अधिक नमक का सेवन करना किडनी के लिए है घातक Publish Date : 31/12/2023
अधिक नमक का सेवन करना किडनी के लिए है घातक
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
यदि आपको खाने में अधिक नमक खाने की आदत है तो आप जरा सावधान हो जाएं, क्योंकि नमक का अधिक मात्रा में सेवन करना किडनी के लिए घातक होता है। प्राय: देखा गया है की कुछ लोग भोजन में अलग से नमक डालने की प्रवृत्ति रखते हैं तो ऐसे में वह लोग सावधान हो जाएं। एक शोध में पता चला है कि इससे क्रॉनिक किडनी रोग सीकेडी का खतरा बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं ने 4, 65,288 प्रतिभागियों पर यह शोध किया था। इस शोध के दौरान ज्ञात हुआ कि खाद्य पदार्थों में अलग से नमक मिलाने की आदत के चलते सीकेडी नामक रोग के बढ़ते जोखिम के साथ जुड़ी हुई होती है। जमा नेटवर्क में प्रकाशित शोध में शोध टीम ने पाया कि जो लोग अपने भोजन में अलग से नमक मिलाते हैं, वह ऐसे लोगों की तुलना में बीमारी की अधिक संभावना है, जो अपने भोजन में नमक नहीं लेते हैं।
अमेरिका के तुलने विश्वविद्यालय की उड़ी टांग ने कहा भोजन में ऊपर से नमक डालने की आदत को कम करना, किडनी रोगों के जोखिम को कम करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो लोग नमक की मात्रा कम लेते हैं, उनकी किडनी सुरक्षित रहती है। पिछले अध्ययनों से पता चला कि खाद्य पदार्थों में अलग से नमक लेने की आदत हृदय रोगों, समय से पहले मृत्यु दर और टाइप टू डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ी थी।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि नियमित शारीरिक गतिविधि करने वाले प्रतिभागियों में किडनी रोगों के साथ सोडियम सेवन का संबंध भी उन प्रतिभागियों की तुलना में कम था, जो काम शारीरिक रूप से सक्रिय रहते थे। हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में किडनी संबंधी रोग का कारण ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन करना भी था।
भारत में किडनी से पीड़ित रोगों की संख्या है अधिक
विश्व में करीब 700 मिलियन लोग क्रॉनिक किडनी रोग से प्रभावित हैं तो वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 75 लाख से अधिक मरीज क्रॉनिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं। देश में हर साल औसतन करीब 2 लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं, जिनकी किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर देती है। इसलिए हम सभी को इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
इसके समाधान के लिए हमें अपनी फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाना है और खाने में कम से कम नमक का सेवन करना है। अतः यदि आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो आप अपनी किडनी को भी सुरक्षित रख सकेंगे।
लेखकः डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर, मेडिकल ऑफिसर, प्यारेलाल जिला अस्पताल मेरठ।