बीमारियों से बचाने वाले जीन से बड़ा अल्जाइमर का खतरा Publish Date : 25/01/2024
बीमारियों से बचाने वाले जीन से बड़ा अल्जाइमर का खतरा
डॉ0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
5000 वर्ष पूर्व तक मनुष्य को रोगों से बचाने वाले जीव, अब अल्जाइमर जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। विज्ञान ने 3400 साल पहले से लेकर मध्ययुगीन काल तक पश्चिमी यूरोप और मध्य एशिया में रहने वाले 5000 मानव कंकालों के डीएनए का विश्लेषण कर यह दावा किया है।
इसके लिए उनके दांतों और हड्डियों से नमूने लिए गए। विज्ञान पत्र का नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आए हैं। इस विश्लेषण से पता चला है जो जीव कभी कांस युग के मनुष्यों को हानिकारक रोगों से बचाते थे, वह आज लोगों में मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस और अल्जाइमर जैसे नीरा डिनरेटिव रोगों के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस की आनुवंशिक उत्पत्ति का पता लगाने के लिए डेटाबेस का उपयोग किया था।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जुड़े हैं यह जीन
1600 से अधिक जीन्स पर यह शोध किया गया। इनमें से अधिकतर जीन्स का संबंध मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारी मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस एस के साथ पाया गया है। अध्ययन में पाया गया जीवन शैली में होने से यह जीन खुद को बदलने लगे और आबादी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल गई और वहां के वातावरण में ढालने में उन्हें समय लगा। इसका असर जीन्स पर भी पड़ने लगा और आबादी व जलवायु के अनुसार उनमें बदलाव आने लगे। आधुनिक समय में यह जीन दुनिया भर में 25 लाख लोगों को एम एस देने के लिए जिम्मेदार है।
चरागाहों के जीन में हुए अनुवांशिक बदलाव
प्राचीन चरगाहों के जीनों में यह अनुवांशिक बदलाव हुए, जो 5000 वर्ष पूर्व पालतू जानवरों को यूरोप में लाए थे। मवेशियों और भेडो के यह खानाबदोश चरवाहे, जिन्हें यमनाया के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण यूरोप से कजाकिस्तान तक फैले हुए थे। ऐसा माना जाता है कि पहले घुड़सवार थे, जिससे यह तेजी से यात्रा करने लगे।
लेखकः डॉ0 दिव्याँशु सेंगर प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ, में मेडिकल ऑफिसर हैं।