एआई के माध्यम से उद्यमिता का विकास      Publish Date : 24/10/2024

                  एआई के माध्यम से उद्यमिता का विकास

                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

अधिकतर छोटे उद्यमियों के पास संसाधनों का अभव रहता है और वह ‘‘डू मोर विद लेस’’ अर्थात कम में अधिक के सिद्वांत पर चलना पसंद करते हैं। ऐसे में एआई ने छोटे उद्यमियों के लिए प्रगति का हाईवे खोल दिया है।

एसीन एमीराती कार्नेगी, मेलन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और पिछले एक दशक से भी अधिक समय से ओप्रप्रैन्योरशिप पढ़ा रहे हैं। उनके अधिकतर शिष्य अभी स्नातक कर रहे हैं और सेमेस्टर के बीच में जब भी उन्हें समय मिलता है तो वह कोई बिजनेस श्ुरू करना चाहते हैं। इस वर्ष उनके कुछ शिष्यों ने उनके मार्गदर्शन में कुछ डेटिंग ऐप्स बनाए, तो कुछ ने फिटनेस ऐप। इस दौरान प्रोफेसर एमीराती ने कुछ ऐसा भी देाा जो कि असामान्य था।

प्रोफेसर एमीराती के अनुसार, ‘मैं इतने समय से पढ़ा रहा हूँ, परन्तु पिछले 14 वर्षों के दौरान मैने छात्रों को इस प्रकार से प्रगति करते हुए नही देखा, जैसी कि उन्होंने इस इस वर्ष की है।‘ इस प्रगति का कारण क्या है वह भी प्रोफेसर एमीराती को अच्छी तरह से पता है।

दरअसल उन्होंने पहली बार अपने शिष्यों को प्रोत्साहित किया कि वह इसके लिए जेनरेटिव एआई का उपयोग करें और उसे अपने बिजनेस का सह-संस्थापक मानकर चलें। बस फिर क्या था उनके छात्रों ने चैट जीपीटी, गिटहब को-पायलेट और फ्लोवाइज एआई के जैसे जेनरेटिव एआई उपकरणों का उपयोग मार्केटिंग, कोडिंग, प्रोडक्ट डेवलेपमेंट और शुरूआती ग्राहकों तक पहुँचने हेतु किया।

कक्षाओं के समाप्त होने तक तो कई छात्रों का बिजनेस अच्छी तरह से चल निकला था। प्रोफेसर एमीराती, जो स्वयं भी एक आंप्रप्रेन्योर हैं, कहते हैं कि ‘‘मै ऐसा अनुभव कर रहा था, जैसे कि मैं वर्ष 2000 के मध्य में हूँ, जब क्लाउड और मोबाइल क्रॉनित एक साथ ही हो रही र्थी प्रोफेसर एमीराती  का मानना है कि जेनरेटिव एआई वैसा ही व्यापक बदलाव ला रहा है।’’

जेनरेटिव एआई के चैट-जीपीटी के जैसे टल्स के सम्भावित प्रभावों के प्रति सभी लोग काफी उत्साहित हैं, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नही है कि यह तकनीक आर्थिक गतिविध्यों को कब और किस प्रकार से प्रभावित करना शुरू करेगी। अनेक छोटे व्यापारी भी य पता लगाने का प्रयास कर रहें हैं कि इसका प्रभावी उपयोग किस प्रकार से किया जाए।

लेकिन कुछ आंत्रप्रेन्योर के लिए जेनरेटिव एआई पहले से ही क्रॉन्ति साबित हो रहा है। यह उन्हें जटिल कोड लिखने, पेचीदा कानूनी दस्तावेजों को समझने, सोशल मीडिया पर पोस्ट बनाने, काफपी संपादित करने और जटिल सवालों के जवब देने में सहायता कर रहा है। एआई की सहायता से अपने विचारों को जमीन पर उतारने में अपेक्षाकृत कम समय व्यय हो रहा है। रोजगार के परिदृश्यों में सुधार, और आर्थिक लचीलेपन का एक महत्वपूर्ण स्रोत र्स्टाटअप है जो नवप्रवर्तन और उत्पादकता को बढ़ाने में भी अपना योगदान दे रहें हैं, जो कि जेनरेटिव एआई का एक प्रमुख वायदा भी है।

स्टीवन ब्राइट ने हाल ही में एक छोटा सा बिजनेस आरम्भ दिया है। वह कहते हैं कि कोई नया कार्य शुरू करने में बाधाएं तो आती ही हैं। एआई की बदौलत आपकी बाधाओं से पार पाने की क्षमता बढ़ जाती है। ब्राइट कहते हैं कि हालांकि अभी तक उनकी कंपनी लाभ कमाने की स्थिति में नही पहुँची है, लेकिन चैट-जीपीटी से उन्हे यह आत्मविश्वास मिला है कि जिसकी बदौलत वह वकीलों एवं दूसरे विशेषज्ञों को भुगतान किए बिना अपना नाम कर सके हैं।

आज वह इंटरनेट की पूरी ताकत का उपयोग कर पा रहे हैं और यह एहसास ही उन्हें ताकत प्रदान करता है। आज की स्थिति में अगर अधिकतर छोटे स्टार्टअप एआई की ओर उन्मुख हो रहें हैं तो यह अकारण ही नही हैं। दूर बैठकर आप बेशक एआई के बारे में कोई भी राय बनाएं, लेकिन जब आप किसी जरूरत में हो, तो आप सोच भी नही सकते कि एआई आपके लिए कितना अधिक मददगार साबित हो सकता है।

यदि बड़े निवेश एआई आधारित स्टार्टअप्स में अरबों का निवेश कर रहे हैं तो इसकी भी अपनी वजह ही है। तमाम शोध बताते हैं कि एआई आधारित उद्यमों में रोजगार सृजन और लाभ प्रदान करने की अधिक संभावनाएं विद्यमान हैं। कई आंत्रप्रेन्योर एआई का उपयोग अपने विचारों को धरातल प्रदान करने के लिए भी कर रहें हैं।

मेंसाच्युसेट्स के बेबसन कॉलेज के प्रोफेसर नोइस का मानना है कि एआई, स्टार्टअप के संस्थापकों की बुद्वि में विस्तार कर ही है और वह भी बहुत ही कम लागत में। नोइस कहते हैं, ‘‘आंत्रप्रेन्योर्स के पास संसाधनों का अधिकतर अभाव ही होता है कि कम के साथ अधिक करो यानी कि डू मोर विद लेस।’’ एआई इसमें भी मददगार ही सिद्व होती है।   

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।