुड़ मिला होने के कारण इसे खाने से कोई नुकसान भी नहीं होता है और शरीर का शुगर लेवल भी नहीं बढ़ता। इसका सेवन करने से फैट और कोलेस्ट्राल का खतरा भी कम हो जाता है।

                                                           

मूंगफली में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है, जो शरीर को मजबूत बनाता है। शरीर में खून की कमी वाले लोगों को गुड़चिक्की का सेवन करना लाभदायक रहता है।

रोजगार का एक बेहतरीन साधन

                                                                       

गुड़पट्टी या चिक्की बना कर बेचना एक अच्छा रोजगार हो सकता है। मिठाई की दुकानों के साथ ही साथ सड़कों, मेलों और प्रदर्शनी में ठेला लगा कर इसको बेचा जाता है।

गुड़चिक्की बेचने वाले लोग इसे बड़े पैमाने पर बनाने वाले लोगों से ही खरीदारी करते हैं। गुड़पट्टी 300 रुपए से शुरू हो कर 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक मिलती है।

महंगी वाली गुड़पट्टी चिक्की कहलाती है जिसे तैयार करने में देशी घी का इस्तेमाल किया जाता है। गुड़पट्टी के कारीगर बताते हैं, कि गुड़पट्टी बनाने में लगने वाली सामग्री की क्वालिटी काफी अच्छी होनी चाहिए। साथ ही इसे बनाते समय सफाई का पूरा खयाल रखा जाना चाहिए। इस को ऐसे रखना चाहिए, जिस से इस में हवा न लगे. हवा लगने से यह कुरकुरी नहीं रहती और जल्दी खराब हो जाती है।

कैसे बनती है गुड़पट्टी

                                                           

गुड़पट्टी बनाने के लिए अच्छी किस्म का गुड़ लेना चाहिए। गुड़पट्टी का रंग काला न हो कर पारदर्शी दिखे, इस के लिए गुड़ की बराबर मात्रा में इस में चीनी मिलाई जाती है। अगर गुड़पट्टी के रंग को ज्यादा साफ दिखाना है, तो गुड़ में चीनी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। वैसे सब से अच्छी गुड़पट्टी वही मानी जाती है, जिस में गुड़ और चीनी की मात्रा बराबर होती है।

पहले गुड़ व चीनी की 2 तार की चाशनी बनानी चाहिए। इस में जरूरत के मुताबिक मूंगफली के दाने साफ कर के व भून कर डालने चाहिए। 1 किलोग्राम तैयार चाशनी में 500 ग्राम मूंगफली के दाने डालें। जिन लोगों को गुड़ कम खाना हो, वे 750 ग्राम तक मूंगफली के दाने डाल सकते हैं। इस तैयार सामग्री को सूखने के लिए किसी साफ सुथरी जगह पर फैलाया जाता है।

जब सारी सामग्री सेट हो जाए, तो उसे कटर से इच्छानुसार टुकड़ोें और डिजाइन में काट लेते हैं। चिक्की ज्यादातर छोटे छोटे टुकड़ों में काटी जाती है। गुड़पट्टी को कुछ लोग प्लेट में सजा कर जमाते हैं, जिस जगह पर यह सामग्री डाली जाती है, वहां पर पहले से चिकनाई लगा दी जाती है। जिस से ठंडी होने के बाद इस को निकालने में आसानी बनी रहे। गुड़पट्टी या चिक्की को कुरकुरा रखने के लिए नमी से बचाया जाना आवश्यक होता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।