कैलोरी का गणित      Publish Date : 13/01/2024

                                     कैलोरी का गणित

                                                                                                                                                          डॉ0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                            

कम कैलोरी इंटेक यानी कम वजन लेकिन यह बात इतनी सीधी भी नहीं है। जंक एवं प्रोसेस्ड फूड से प्राप्त होने वाली कैलोरी की तुलना में साबुत अनाज एवं सब्जियों से प्राप्त होने वाली कैलोरी शरीर पर अलग प्रकार से असर करती है। परन्तु बात वजन कम करने की हो या फिर संपूर्ण सेहत की, मात्रा के साथ ही कैलोरी की गुणवत्ता समझना भी बहुत जरूरी है। ऐसे में कैलोरी के गणित के बारे में बता रहें हैं हमारे विशेषज्ञ-

वर्तमान में कैलोरी को कुछ ज्यादा ही महत्व दिया जाता है, ऐसे में हम अकसर क्लाइंट्स को यही कहते है, जब वह पूछते हैं कि उन्हें कितनी कैलोरी का इंटेक करना चाहिए। यह सुनकर हम उनसे बताते हैं कि यदि वह पूर्व में बताई जा रही सही चीजों का सेवन कर रहे हैं, तो फिर हमारी ओर से उन पर कोई पाबंदी नहीं है, तो बस वी यहीं पर उलझ जाते हैं और यह गलती उनकी नहीं है। क्योंकि वजन कम करने के लिए कम कैलोरी का इंटेक किए जाने का ही गणित फिलहाल ही चलन में है।

                                                                           

लोगों को स्पष्ट रूप से यह नहीं समझाया जाता है कि ये कितनी कैलोरी इंटेक करेंगे और कितनी कैलोरी को व्यायाम के माध्यम से खर्च करेंगे। यही वह कारण है कि वह शुरू-शुरू में हमारी इस बात से अपने आप को असहज महसूस भी करते है। परन्तु जब बिना भूख से समझौता किए उनका वजन कम होने लगता है, तब उन्हें राहत मिलती है। अब तक उनकी यह समझ में आ जाता है कि हर समय कैलोरी की चिंता करने की कोई जरूरत ही नहीं होती है।

पिछले कुछ सालों में हमने जो सबसे बड़ी गलती की है, वह यह कि हमने वजन को कम करने को एक सीधा गणितीय समीकरण भर मान लिया है। इस दौरान हमें बताया गया कि अगर आप 3,500 कैलोरी अतिरिक्त खाते हैं तो बनन आधा किलो बढ़ जाता है। वहीं 3,500 कैलोरी कम खाने पर आधा किलो वजन कम हो जाता है, या फिर प्रतिदिन 100 अतिरिक्त कैलोरी कम खाने पर, वजन एक साल में 4.5 किग्रा कम हो जाता है। है न आसान।

                                                                                   

यह सही है कि वजन कम करने के लिए ऊर्जा को सीमित और वजन बढ़ाने के लिए अतिरिक्त एनजों की पूर्ति करनी होती है। जो कि एक बुनियादी गणित होता है। परन्तु कैलोरी समीकरण के और भी कुछ पहलू होते हैं। महज कैलोरी की गिनती करने से बेहतर भी कई अन्य तरीके हैं। ऐसे में यदि आप कैलोरी की गिनती पर ही टिके रहते हैं तो कभी-कभी इससे लाभ भीर प्राप्त होता है, परन्तु वजन में आई यह कमी स्थायी नहीं होती।

सभी कैलोरी एक जैसी नही होती

केवल कैलोरी की मात्रा ही नहीं, अपितु जिस स्रोत से कैलोरी मिल रही है, उसकी गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण होती है। इस पर हमारा सीधा कहना है कि खानपान के बुरे विकल्पों के स्थान पर उसके अच्छे विकल्प चुनें। जो कि एक सामान्य ज्ञान भी होता है और विज्ञान भी, जिसके अच्छे नतीजे भी सामने आते हैं। विभिन्न शोध यह सिद्व करते हैं कि जो लोग चीनी, रिफाइंड अनाज और प्रोसेस्ड फूड नहीं खाते और केवल फल व सब्जियां खाने पर ही अधिक जोर देते हैं, उनमें वजन ही नहीं, सेहत के कई दूसरे पहलू जैसे कमर का घेरा, बसा, शुगर और ब्लड प्रेशर के स्तर पर भी उनको लाभ प्राप्त होता है।

हमंने यह देखा है कि अगर आप पर्याप्त सब्जियां और साबुत अनाज आदि का सेवन करते हैं, कम वसा या फिर कम कार्बाेहाइड्रेट वाली या आनुवंशिक कारणों का भी विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। लंबे समय में डाइट की मात्रा से कहीं अधिक जरूरी डाइट की गुणवत्ता, वजन को कम करने व उसे बनाए रखने में यही चीज एक जरूरी भूमिका निभाती है।

इस बात को यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो, प्रत्येक कैलोरी एक जैसी नहीं होती। चॉकलेट, चिप्स, कुकीज के 100 कैलोरी के पैक को खाने के स्थान पर यदि उतनी ही कैलोरी कुछ सब्जियों और एक अंडे के माध्यम से उपयोग करना हमेशा ही बेहतर होता है। इससे हमारे शरीर के लिए जरूरी ऊर्जा और पोषण दोनों की ही पूर्ति होती है और इससे हमारा पाचन-तंत्र भी बेहतर काम करता है। इस एक नियम को ही आप अपने खाने-पीने की हर चीज पर लागू कर सकते हैं।

सही मात्रा को समझना भी जरूरी

भोजन की ज्यादा मात्रा ग्रहण करने का मतलब हमेशा अधिक कैलोरी प्राप्त करना नहीं होता। बल्कि यह तो इस पर निर्भर है कि आप क्या खा रहे हैं और उसे कितनी मात्रा में खाते हैं। भोजन की अधिक मात्रा होने पर पेट देर तक भरा महसूस करता है। जंक फूड से मिलने वाली कैलोरी और पोषक तत्वों से मिलने वाली कैलारी में अंतर मात्र अतिरिक्त चीनी और वसा का नहीं है, अपितु अन्तर मात्रा का भी होता है। स्वस्थ भोजन से मिलने वाली 1500 कैलोरी में भोजन की मात्रा अधिक होती है और इससे दिनभर के भोजन की तृप्ति हो जाती है, तो वहीं 1500 कैलोरी वाला जंक फूड तुलनात्मक रूप से मात्रा में कम होता है, परन्तु इससे भूख शांत नहीं होती और ज्यादा खाने का मन करता है।

इसी तरह 100 ग्राम गोभी से हमें 35 कैलोरी ऊर्जा मिलती है परन्तु इसके पक जाने के बाद हमारी प्लेट भी पूरी भर जाती है और साथ में पेट भी। वहीं समोसे के एक छोटे से टुकड़े में कैलोरी बहुत होती है, परन्तु उससे पेट नहीं भरता। मनपसंद चीजों के स्थान पर घर में बनाए गए भोजन को अधिक मात्रा में खाने पर भी 600 से 700 कैलोरी की पूर्ति होती है। वहाँ बाहर होटल में इतने ही भोजन से दोगुनी कैलोरी मिलती है, इसलिए सही चुनाव अहम हो जाता है।

यह करें

                                                                           

कैलोरी से भरपूर पाच प्रोसेस्ड चीजों की सूची बनाएं, जो आप नियमित खाते हैं। जब भी आप इन्हें खाएं उसके आगे निशान लगाएं। अब उनमें से हरेक के सामने उतनी ही तृप्ति और कैलोरी देने वाली किसी अन्य पौष्टिक चीज का नाम लिखे। इसके बाद जब कभी भी इन प्रोसेस्ड और जंक फूड को खाने का मन हो, उसके स्थान पर स्वस्थ विकल्प का चयन करें। इससे आपको दो हफ्ते में ही बदलाव नजर आने लगेगा।

शरीर पर होता है अलग असर

आज हम जो कुछ भी खा रहे हैं, उसका शरीर पर क्या असर होता है, यह भी जरा ध्यान से देखें। जंक फूड या प्रासेस्ड फूड से मिलने वाली कैलोरी, साबुत अनाज की तुलना में शरीर पर अलग प्रकार से काम करती है। यदि आप 200 कैलोरी वाला एक गुलाब जामुन खाते हैं तो शरीर पर इसका असर 200 कैलोरी वाले मेवों की तुलना में अलग ही होगा। कारण, गुलाब जामुन में चीनी बहुत अधिक होने से इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है। जिसका अवशोषण बड़ी तेजी व आसानी से सीधे छोटी आंत के द्वारा कर लिया जाता है।

परन्तु, मेवों में फाइबर अधिक मात्रा में होता है और यह बड़ी आंतों से होकर गुजरते हैं, जहां बैक्टीरिया फाइवर व प्रोटीन को अलग करते हैं। पाचन की इस प्रक्रिया में शरीर अधिक ऊर्जा इस्तेमाल करता है। तकनीकी रूप से इससे कुल कैलोरी कम हो जाती है और वजन बढ़ने की आशंका भी कम ही होती है। हमारा शरीर बहुत मीठी चीज की तुलना में साबुत अनाज से बनी चीज पचाने के लिए दोगुनी ऊर्जा इस्तेमाल करता है। इसके चलते अतिरिक्त ऊर्जा बसा के रूप में जमा होने का खतरा भी कम हो जाता है।

कैलोरी तो एक तरह की मापक ईकाई है। मैदे और साबुत अनाज से बनी रोटी की तुलना करें तो दोनों में कैलोरी समान होती है। पर साबुत अनाज पचाने में शरीर को धर्मल ऊर्जा अधिक लगने से कैलोरी की खपत भी बढ़ जाती है। अब इस नियम को हर जगह लागू करने पर इसका बड़ा असर आप स्वयं देख सकते हैं। अतः सही कैलोरी वह है, जो हमारा शरीर ग्रहण करता है और उसे इस्तेमाल करता है, बजाए उसके जो कैलोरी आप कागजों पर देखते हैं।

स्वस्थ कैलोरी बनाम हानिकारक कैलोरी

                                                                                        

यह कतई जरूरी नहीं कि अच्छी कैलोरी हमेशा कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों से ही प्राप्त होती है। इसके विपरीत कई प्रकार की अच्छी कैलोरी हमें उच्च कैलोरी और उच्च वसा युक्त पदार्थों से मिलती है। इसमें मुख्य बात तो कैलोरी और पोषण के अनुपात की होती है। अतः कह सकते हैं कि अच्छी कैलोरी वह होती है, जिससे लीन-प्रोटीन, स्वस्थ वसा और कॉम्लेक्स कार्ब मिलते हैं, जो हमें साबुत अनाज, उच्च गुणवत्ता वाले मील रिप्लेसमेंट्स और सप्लीमेंट्स के माध्यम से मिलते हैं। खराब कैलोरी वह है जो शरीर को अच्छा पोषण नहीं देती।

इसमें प्रोसेस्ड फूड, चीनी, मैदा, हानिकारक वसा और आर्टिफिशियल खाद्य उत्पाद जैसी चीजें शामिल है। इस तरह के खाद्य पदार्थों को खाने के थोड़ी देर बाद ही हमें भूख लग जाती है। ऐसी स्थिति में डाइटिंग के कारण या तो आप भूखे रहते हैं या बहुत खाने लगते हैं। वजह कोई भी हो. आपको वह नतीजा नहीं मिलता जो आप चाहते है।

लेखकः डॉ0 दिव्याँशु सेंगर प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ, में मेडिकल ऑफिसर हैं।