बच्चों में मोटापे को क्रॉनिक बीमारी से जाना जाएगा Publish Date : 27/12/2023
बच्चों में मोटापे को क्रॉनिक बीमारी से जाना जाएगा
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
बच्चों में मोटापा बढ़ता जा ही जा रहा है। मोटापा के कारणों के बारे में पता करने और उसके चिकित्सीय उपचार के लिए बाल रोग विशेषज्ञों की संस्था ‘‘इंडियन अकैडमी आफ पीडियाट्रिक्स’’ के द्वारा मोटापे को अब गाइडलाइन में शुमार किया गया है। अतः मोटापे को अब एक क्रॉनिक बीमारी के तौर पर देखा जाएगा। मोटापे का स्तर पता करने के लिए बच्चों की कमर भी मापी जाएगी, जबकि अभी तक केवल वजन, हाइट और आयु को ध्यान में रखकर इसका आकलन किया जाता था, लेकिन अब कमर की माप भी ली जायेगी।
इससे पहले इंडियन अकैडमी आफ पीडियाट्रिक्स ने वर्ष 2004 में मोटापे पर गाइडलाइन जारी की थी। कई मामलों में डॉक्टर बॉडी मास इंडेक्स से ही मोटापे के स्तर का पता लगते थे। व्यक्ति के बीएमआई की गणना उसके वजन को प्रोग्राम में मीटर में ऊंचाई के वर्ग से विभाजित करके ज्ञात की जाती है। एक शोध के अनुसार एशिया में 25 फ़ीसदी लोगों में सामान बीएमआई होने के उपरांत भी शरीर में फैट की मात्रा अधिक पायी गई थी। ऐसे में समान बीएमआई वाले बच्चों की कमर का माप का देखा जाना जरूरी है।
मोटापे से पीड़ित बच्चों में दूसरी बीमारियों का खतरा भी अधिक रहता है। उक्त अध्ययन के अनुसार मोटापे से पीड़ित 30 प्रतिशत तक किशोर और बच्चों में रक्तचाप की समस्या से ग्रस्त होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए अब मोटे बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और मोटापे को क्रॉनिक बीमारी के नाम से भी जाना जाएगा।
टीकाकरण के समय भी जांच जरूरी
नए दिशा-निर्देशों के तहत 5 वर्ष तक के बच्चे को जब भी टीका लगवाने जाते हैं तो उसे समय उनके मोटापे की जांच भी आवश्यक रूप से होनी चाहिए। इसके अलावा 5 साल से अधिक आयु के बच्चों में हर साल बीएमआई और उनकी कमर की माप करनी जरूरी है।
डिजिटल स्क्रीन देखने का समय सीमा तय हो
वर्तमान समय में छोटे-छोटे बच्चों को भी मोबाइल से बहुत लगाव हो गया है, यदि उनके हाथ में मोबाइल आ जाता है तो वह खुश नजर आते हैं और डिजिटल स्क्रीन को ही लगातार देखते रहते हैं। बच्चों के फोन या डिजिटल स्क्रीन देखने का समय सीमा भी तय करने की बात सामने आई है।
विभिन्न अलग-अलग अध्ययनों के हवाले से डॉक्टर ने कहा है कि स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से भी बच्चे मोटापे से पीड़ित हो जाते हैं क्योंकि उनकी फिजिकल एक्टिविटीज कम होती है जिसके कारण ऐसे बच्चों का मोटापा बढ़ जाता है।
मोटे बच्चों की इन बातों का विशेष ध्यान रखें
- यदि मां और पिता दोनों मोटापे से पीड़ित हैं तो उनके बच्चे भी मोटे होने का खतरा 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
- खेलकूद के जैसी विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा न लेना मोटापे का कारण बन जाता है और इससे मोटापा बढ़ता है।
- अगर मां और पिता में से कोई भी एक मोटापे से पीड़ित है तो उनके बच्चों में मोटापे का खतरा 40 प्रतिशत तक हो सकता है।
- अधिक वसायुक्त शुगर वाले पदार्थ के सेवन से भी मोटापे का खतरा बढ़ता है।
लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।