“इंद्र जौ’ मियादी बुखार खत्म करने में कारगर      Publish Date : 05/02/2024

                   “इंद्र जौ’ मियादी बुखार खत्म करने में कारगर

                                                                      

जंगलों में मिलने वाला इंद्र जौ केवल पर्यावरण के लिए ही नही अपितु मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यह मियादी बुखार को जड़ से दूर करने में कारगर सिद्व होता है। बीएचयू आयुर्वेद विभाग के रस संकाय प्रमुख डॉ. देवनाथ सिंह इस दुर्लभ वन औषधि पर शोध कर चुके हैं और उन्होंने दावा किया है कि यह रक्त विकार को भी दूर करने में भी बहुत प्रभावकारी है।

उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के वन क्षेत्रों के अलावा सोनभद्र के दक्षिणांचल में इंद्र जौ के पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं। इसके फल, फूल और छाल आदि सभी मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी हैं। जंगली इंद्र जी से आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियां आयुर्वेदिक दवा तैयार कर मोटी कमाई कर रही हैं। वह वन क्षेत्रों से इसके फल, फूल और छाल आदि को खरीद कर दवा तैयार करती है।

डॉ. देवनाथ सिंह बताते हैं कि इस पौधे का बोटेनिकल नाम होलारेना एंटिडिसेंटरिका है। इसका पौधा केवल पर्णपाती वन क्षेत्र में ही पाया जाता है। इसका उपयोग मियादी बुखार के साथ अन्य बीमारियों में भी किया जा सकता है। इसमें कफ, वात और पित्त की असमानता को दूर कर रोग को जड़ से समाप्त करने की क्षमता उपलब्ध होती है।

दवा कंपनियां आदिवासियों से एकत्र करा बना लेतीं हैं ब्रांड

                                                                       

दवा बनाने वाली कंपनियों को इंद्र जी के फल, फूल उपलब्ध कराने वाले आदिवासियों को मामूली पारिश्रमिक मिलता है। जबकि कम्पनियां इसे अपना ब्रांड बनाकर इससे मोटी रकम कमा रही हैं। इस वन औषधि के संबंध में बेहतर जानकारी न होने के कारण आदिवासी मामूली रकम मिलने पर भी खुश रहते हैं।

रक्तविकार और पेट संबंधी रोगों में भी है लाभकारी

                                                                          

जंगली इंद्र जौ रक्त विकार दूर करने में भी सक्ष्म है। चिकित्सक इसके फल को दवा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। जिला आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सक डॉ. जे के का कहना है कि इंद्र जौ का पाउडर तैयार कर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ एक-एक चम्मच सेवन करने से शरीर के कई रोगों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसमें मधुमेह को नियंत्रित करने का भी गुण होता है।